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Survey: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के प्रेत की दहशत... 31 फीसदी शहर छोड़ने की तैयारी में, जेब पर भी बढ़ गया बोझ

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 28 Nov 2025 03:15 AM IST
सार

स्मिटेन पल्सएआई के सर्वे से पता चलता है कि 80 फीसदी से ज्यादा लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें पुरानी खांसी, थकान, आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण शामिल हैं। 68.3 फीसदी लोग पिछले एक साल में खासतौर पर प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास गए।

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Survey: Pollution looms large in Delhi-NCR... 31% are planning to leave the city.
दिल्ली में वायू प्रदूषण - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली-एनसीआर की लगातार जहरीली होती हवा से खराब होती सेहत को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों ने शहर बदलने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। 31 फीसदी तो इस विषय में गंभीरता से सोचने लगे हैं और दूसरे शहरों में घर देखने से लेकर बच्चों के स्कूल के बारे में भी पता कर रहे हैं। यह खुलासा स्मिटेन पल्सएआई के सर्वे में हुआ है। पता चला है कि 80 फीसदी से ज्यादा लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें पुरानी खांसी, थकान, आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण शामिल हैं। 68.3 फीसदी लोग पिछले एक साल में खासतौर पर प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास गए।

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सर्वेक्षण के अनुसार, प्रदूषण के कारण 79.8 फीसदी लोग कहीं और जाने के बारे में सोचने लगे हैं तो 33.6 फीसदी लोग शहर बदलने की तैयारी में हैं जबकि 15.2 फीसदी लोग तो दूसरी जगह शिफ्ट भी हो चुके हैं। 31 फीसदी लोग इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर ने शहरों में घर देखने, बच्चों के स्कूलों में पूछताछ करने और परिवार के साथ शिफ्टिंग की प्लानिंग तक शुरू कर दी है। लोग खास तौर पर पहाड़ी इलाकों, कम फैक्ट्रियों वाले छोटे शहरों और दिल्ली-एनसीआर के बाहर ऐसी जगहें पसंद कर रहे हैं, जहां हवा थोड़ी साफ हो।
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प्रदूषण ने जेब पर डाला बोझ
सर्वे में बताया गया है कि प्रदूषण ने लोगों की जेब पर भी बड़ा असर डाला है। 85.3 फीसदी परिवारों ने बताया कि घर के खर्च बढ़ गए हैं, इसमें एयर प्यूरीफायर, मास्क, दवाएं और डॉक्टर के चक्कर अब रोजमर्रा का हिस्सा बन गए हैं। 41.6 फीसदी लोग तो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। सर्वे जारी करते हुए स्मिटेन पल्सएआई के सह-संस्थापक स्वागत सारंगी ने कहा कि लगातार खराब हवा सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं रह गई है। यह अब जीवनशैली, स्वास्थ्य और रहने-जैसे फैसलों को प्रभावित कर रही है। ऐसे हालात में लगातार और मिलकर काम करने की जरूरत है।




दिल्ली में 6 नए हाई-टेक एयर मॉनिटरिंग स्टेशन बनेंगे
शहर में हवा की निगरानी को मजबूत बनाने के लिए 6 नए कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का काम सरकार ने शुरू कर दिया है। सभी स्टेशन 15 जनवरी तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। इनसे प्रदूषण स्तर, मौसम और हवा की दिशा-गति की वास्तविक जानकारी 24 घंटे मिलेगी।

हाई टेक कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) लगाने का पूरा प्रोजेक्ट दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पास है, जिसमें स्टेशन की सप्लाई, इंस्टॉलेशन, कमिशनिंग, संचालन और 10 साल तक की पूरी देखभाल होगी। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, नए स्टेशनों से प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान, प्रदूषण स्रोतों की समझ और समय पर कार्रवाई आसान होगी। रीयल टाइम डेटा रणनीति को तेज बनाएंगे और परिणाम अच्छे होंगे।

खास जगहों पर लगाए जा रहे स्टेशन
जेएनयू, इग्नू, मालचा महल के पास असरो अर्थ स्टेशन, दिल्ली कैंट, कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (वेस्ट कैंपस) में लगेंगे। हर स्टेशन पर पीएम2.5, पीएम10, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, अमोनिया और बीटेक्स जैसे प्रदूषक मापे जाएंगे। हवा की दिशा, गति, तापमान, नमी, वर्षा और सोलर रेडिएशन जैसी जानकारी रिकॉर्ड की जाएगी। डाटा छोटे-छोटे अंतराल पर लिया जाएगा और मानकों पर जांचा जाएगा।

रीयल टाइम डिजिटल सिस्टम से जुडे होंगे
सभी स्टेशन डीपीसीसी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के डिजिटल सिस्टम से रीयल टाइम जुड़े रहेंगे। साथ ही इन इलाकों में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी लगाए जाएंगे, जिन पर हवा की स्थिति दिन रात लोगों को दिखाई देगी। मंत्री ने कहा, अब दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण रणनीति पूरी तरह वैज्ञानिक डेटा पर आधारित होगी। चयनित तकनीकी पार्टनर 10 साल स्टेशनों को 24 घंटे चलाएंगे। सर्विसिंग, सुरक्षा और डेटा क्वॉलिटी मेंटेनेंस करेंगे। डेटा की गुणवत्ता 90 फीसदी से नीचे नहीं जाएगा। इसके लिए सख्त शर्तें और पेनल्टी भी तय की गई है।
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