IIT Madras: शोधकर्ताओं ने परीक्षा चिंता के पीछे के कारण खोजे, FAA और HRV से तनावग्रस्त छात्रों की पहचान संभव
IIT: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के शोधकर्ताओं ने परीक्षा के समय छात्रों में चिंता बढ़ने के पीछे के कारण खोजे हैं। अध्ययन में FAA और HRV जैसे संकेतों से तनावग्रस्त छात्रों की पहचान करने की संभावना सामने आई है।
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IIT Madras Students: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास के शोधकर्ताओं ने ऐसे शारीरिक संकेत खोजे हैं, जिनसे पता लगाया जा सकता है कि कौन से छात्र परीक्षा के समय सबसे ज्यादा तनाव या चिंता महसूस करते हैं। इससे स्कूल और कॉलेज में छात्रों की मदद के लिए नए तरीके अपनाए जा सकेंगे, ताकि उनका तनाव कम हो और वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
अधिकारियों के अनुसार, यह खोज शैक्षिक प्रणालियों में तनाव प्रबंधन और सीखने के तरीके में बदलाव ला सकती है।
यह शोध बिहेवियरल ब्रेन रिसर्च में प्रकाशित हुआ है, जो एक अंतरराष्ट्रीय समकक्ष-समीक्षित पत्रिका है, जो मनुष्यों और पशुओं में व्यवहार और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के न्यूरोबायोलॉजिकल आधार पर अध्ययन प्रकाशित करती है।
81% भारतीय छात्र परीक्षा की चिंता से प्रभावित
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं का नया अध्ययन दिखाता है कि परीक्षा के दौरान तनाव या चिंता से जूझने वाले छात्रों में मस्तिष्क और हृदय अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। यह अध्ययन छात्रों की शुरुआती पहचान और व्यक्तिगत रणनीतियों को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है।
एनसीईआरटी (2022) के अनुसार, परीक्षा की चिंता लगभग 81% भारतीय छात्रों को प्रभावित करती है। इसका असर सिर्फ उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर ही नहीं पड़ता, बल्कि लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। कुछ छात्र दबाव में अच्छा प्रदर्शन कर लेते हैं, लेकिन कई छात्र तनाव में फंसकर टालमटोल करने लगते हैं और सही तरीके से सामना नहीं कर पाते।
परीक्षा के समय छात्रों में तनाव क्यों बढ़ता है?
आईआईटी मद्रास के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग के वेंकटेश बालासुब्रमण्यन के अनुसार, शोध दल ने यह समझने की कोशिश की कि परीक्षा के समय कुछ छात्रों को ज्यादा चिंता क्यों होती है। उन्होंने केवल छात्रों की खुद बताई गई भावनाओं पर भरोसा नहीं किया, बल्कि शारीरिक आंकड़ों और मापनीय संकेतों पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने पीटीआई को बताया, "उन्होंने पाया कि जब तनाव के दौरान मस्तिष्क-हृदय संचार नेटवर्क टूट जाता है, तो कुछ छात्रों में चिंता और बचने की प्रवृत्ति बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे अनुकूली और अनुपयुक्त परीक्षण प्रतिक्रियाओं के बीच स्पष्ट जैविक अंतर का पता चलता है।"
उन्होंने आगे कहा, "अध्ययन की सफलता दो शारीरिक संकेतकों को एकीकृत करने में निहित है: फ्रंटल अल्फा एसिमेट्री (FAA) - भावनात्मक विनियमन का एक मस्तिष्क-आधारित संकेतक - और हृदय गति परिवर्तनशीलता (HRV) - हृदय के अनुकूली नियंत्रण का एक माप। साथ मिलकर, ये संकेत चिंताग्रस्त छात्रों की पहचान करने में मदद करते हैं।"
IIT मद्रास के शोध से परीक्षा चिंता को समझने में मदद
बालासुब्रमण्यन के अनुसार, टीम ने पाया कि जिन छात्रों में नकारात्मक पैटर्न (FAA) होता है, उनके हृदय को तनाव के दौरान संतुलित रखना मुश्किल होता है। इसका मतलब है कि इन छात्रों में परीक्षा या मूल्यांकन के समय चिंता की प्रवृत्ति उनके दिल की सामान्य धड़कन और संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने कहा, "यह सूक्ष्म समझ शैक्षणिक तनाव के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदल देती है - इसे विशुद्ध मनोवैज्ञानिक मुद्दे के रूप में नहीं, बल्कि मापनीय शारीरिक अंतःक्रियाओं पर आधारित मुद्दे के रूप में।"
IIT मद्रास की शोधार्थी स्वाति परमेश्वरन ने बताया कि इस अध्ययन से छात्रों की मदद के कई नए तरीके सामने आ सकते हैं। अगर इन शारीरिक और मानसिक संकेतों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सिस्टम में इस्तेमाल किया जाए, तो ऐसे उपकरण बनाए जा सकते हैं जो सीधे यह बता सकें कि कौन सा छात्र तनाव या चिंता में है। इससे शिक्षक और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ पहले से ही इन छात्रों की मदद कर पाएंगे, बिना किसी बड़े संकट का इंतजार किए।
शारीरिक और मानसिक संकेतों से होगा पता
उन्होंने कहा, "निष्कर्ष व्यक्तिगत तनाव प्रबंधन और व्यवहारिक हस्तक्षेपों के डिजाइन का भी समर्थन करते हैं, जिन्हें स्कूल और विश्वविद्यालय के कल्याण कार्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है, तथा जो प्रतिक्रियात्मक उपचार के बजाय सक्रिय समर्थन प्रदान करते हैं।"
द्यपि यह अध्ययन अभी शुरुआती है, फिर भी 52 छात्रों के साथ किए गए इस शोध को शैक्षिक मनोविज्ञान और मस्तिष्क विज्ञान को जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
शोध टीम अब इसे और आगे बढ़ाने की योजना बना रही है। वे बड़े और अलग-अलग छात्रों के समूह को शामिल करेंगे और नींद के पैटर्न और गतिविधियों जैसे नए कारकों को भी देखेंगे। इसके अलावा, तनाव के समय हृदय और मस्तिष्क के बीच के संबंध को समझने के लिए उन्नत तकनीक जैसे EEG मैपिंग का इस्तेमाल किया जाएगा।