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Engineer's Day 2025: भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया और इंजीनियर दिवस की कहानी; जानें कौन थे ये महापुरुष

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Sat, 13 Sep 2025 07:30 PM IST
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सार

Engineers Day 2025: 15 सितंबर को भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया की जयंती पर हर साल इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग को नई दिशा दी। कृष्णराज सागर डैम, बाढ़ नियंत्रण योजना और औद्योगिक विकास में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।
 

Engineers Day 2025: Remembering Bharat Ratna Sir M Visvesvaraya on Sept 15
Engineer's Day 2025 - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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Engineer's Day 2025: भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। यह दिन महान अभियंता, दूरदर्शी योजनाकार और समाज सुधारक सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की याद में समर्पित है। वे न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक अद्वितीय इंजीनियर, वैज्ञानिक और सफल प्रशासक के रूप में सम्मानित किए जाते हैं। साल 1955 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।

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विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में हुआ था। अनुशासन, ईमानदारी और देश के प्रति गहरी निष्ठा उनकी पहचान रही। उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग को नई दिशा दी और आधुनिक भारत की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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उल्लेखनीय योगदान

सर विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत के निर्माण में उनके कार्यों के लिए याद किया जाता है।

  • कृष्णराज सागर बांध का निर्माण
  • हैदराबाद में बाढ़ नियंत्रण योजना
  • स्वचालित स्लुइस गेट्स का आविष्कार


इसके अलावा, वे 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) भी रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा व्यवस्था, रेलवे विस्तार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।

सम्मान और उपाधियां

 

  • 1955 में भारत रत्न से सम्मानित
  • ब्रिटिश सरकार की ओर से KCIE (Knight Commander of the Order of the Indian Empire) की उपाधि
  • उन्हें भारतीय इंजीनियरिंग का "पितामह" भी कहा जाता है, जो एक लोकप्रिय और सम्मानजनक उपाधि है।

शिक्षा और करियर

अपनी प्रारंभिक पढ़ाई चिक्काबल्लापुर में करने के बाद वे बैंगलोर चले गए। 1881 में बैंगलोर से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद वे बॉम्बे प्रेसीडेंसी के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) से जुड़े।

मशहूर है ट्रेन का दिलचस्प किस्सा

उनके जीवन से जुड़ा एक प्रसंग बेहद मशहूर है। एक बार ट्रेन से सफर के दौरान अंग्रेज यात्री एक भारतीय का मजाक उड़ा रहे थे। तभी उस भारतीय ने अचानक ट्रेन की चेन खींच दी। सभी नाराज हो गए, लेकिन उसने कहा कि पटरियों में गड़बड़ी है। जांच हुई तो सचमुच कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई मिली। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि सर एम. विश्वेश्वरैया ही थे।

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