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Success Story: पहला स्टार्टअप रहा असफल, लाखों के कर्ज में डूबे; फिर बनाई करोड़ों की ब्रोकिंग फर्म

अमर उजाला Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 17 Nov 2025 05:40 AM IST
सार

ललित केशरे ने आईआईटी, बॉम्बे से पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया, जो असफल रहा। फिर उन्होंने फ्लिपकार्ट में काम किया, पर उसे भी छोड़कर ग्रो कंपनी की स्थापना की। उनकी कहानी सिखाती है कि अगर जज्बा हो, तो मुश्किल से मुश्किल हालात में भी रास्ते खुद बन जाते हैं।
 

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Why Lalit Keshre left job worth lakhs start broking firm success stories
ललित केशरे। - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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कभी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाला एक साधारण लड़का ललित केशरे आज करोड़ों निवेशकों के भरोसे का नाम बन चुका है। बचपन में पिता को खेतों में मेहनत करते देख उन्होंने समझ लिया था कि सफलता का रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन मेहनत और सीखने की लगन अगर साथ हो, तो कुछ भी संभव है। 
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ललित ने अपने सफर की शुरुआत एडुफ्लिक्स नामक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म से की थी। हालांकि, यह पहला प्रयास असफल रहा और उन पर कर्ज भी बढ़ गया। लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने नौकरी की, अपनी गलतियों से सीखा और एक नए सपने ‘ग्रो’ को हकीकत में बदल दिया। 
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ऐसे बनी भारत की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म
इस बार उन्होंने ठान लिया था कि जो भी करेंगे, सीखकर और समझदारी से करेंगे। परिणामस्वरूप, ग्रो आज भारत की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्मों में से एक बन चुकी है, जिसकी वैल्यू लगभग रुपये 70,000 करोड़ तक पहुंच गई है। ललित की कहानी यह सिखाती है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत की प्रेरणा होती है। खेतों की मिट्टी से निकला यह सपना आज लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की मिसाल बन गया है।

गांव छोटा, लेकिन सोच बड़ी
मध्य प्रदेश में जन्मे ललित केशरे का पालन-पोषण एक ऐसे किसान परिवार में हुआ, जो शिक्षा और नवाचार को बहुत महत्व देता था। बचपन से ही, उन्हें तकनीक और समस्याओं के समाधान में गहरी रुचि रही है। इसी जिज्ञासा ने वास्तव में एक उद्यमी के रूप में उनके सफर की नींव रखी। ललित के पिता किसान थे, लेकिन वे शिक्षा के महत्व को भली-भांति समझते थे और हमेशा ललित को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते थे। 

बारहवीं के बाद उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा दी और उत्कृष्ट रैंक के साथ उसे पास किया। इसके बाद उन्हें आईआईटी, बॉम्बे में प्रवेश मिला, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद ललित ने ‘एडूफ्लिक्स’ नाम से एक ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म शुरू किया। उनका उद्देश्य था शिक्षा को देश के हर कोने तक पहुंचाना, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका। कुछ ही समय में कंपनी बंद हो गई और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ गया।

दोस्तों के साथ रखी नींव
इसके बावजूद ललित ने हार नहीं मानी और फ्लिपकार्ट में ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर काम करना शुरू किया। हालांकि, उनके मन में कुछ बड़ा करने की चाह अब भी बनी हुई थी। फ्लिपकार्ट में काम करते हुए ललित की मुलाकात हर्ष जैन, नीरज सिंह और ईशान बंसल से हुई। तीनों ही युवा उद्यमशील सोच रखते थे। 2016 में ललित ने फ्लिपकार्ट की लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर अपने इन दोस्तों के साथ बंगलूरू में ग्रो की स्थापना की। शुरुआती दिनों में उन्हें कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे कंपनी ने गति पकड़ी और सफलता की ओर बढ़ती चली गई।

ऐसे सफल हुआ ग्रो
कुछ साल में इस स्टार्टअप ने देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म बनने का खिताब हासिल कर लिया है। ग्रो में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, सिकोइया कैपिटल और टाइगर ग्लोबल जैसे दिग्गज निवेशक अपना पैसा लगा चुके हैं। ग्रो निवेशकों को स्टॉक, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, आईपीओ, अमेरिकी स्टॉक, फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस, फिक्स्ड डिपॉजिट और सोने में निवेश करने की सुविधा प्रदान करती है। 

कंपनी का अपना एक ऐप है, जो स्टॉक ब्रोकिंग से जुड़ी सेवाएं बहुत ही कम कमीशन पर उपलब्ध कराता है। एक इंटरव्यू में ललित ने बताया कि ग्रो की सफलता का बड़ा कारण 'माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी' रही है। आज सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर ग्रो भारत का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट एप बन चुका है। इसकी सस्ती और पारदर्शी सेवाएं इसे लोगों के बीच और भी लोकप्रिय बना रही हैं। किसान परिवार में जन्मे ललित केशरे की आज की नेटवर्थ लगभग रुपये 247 करोड़ रुपये है, जो उनके संघर्ष, मेहनत और दूरदृष्टि की प्रेरक कहानी बयां करती है।

युवाओं को सीख
  •  असफलता वहीं खत्म होती है, जहां सीखना शुरू होता है।
  •  बड़े सपनों की शुरुआत अक्सर छोटे गांवों से होती है।
  •  कर्ज बोझ नहीं होता, अगर हौसला उसे अवसर में बदल दे।
  •  गलतियां वही करते हैं जो कुछ नया करने की हिम्मत रखते हैं।
  •  जो जमीन से जुड़ा रहता है, वही आसमान छूता है।

 

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