{"_id":"69080b0573eac2f724060fa3","slug":"burdened-with-millions-in-debt-and-having-given-up-on-his-dream-of-studying-abroad-news-in-hindi-2025-11-03","type":"story","status":"publish","title_hn":"रोशनी यहां है: लाखों का कर्ज, विदेश से पढ़ाई का सपना भी छोड़ा; कुछ ऐसे कुलदीप ने खड़ा किया सोलर स्टार्टअप","category":{"title":"Success Stories","title_hn":"सफलताएं","slug":"success-stories"}}
रोशनी यहां है: लाखों का कर्ज, विदेश से पढ़ाई का सपना भी छोड़ा; कुछ ऐसे कुलदीप ने खड़ा किया सोलर स्टार्टअप
न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Mon, 03 Nov 2025 07:24 AM IST
सार
गुजरात के अमरेली जिले के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुलदीप सोरठिया का कनाडा जाने का सपना लोन रिजेक्शन से टूट गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2017 में महज 15,000 रुपये से ‘केस्क्वायर एनर्जी’ की शुरुआत की और आज उनकी कंपनी 74 करोड़ रुपये का राजस्व कमा चुकी है। कुलदीप की कहानी अब युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। आइए जानते है कि कैसे एक किसान के बेटे ने 74 करोड़ का सोलर स्टार्टअप किया?
विज्ञापन
युवाओं की प्रेरणा है कुलदीप की कामयाबी
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विज्ञापन
विस्तार
गुजरात के छोटे से गांव कोल्डा के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुलदीप सोरठिया ने बचपन से बड़े सपने देखे थे। वह कनाडा जाकर पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन जब उनका शिक्षा ऋण अस्वीकार हो गया, तो उनकी सारी उम्मीदें टूट गईं। पहले से ही कर्ज में डूबे परिवार की स्थिति ने हालात और कठिन बना दिए, लेकिन कुलदीप ने हार मानने के बजाय नया रास्ता चुना। उन्होंने नौकरी छोड़कर 2017 में सोलर स्टार्टअप ‘केस्क्वायर एनर्जी’ की नींव रखी।
सीमित संसाधनों और संघर्षों के बावजूद उनकी मेहनत रंग लाई। अब तक कंपनी ने 74 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया। एक असफलता से शुरू हुआ यह सफर आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। कुलदीप ने दिखाया है कि एक छोटे शहर और कम पूंजी के साथ भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
किराये के कमरे से की शुरुआत
गुजरात के अमरेली जिले के एक किसान परिवार में जन्मे कुलदीप का बचपन 15 से 17 लाख रुपये के कर्ज और गरीबी में बीता। जब कनाडा में मास्टर्स के लिए उनका एजुकेशन लोन खारिज हुआ, तो वह पूरी तरह टूट गए। खारिज होने की वजह यह थी कि उनके परिवार के पास कोई इनकम टैक्स रिटर्न नहीं था। लेकिन, इसी रिजेक्शन ने उन्हें एक नई राह दिखाई। कुलदीप सोरथिया ने जब अपने सपनों को नया रूप देने का फैसला किया, तब उनके पास सिर्फ 15,000 रुपये की बचत थी और अहमदाबाद में 150 वर्ग फुट का एक छोटा-सा किराये का कमरा।
लेकिन हिम्मत और विश्वास उनसे कहीं ज्यादा बड़ा था। अपने भाई कल्पेश के साथ उन्होंने उसी छोटे कमरे से केस्क्वेयर एनर्जी की शुरुआत की। न कोई आलीशान दफ्तर था, न बड़ी टीम बस सौर ऊर्जा की ताकत में विश्वास और सफलता पाने का दृढ़ निश्चय। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। आज केस्क्वेयर एनर्जी भारत की सबसे तेजी से बढ़ती सौर ऊर्जा कंपनियों में से एक है। यह 8,000 से ज्यादा घरों को बिजली देती है, 650 से ज्यादा ईपीसी फर्मों को सप्लाई करती है और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत देश के शीर्ष 10 विक्रेताओं में शामिल है। किराये के एक कमरे से शुरू हुआ यह छोटा सपना अब देश भर के घरों में रोशनी बन चुका है।
कोई बाहरी निवेश नहीं
कुलदीप ने अब तक अपनी कंपनी के लिए कोई बाहरी निवेश नहीं लिया है, यानी उनका वेंचर पूरी तरह बूटस्ट्रैप्ड है। कुलदीप के वेंचर को बाजार में दो चीजों ने अलग खड़ा किया है। पहला, उनकी ग्राहक-केंद्रित सेवा और दूसरा, पांच-साल की 'जीरो लॉस गारंटी'। स्कीम के तहत अगर ग्राहक का सोलर सिस्टम 48 घंटे से ज्यादा समय तक बंद रहता है, तो कंपनी उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई करती है। ग्राहकों के लिए काम आसान बनाने के लिए कंपनी मुफ्त साइट विजिट, सरकारी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने और इंस्टॉलेशन के बाद सपोर्ट भी प्रदान करती है। कुलदीप का मकसद सिर्फ बिजली पहुंचाना नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा और रोजगार के जरिये लोगों की जिंदगी बेहतर बनाना है। कुलदीप को 'गुजरात एनर्जी इनोवेशन अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
निराशाजनक अनुभव से साहसिक कदम उठाएं
कुलदीप ने अपना काम एक कमीशन एजेंट के तौर पर शुरू किया, जहां वे दूसरी कंपनियों के सौर उत्पाद बेचते थे। लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ आ गया कि सही बदलाव लाने के लिए उन्हें खुद अच्छी गुणवत्ता और बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करनी होगी। सौर क्षेत्र में काम करते हुए वे बार-बार एक जैसी शिकायतें सुनते थे, जैसे-उपकरण खराब होना, सही तरह से काम न करना और खराब सर्विस। इन शिकायतों को नजरअंदाज करने के बजाय कुलदीप ने ध्यान से सुना। इन्हीं परेशानियों ने उन्हें बड़ा कदम उठाने की प्रेरणा दी और उन्होंने खुद सौर उत्पाद बनाने, यानी विनिर्माण का काम शुरू किया।
युवाओं को सीख
Trending Videos
सीमित संसाधनों और संघर्षों के बावजूद उनकी मेहनत रंग लाई। अब तक कंपनी ने 74 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया। एक असफलता से शुरू हुआ यह सफर आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। कुलदीप ने दिखाया है कि एक छोटे शहर और कम पूंजी के साथ भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
किराये के कमरे से की शुरुआत
गुजरात के अमरेली जिले के एक किसान परिवार में जन्मे कुलदीप का बचपन 15 से 17 लाख रुपये के कर्ज और गरीबी में बीता। जब कनाडा में मास्टर्स के लिए उनका एजुकेशन लोन खारिज हुआ, तो वह पूरी तरह टूट गए। खारिज होने की वजह यह थी कि उनके परिवार के पास कोई इनकम टैक्स रिटर्न नहीं था। लेकिन, इसी रिजेक्शन ने उन्हें एक नई राह दिखाई। कुलदीप सोरथिया ने जब अपने सपनों को नया रूप देने का फैसला किया, तब उनके पास सिर्फ 15,000 रुपये की बचत थी और अहमदाबाद में 150 वर्ग फुट का एक छोटा-सा किराये का कमरा।
लेकिन हिम्मत और विश्वास उनसे कहीं ज्यादा बड़ा था। अपने भाई कल्पेश के साथ उन्होंने उसी छोटे कमरे से केस्क्वेयर एनर्जी की शुरुआत की। न कोई आलीशान दफ्तर था, न बड़ी टीम बस सौर ऊर्जा की ताकत में विश्वास और सफलता पाने का दृढ़ निश्चय। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। आज केस्क्वेयर एनर्जी भारत की सबसे तेजी से बढ़ती सौर ऊर्जा कंपनियों में से एक है। यह 8,000 से ज्यादा घरों को बिजली देती है, 650 से ज्यादा ईपीसी फर्मों को सप्लाई करती है और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत देश के शीर्ष 10 विक्रेताओं में शामिल है। किराये के एक कमरे से शुरू हुआ यह छोटा सपना अब देश भर के घरों में रोशनी बन चुका है।
कोई बाहरी निवेश नहीं
कुलदीप ने अब तक अपनी कंपनी के लिए कोई बाहरी निवेश नहीं लिया है, यानी उनका वेंचर पूरी तरह बूटस्ट्रैप्ड है। कुलदीप के वेंचर को बाजार में दो चीजों ने अलग खड़ा किया है। पहला, उनकी ग्राहक-केंद्रित सेवा और दूसरा, पांच-साल की 'जीरो लॉस गारंटी'। स्कीम के तहत अगर ग्राहक का सोलर सिस्टम 48 घंटे से ज्यादा समय तक बंद रहता है, तो कंपनी उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई करती है। ग्राहकों के लिए काम आसान बनाने के लिए कंपनी मुफ्त साइट विजिट, सरकारी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने और इंस्टॉलेशन के बाद सपोर्ट भी प्रदान करती है। कुलदीप का मकसद सिर्फ बिजली पहुंचाना नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा और रोजगार के जरिये लोगों की जिंदगी बेहतर बनाना है। कुलदीप को 'गुजरात एनर्जी इनोवेशन अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
निराशाजनक अनुभव से साहसिक कदम उठाएं
कुलदीप ने अपना काम एक कमीशन एजेंट के तौर पर शुरू किया, जहां वे दूसरी कंपनियों के सौर उत्पाद बेचते थे। लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ आ गया कि सही बदलाव लाने के लिए उन्हें खुद अच्छी गुणवत्ता और बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करनी होगी। सौर क्षेत्र में काम करते हुए वे बार-बार एक जैसी शिकायतें सुनते थे, जैसे-उपकरण खराब होना, सही तरह से काम न करना और खराब सर्विस। इन शिकायतों को नजरअंदाज करने के बजाय कुलदीप ने ध्यान से सुना। इन्हीं परेशानियों ने उन्हें बड़ा कदम उठाने की प्रेरणा दी और उन्होंने खुद सौर उत्पाद बनाने, यानी विनिर्माण का काम शुरू किया।
युवाओं को सीख
- अगर इरादा मजबूत हो, तो असफलताएं भी सफलता की सीढ़ी बन जाती हैं।
- हार से डरने वाले नहीं, हार से सीखने वाले ही आगे बढ़ते हैं।
- सपने टूटने पर रुकना नहीं, उन्हें
- नया रूप देना ही असली हिम्मत है।
- जहां हालात साथ न दें, वहां हौसले काम आते हैं।