'हर हाल में वसूले जाएंगे 10 हजार': दिल्ली में अब माफ नहीं होगा PUC चालान, CM बोलीं- जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैध पीयूसी नहीं होने वाले वाहनों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना तय है, लेकिन अक्सर वाहन मालिक लोक अदालत के जरिए चालान कम करवा लेते हैं। इससे नियमों का डर खत्म हो जाता है और लोग अपने वाहन दुरुस्त कराने को गंभीर नहीं रहते।
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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सख्त तेवर दिखाते हुए साफ कर दिया है कि अब नियम तोड़ने वालों को कोई राहत नहीं मिलेगी। बिना वैध पीयूसी के चलने वाले वाहनों के चालान किसी भी हालत में माफ नहीं होंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सख्त लहजे में कहा है कि सरकार जरूरत पड़ी तो अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी। साथ ही प्रदूषण कम करने के लिए ई-बस, ई-रिक्शा और डीटीसी रूटों को लेकर बड़े फैसले लिए गए हैं।
सीएम ने सचिवालय में की बैठक
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अनियंत्रित ई-रिक्शा यातायात जाम की बड़ी वजह बन रहे हैं। जाम के कारण वाहनों का ईंधन ज्यादा जलता है और प्रदूषण बढ़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए जल्द नई ई-रिक्शा गाइडलाइन लाई जाएगी। इसके तहत ई-रिक्शा के संचालन क्षेत्र और रूट तय किए जाएंगे, ताकि ट्रैफिक सुचारू रहे। सोमवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई बैठक में साफ संदेश दिया गया कि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू होगी। बैठक में पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा, परिवहन, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, पीडब्ल्यूडी और यातायात पुलिस के सीनियर अधिकारी मौजूद रहे।
जुर्माना वसूलना मकसद नहीं, लेकिन अभी ये जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैध पीयूसी नहीं होने वाले वाहनों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना तय है, लेकिन अक्सर वाहन मालिक लोक अदालत के जरिए चालान कम करवा लेते हैं। इससे नियमों का डर खत्म हो जाता है और लोग अपने वाहन दुरुस्त कराने को गंभीर नहीं रहते। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि अब ऐसा नहीं होगा। पीयूसी चालान किसी भी सूरत में माफ नहीं किए जाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यदि इसके लिए कोर्ट जाना पड़े, तो सरकार पीछे नहीं हटेगी। उनका कहना था कि सरकार का मकसद जुर्माना वसूलना नहीं, बल्कि लोगों को साफ हवा देना है।
पूल बस सर्विस के लिए लेगें निजी भागीदारी
प्रदूषण कम करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी पर भी सरकार काम करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली एनसीआर में पूल और शेयर मॉडल पर प्रदूषण रहित बसें चलाने को लेकर ओला और ऊबर जैसी कंपनियों से बातचीत की जाएगी। यदि ये कंपनियां इलेक्ट्रिक या अन्य स्वच्छ तकनीक वाली बसें चलाती हैं, तो सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या घटेगी और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का लक्ष्य राजधानी को धीरे-धीरे जीरो एमीशन (सड़क पर चलते समय धुआं नहीं) की दिशा में ले जाना है।
सही प्लानिंग से बसें बराबर बटेंगी
कई जगहों पर एक ही सड़क पर एक रूट की 4–5 बसें दौड़ रही हैं, जबकि दूसरी कॉलोनियों में बस नहीं पहुंचती। ऐसे दोहराव वाले रूट कम किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीटीसी की पहुंच हर इलाके और हर गली तक होनी चाहिए। रूटों के वैज्ञानिक तरीके से पुनर्गठन से आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी और लोग निजी वाहन छोड़कर बसों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होंगे।
नियम मानिए, वरना कार्रवाई होगी
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को आपसी तालमेल से फैसलों को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई लड़ रही है और पर्यावरण की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। सरकार का साफ संदेश है कि नियम मानिए, वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहिए।