जेएनयू : आयुर्वेद और ऐलोपैथी की साथ-साथ होगी पढ़ाई, औषधियों पर रिसर्च होगी और दवा भी बनेगी
आज अधिकतर लोग लाइफस्टाइल से होने वाली दिक्कतों से परेशान हैं। जबकि हम अपनी दिनचर्या, खानपान में बदलाव करके इन दिक्कतों से निजात पा सकते हैं। बीएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी और एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के साथ-साथ हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिलेगा।

विस्तार
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लैंग्वेज के साथ आयुर्वेद और ऐलोपैथी की भी पढ़ाई होगी। पढ़ाई के साथ ही लाइफस्टाइल सुधारने की सीख भी दी जाएगी। सत्र 2023 से स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज और स्कूल ऑफ साइंसेज पांच वर्षीय बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के इंटीग्रेटिड कोर्स और हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है। इस डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स में योग, ध्यान, पंचकर्म, नेचरोपैथी के माध्यम से आम लोगों की आम दिक्कतों को सुधारने में मदद मिलेगी। खास बात यह है कि यहां लाइफस्टाइल से जुड़ी विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए दवा की बजाय पारंपरिक भारतीय खान-पान और दिनचर्या आदि के माध्यम से ठीक करने पर फोकस किया जाएगा।

जेएनयू की पूर्व छात्रा और पहली महिला कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री डी पंडित ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत उच्च शिक्षा में बदलाव किया जा रहा है। छात्रों को ऐसे कोर्स की पढ़ाई का मौका दिया जाएगा, जोकि उन्हें उद्यमी बनाएगा। इसी के तहत छात्रों को पारंपरिक विज्ञान यानी आयुर्वेद के साथ-साथ ऐलोपैथी से आधुनिक विज्ञान की पढ़ाई का विकल्प दिया जा रहा है। आज अधिकतर लोग लाइफस्टाइल से होने वाली दिक्कतों से परेशान हैं। जबकि हम अपनी दिनचर्या, खानपान में बदलाव करके इन दिक्कतों से निजात पा सकते हैं। बीएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी और एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के साथ-साथ हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिलेगा।
पढ़ाई के साथ भविष्य में दवा बनाने पर भी करेंगे काम
स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज के प्रो. सुधीर कुमार आर्या ने बताया कि आयुर्वेद और ऐलोपैथी को एक साथ जोड़कर पारंपरिक और आधुनिक सांइस के आधार पर पढ़ाई कराई जाएगी। अधिकतर लोगों को जो भी आजकल बीमारियां होती हैं, वे लाइफस्टाइल के कारण है। इसलिए उनका निदान भी हमारी दिनचर्या और खानपान से जुड़ा है। आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव हैं।
हालांकि किस औषधि की कितनी मात्रा लेनी है या उसका कैमिकल रिएक्शन ऐलोपेथी के विशेषज्ञ ही समझा सकते हैं। इसलिए दोनों के विशेषज्ञ एक साथ मिलकर पढ़ाई कराएंगे। पाठ्यक्रम में मौसमी बीमारियां ( जुकाम, सर्दी, बुखार आदि ), इम्यून सिस्टम को ठीक करने, स्वास्थ्य, रोग, संक्रमण,शरीर की प्रकृति(वात, पित व कफ), दिनचर्या (सुबह उठने से रात को सोने तक ) ऋतुचर्या ( क्या, कब, कैसे खाना है), रात्रिचर्या आदि के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाएगा। फिलहाल पढ़ाई से शुरुआत की जा रही है।
सीट राष्ट्रीय दाखिला प्रवेश परीक्षा की मेरिट से
प्रो. आर्या ने बताया कि बीएससी आयुर्वेद बायोलॉजी, एमएससी आयुर्वेद बायोलॉजी और हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस सर्टिफिकेट कोर्स में सीट राष्ट्रीय दाखिला प्रवेश परीक्षा की मेरिट से मिलेगी। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) दाखिला प्रवेश परीक्षा को आयोजित करेगी। किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पासआउट छात्र डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन पत्र भर सकेंगे। यह जेएनयू के प्रोफेशनल कोर्स की श्रेणी में आएगा, इसलिए फीस प्रोफेशनल कोर्स के आधार पर तय होगी। विश्वविद्यालय जल्द ही सीट और फीस तय कर लेगा।। सर्टिफिकेट कोर्स में दो सेमेस्टर होंगे और आयुर्वेद की बेसिक जानकारियां दी जाएंगी। जबकि डिग्री तीन साल की होगी, इसमें उसका विस्तार से अध्ययन और रिसर्च होगी।
इन्हें भी पढ़ाई में जानने का मिलेगा मौका
छात्रों को ऐलोवेरा, दालचीनी, हल्दी, सेंधा नमक, गुड़, शहद, बेसन, चना, दाल, चावल आदि के बारे में भी जानने का मौका मिलेगा। इसमें बताया जाएगा कि भारतीय रसोई एक छोटा दवा सेंटर हैं, जहां सुबह की चाय से लेकर रात को सोने तक विभिन्न माध्यमों से सेहत में सुधार किया जा सकता है। सेंटर में आयुर्वेदिक औषधियों और उससे कैसे हम लाइफस्टाइल बीमारियों को दूर कर सकते हैं आदि पर रिसर्च होगी। इसके अलावा इन्हीं रिसर्च पर आधारित दवा बनाने की भी योजना है।