Pollution Health Effects: दिल्ली में प्रदूषण से परिंदे भी बेबस, आसमान में उखड़ रही सांस; स्मॉग में दबी चहचहाहट
Pollution Health Effects: प्रदूषण के कारण पक्षी ऊंची उड़ान नहीं भर पा रहे, सांस लेने में तकलीफ हो रही है और सुबह की चहचहाहट गायब सी हो गई है। अगर समय रहते कदम नहीं उठे तो जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य दोनों संकट में पड़ जाएंगे।
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दिल्ली-एनसीआर इन दिनों जहरीली हवा की गिरफ्त में है और इसका दुष्प्रभाव सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं रहा है। हवा में बढ़ते धूलकण, जहरीली गैसें और घने स्मॉग ने पूरे पर्यावरण को बीमार-सा बना दिया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि जहां इंसानी जीवन मुश्किल होता जा रहा है, वहीं बेजुबान पशु-पक्षी भी प्रदूषण की मार को चुपचाप सह रहे हैं।
कुदरत नहीं इंसानों की वजह से निरंतर बिगड़ती वायु गुणवत्ता ने पक्षियों के श्वसन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसकी वजह से वह ऊंची उड़ान भी नहीं भर पा रहे हैं। बेजुबानों के लिए हालत इस कदर खराब हो गए हैं कि कई पक्षियों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। यही वजह है कि सुबह सुनाई देने वाली पक्षियों की चहचहाहट भी कम सुनाई दे रही है। प्रदूषण के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली–एनसीआर की जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य दोनों ही गंभीर संकट में पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि वायु प्रदूषण सिर्फ पक्षियों को ही नहीं बल्कि कीड़े-मकौड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जो स्वयं पक्षियों का भोजन होते हैं।
इस तरह पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है। अरावली और नीला हौज जैव विविधता पार्क के साइंटिस्ट इंचार्ज डॉ. शाह हुसैन कहते हैं कि पक्षियों के फेफड़े इंसानों से ज्यादा नाजुक होते हैं, इसलिए प्रदूषण का असर उन पर अधिक गंभीर होता है। दिल्ली के चिकित्सालयों और रेस्क्यू सेंटर्स में घायल पक्षियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें कबूतर, तोते, चील, कोयल, कौए आदि शामिल हैं, जिनमें सबसे अधिक मामले कबूतरों के हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदूषण पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले समय में पक्षियों की संख्या में बड़ी गिरावट देखी जा सकती है।
आसमान में उखड़ रही सांस...
कभी जहां नीली खुली हवा में हम पंख फैलाकर उड़ा करते थे,वहीं अब हर सांस भारी हो गई है।हमारे छोटे-छोटे फेफड़े इस धुएं में घुटते हैं। पेड़ जिन पर हम बैठते थे, वही बीमार पड़ गए हैं। कभी सूरज की दिशा देखकर उड़ने वाले हम,अब धुएं की मोटी चादर में रास्ता टटोलते रहते हैं। हम चहकते थे, अब हम खामोश हैं। हम हवा के सहारे उड़ते थे, अब वही हवा हमें गिरा देने पर तुली लगती है।
वजीराबाद स्थित वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर के अध्यक्ष मोहम्मद सऊद ने बताया कि प्रदूषण का सीधा असर पक्षियों की सेहत पर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि आसमान ही पक्षियों का घर होता है, लेकिन इंसानों की लापरवाही के कारण अब ये घर भी प्रदूषण से भर गया है। हाल ही, में एक घायल कोयल को उनके पास लाया गया, जिसे सांस लेने में भारी परेशानी हो रही थी। अरावली जैव विविधता पार्क की वन्यजीव पारिस्थितिकीविद डॉ. आयशा सुल्ताना ने कहा कि शहरी इलाकों के साथ-साथ जंगलों में रहने वाले पक्षी भी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण बढ़ने से उनका भोजन ढूंढना कठिन हो गया है। वह बताती हैं कि जब पक्षियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता, तो उनकी प्रजनन क्षमता घटने लगती है।
भोजन न मिलने से उनके शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। यह स्थिति उनकी प्रजनन क्षमता तक प्रभावित कर रही है। पुरानी दिल्ली स्थित दिगंबर जैन लाल मंदिर के पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. हरअवतार सिंह बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों में पक्षियों में श्वसन संक्रमण और कमजोरी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि जब पक्षी पूरी तरह से ऑक्सीजन नहीं ले पाते, तो उड़ान भरना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। अस्पताल में हर दिन 10 से 12 घायल या बीमार पक्षियों को लाया जा रहा है। मौजूदा समय में यहां 200 से 250 पक्षियों का इलाज चल रहा है।