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Success Story: रिजेक्शन से उठी जिद! 50 हजार से शुरू किया सफर, अब 12 राज्यों में कारोबार; हजारों को मिला रोजगार

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: शिवम गर्ग Updated Mon, 01 Dec 2025 07:08 AM IST
सार

नीरज तिवारी को अपने शुरुआती दिनों में कई बार नौकरी के लिए रिजेक्शन झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी अलग राह बनाई। उन्होंने एचसीसीआईएल कंपनी की स्थापना की, जो प्रौद्योगिकी और प्रबंधन सेवाओं के क्षेत्र में काम करती है। इस कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है...

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Neeraj Tiwari Success Story: How ₹50,000 Startup Expanded to 12 States and Created Thousands of Jobs
नीरज तिवारी, एचसीसीआईएल कंपनी के संस्थापक - फोटो : Amar Ujala Graphics
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विस्तार
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जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी ऐसे मोड़ पर खड़ा होता है, जब चुनौतियां और असफलताएं उसे आगे बढ़ने से रोकने लगती हैं। नीरज तिवारी भी ऐसे ही समय में थे, जब लगातार नौकरी में रिजेक्शन उनके सामने बाधाओं की तरह उभर रहे थे। हर असफल प्रयास उनके अंदर की उम्मीद को धीरे-धीरे कम करता जा रहा था। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। 2012 में, केवल 50 हजार रुपये की सीमित पूंजी और ढेरों शंकाओं के साथ, नीरज ने हाईटेक ह्यूमन कैपिटल (इंडिया) लिमिटेड (एचएचसीआईएल) कंपनी की नींव रखी। यह कोई बड़ी शुरुआत नहीं थी, बस एक छोटा कदम था। धीरे-धीरे इस छोटे से प्रयास ने आकार लेना शुरू किया। एचएचसीआईएल ने सुरक्षा गार्ड और सुविधा प्रबंधन सेवाओं के क्षेत्र में भरोसे का नाम कमाया। समय के साथ कंपनी का विस्तार हुआ और चार हजार से अधिक कर्मचारी इस सपने का हिस्सा बने। कंपनी अब 12 राज्यों में अपनी सेवाएं दे रही है और लगातार विकसित हो रही है। आज, नीरज तिवारी की दूरदर्शिता के चलते एचएचसीआईएल ने लगभग एक हजार करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व हासिल कर लिया है।

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अपना रास्ता खुद बनाया
नीरज तिवारी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नौकरी की तलाश शुरू की, तो उन्हें लगातार असफलताओं और निराशाओं का सामना करना पड़ा। हर जगह से उन्हें वही परिचित जवाब मिलता ‘हम आपको कॉल करेंगे।’ इस बार-बार मिलने वाली हताशा ने उन्हें गहराई से सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने महसूस किया कि यदि वे सिर्फ अवसरों का इंतजार करते रहे, तो सफलता का रास्ता कठिन और अनिश्चित रहेगा। इसी सोच ने उन्हें यह निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया कि अब वे अपने अवसर स्वयं बनाएंगे, दूसरों के भरोसे नहीं रहेंगे। इसी नवीन दृष्टिकोण के साथ उन्होंने एचएचसीआईएल की नींव रखी। नीरज का उद्देश्य केवल अपने कॅरिअर को आगे बढ़ाना नहीं था, बल्कि वह यह भी चाहते थे कि उनके प्रयासों से दूसरों के लिए नए रोजगार और विकास के अवसर भी खुलें। यही सोच और उद्देश्य आगे चलकर कंपनी की पहचान बन गया।
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सिर्फ दस कर्मचारियों से की शुरुआत
एचएचसीआईएल की शुरुआत एक छोटे से उद्यम के रूप में हुई थी, लेकिन समय के साथ यह एक मजबूत और तेजी से बढ़ती कंपनी बन गई। यह यात्रा बिल्कुल आसान नहीं थी। शुरुआत में कंपनी के पास केवल दस कर्मचारी और 50 हजार रुपये की सीमित पूंजी थी। सुरक्षा और सुविधा प्रबंधन के क्षेत्र में पहले से कई बड़ी कंपनियां मौजूद थीं, इसलिए नए ग्राहकों का भरोसा जीतना नीरज तिवारी के लिए एक बड़ी चुनौती थी। मगर लगातार मेहनत, बेहतर सेवाएं और गुणवत्तापूर्ण काम ने धीरे-धीरे उनको अपनी अलग पहचान दिला दी।

छह साल के भीतर पहुंचे शिखर पर
एचएचसीआईएल में नीरज ने शुरुआत से ही क्वालिटी पर जोर दिया। उन्होंने कम लागत में बेहतर सेवाएं प्रदान करनी शुरू कीं और धीरे-धीरे मार्केट में अपनी मजबूत पहचान बना ली। समय के साथ उन्होंने कंपनी का दायरा भी लगातार बढ़ाया। आज कंपनी कई तरह की सेवाएं देती है, जिनमें सिक्योरिटी सॉल्यूशन, कैश सॉल्यूशन, फैसिलिटी मैनेजमेंट, कॉरपोरेट रिस्क मैनेजमेंट और बैकग्राउंड वेरिफिकेशन जैसी प्रमुख सेवाएं शामिल हैं। वर्तमान में एचएचसीआईएल की मौजूदगी 12 राज्यों में है और कंपनी में लगभग चार हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी अब आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एचएचसीआईएल का लक्ष्य वित्त वर्ष 2027-28 तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना है। कंपनी की उत्कृष्टता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लॉन्च के केवल छह साल बाद ही एचएचसीआईएल को गुजरात की सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा एजेंसी का दर्जा मिल गया था। इसी तरह, 2017 में नीरज तिवारी को ‘यंग अचीवर्स ऑफ द ईयर’ सम्मान से नवाजा गया।

युवाओं को सीख

  • जब शुरुआत छोटी हो, तो मेहनत ही वह रास्ता है, जिसे दुनिया पहचानती है।
  • बड़ी कंपनियां संसाधनों से बनती हैं, पर पहचान विश्वास और गुणवत्ता से ही मिलती है।
  • चुनौतियां रास्ता रोकती नहीं, बल्कि यह परखती हैं कि आपका इरादा कितना सच्चा है।
  • सीमित पूंजी आपके कदम रोक सकती है, लेकिन दृष्टि और साहस आपकी दिशा तय करते हैं।
  • सफलता वहीं जन्म लेती है, जहां डर खत्म होता है और पहले कदम की हिम्मत शुरू होती है।
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