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Delhi: दिल्ली मंडल में रेलवे के ओएचई ढांचे को किया जाएगा मजबूत, रात व खराब मौसम में भी ट्रैक पहचान होगी आसान

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: Digvijay Singh Updated Tue, 23 Dec 2025 07:08 AM IST
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सार

रेलवे ने दिल्ली मंडल में रेल परिचालन को और अधिक सुरक्षित व भरोसेमंद बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत ओएचई (ओवरहेड इक्विपमेंट) ढांचे का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।

The railway OHE infrastructure in the Delhi division will be strengthened making track identification easier e
(फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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रेलवे ने दिल्ली मंडल में रेल परिचालन को और अधिक सुरक्षित व भरोसेमंद बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत ओएचई (ओवरहेड इक्विपमेंट) ढांचे का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। परियोजना का उद्देश्य ट्रैक और विद्युत प्रणाली की सुरक्षा बढ़ाना, तकनीकी खामियों को दूर करना और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा सुविधा उपलब्ध कराना है। दिल्ली मंडल सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है। यहां से रोजाना सैकड़ों यात्री और मालगाड़ियां गुजरती हैं। ऐसे में ओएचई सिस्टम और ट्रैक ज्यादा मजबूत करने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने परियोजना को मंजूरी दी है।

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इसलिए जरूरी है ओएचई सुदृढ़ीकरण
ओएचई यानी ओवरहेड इक्विपमेंट वह विद्युत प्रणाली है, जिससे इलेक्ट्रिक ट्रेनें बिजली प्राप्त करती हैं। इसमें खंभे, तार, इंसुलेटर, कैंटिलीवर और अन्य सहायक ढांचे शामिल होते हैं। समय के साथ मौसम, कंपन और भारी यातायात के कारण इनमें टूट-फूट या कमजोरी आ जाती है। इससे बिजली आपूर्ति बाधित होने के साथ-साथ दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता है।
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रेट्रो-रिफ्लेक्टिव प्लेटों से बदले जाएंगे पुराने बोर्ड
इस योजना का एक अहम हिस्सा ट्रैक पर लगे लोकेशन नंबर प्लेटों को बदलना भी है। पुराने और क्षतिग्रस्त नंबर प्लेटों की जगह आधुनिक रेट्रो-रिफ्लेक्टिव प्लेटें लगाई जाएंगी। इन प्लेटों की खासियत यह है कि ये रात के समय या कोहरे, बारिश और खराब मौसम में भी चमकती रहती हैं। रेलवे कर्मचारियों, लोको पायलट और मेंटेनेंस स्टाफ को ट्रैक की पहचान करने में सहूलियत मिलेगी। सूूत्रों की मानें तो 6400 से अधिक रेट्रो-रिफ्लेक्टिव लोकेशन नंबर प्लेटें लगाई जाएंगी, जिससे परिचालन सुरक्षा में सुधार होगा।

15 महीने में काम पूरा करने का लक्ष्य
कार्य के लिए करीब 5.52 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत तय की है। इसे 15 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अधिकतर कार्य पावर ब्लॉक के दौरान किया जाएग। इसमें डिजाइन तैयार करना, कंक्रीट फाउंडेशन और प्लिंथ का निर्माण, फेरस और नॉन-फेरस ढांचों की स्थापना, पुराने इंसुलेटर बदलना, कैंटिलीवर असेंबली का डिस्मैंटलिंग और अन्य तकनीकी कार्य भी शामिल हैं।

अनुभवी एजेंसी को ही मिलेगा काम
रेलवे ने कई शर्तें तय की हैं। इसके तहत चयनित एजेंसी के पास पिछले सात वर्षों में 25 केवी एसी ओएचई से जुड़े समान कार्यों का अनुभव होना अनिवार्य होगा। साथ ही एजेंसी के पास वैध इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्टर लाइसेंस भी होना चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि इन शर्तों का उद्देश्य केवल अनुभवी और तकनीकी रूप से सक्षम एजेंसियों का चयन करना है।

यात्रियों को होगा फायदा, परिचालन होगा सुरक्षित
इस परियोजना के पूरा होने के बाद दिल्ली मंडल में रेल परिचालन पहले से अधिक सुरक्षित और सुचारु होगा। बिजली आपूर्ति में रुकावटें कम होंगी, ट्रेनों की समयबद्धता सुधरेगी और तकनीकी खराबी के कारण होने वाली देरी में कमी आएगी। आपात स्थिति में ट्रैक की पहचान आसान होने से त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी।


 
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