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एसआईआर पर जुबानी जंग: क्या BLO की मौतें भी नाटक हैं?, पीएम मोदी के 'ड्रामा नहीं डिलीवरी' तंज पर अखिलेश ने पूछा

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Mon, 01 Dec 2025 12:54 PM IST
सार

विपक्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ड्रामा नहीं डिलीवरी' वाले तंज पर समाजवादी पार्टी से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर को ईमानदारी से किया जाना चाहिए। क्या बीएलओ की मौतें भी ड्रामा हैं?

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Parliament Session Are BLO deaths also a drama? Akhilesh Yadav asked in response to PM Modi jibe
संसद परिसर में अखिलेश यादव - फोटो : ANI
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विस्तार
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संसद के शीतकालीन सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई है। एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष पर 'ड्रामा नहीं, डिलीवरी' के तंज पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने तीखा पलटवार किया है।

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उन्होंने कहा कि 'वोटर लिस्ट में सुधार' (एसआईआर) की प्रक्रिया को गंभीरता से किया जाना चाहिए, न कि इसे एक 'ड्रामा' समझा जाए।' अखिलेश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की मौतें भी 'ड्रामा' हैं?
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समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि डेमोक्रेसी तभी मजबूत होगी जब हमसे वोट देने का हमारा अधिकार न छीना जाए। एसआईआर की चिंता आज सच होती जा रही है। अगर वोट कट जाएगा, तो कोई अपना सपना कैसे पूरा करेगा। मुझे जानकारी मिली है कि उन्होंने (भाजपा) नोएडा में बड़ी आईटी कंपनियों को हायर किया है और उनके जरिए उनके पास (यूपी में) वोटर लिस्ट की डिटेल्स हैं। यह चल रहा है। एसआईआर डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि वोट काटने के लिए है। जमीन पर बीएलओ फॉर्म भी नहीं भर पा रहे हैं। उनमें से कई स्ट्रेस में हैं। जब यूपी में तुरंत कोई चुनाव नहीं है, तो इतनी जल्दी क्यों?

'नकारात्मकता को मर्यादा में रखकर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान दें'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरी एक चिंता रही है लंबे समय से सदन में जो पहली बार चुनकर आए हैं, या जो युवा हैं, वैसे सभी दलों के सभी सांसद बहुत परेशान हैं, उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय कराने का अवसर नहीं मिल रहा है और न ही अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बताने का मौका नहीं मिल रहा है। कोई भी दल हो हमें किसी को भी हमारी नई पीढ़ी के नौजवान सांसदों को, उन्हें अवसर देना चाहिए। इसलिए मेरा आग्रह रहेगा कि हम इन चीजों को गंभीरता से लें, ड्रामा करने के लिए बहुत जगह होती है, जिसे करना है करता रहे, यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। नारे के लिए पूरा देश पड़ा है, जहां हारे वहां बोल चुके और जहां हारने जा रहे हैं, वहां भी बोल लेना। यहां नारे नहीं नीति पर बात होनी चाहिए। हो सकता है कि राजनीति में नकारात्मकता कुछ काम आती होगी लेकिन राष्ट्र निर्माण की सोच भी होनी चाहिए। नकारात्मकता को मर्यादा में रखकर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान दें।'

'हमारे देश के मीडिया के मित्र अगर समीक्षा करेंगे तो उन्हें ध्यान में आएगा कि पिछले कुछ समय से हमारे सदन का या तो चुनाव के वार्मअप के लिए तो कभी चुनाव की बौखलाहट के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ये सारा गुस्सा सदन में निकालते हैं और सदन को राज्य की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की परंपरा को कुछ दलों ने जन्म दिया है। अब उन्हें चिंतन करना चाहिए कि अब वे अपनी रणनीति बदलें, मैं टिप्स देने के लिए तैयार हूं। लेकिन कम से कम सांसदों को अभिव्यक्ति का अवसर दीजिए। अपनी निराशा और पराजय की बलि सांसदों को मत बनाइए। मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कि देश नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है, धन्यवाद।'

ये भी पढ़ें: PM Modi: 'यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए', संसद के शीत सत्र से पहले पीएम मोदी का विपक्ष को संदेश

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