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Kerala: क्रिसमस समारोह रद्द करने वाले स्कूलों पर बरसे शिवनकुट्टी, कहा- 'धर्म के नाम पर भेदभाव बर्दाश्त नहीं'

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Sun, 21 Dec 2025 07:54 PM IST
सार

Kerala: केरल सरकार ने कुछ निजी स्कूलों में क्रिसमस समारोह पर रोक और छात्रों से ली गई राशि लौटाने की खबरों की कड़ी निंदा की है। शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि स्कूलों को सांप्रदायिक एजेंडे का मंच नहीं बनने दिया जाएगा और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
 

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Kerala Govt Slams Ban on Christmas Celebrations in Schools, Warns Against Communal Practices
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी - फोटो : एएनआई फाइल फोटो
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विस्तार
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Kerala: केरल सरकार ने रविवार को उन रिपोर्ट्स पर सख्त आपत्ति जताई, जिनमें दावा किया गया है कि कुछ निजी स्कूल प्रबंधन ने क्रिसमस समारोह आयोजित करने पर रोक लगा दी और कार्यक्रम के लिए छात्रों से लिया गया शुल्क बाद में लौटा दिया। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि स्कूलों को किसी भी हाल में सांप्रदायिक प्रयोगशाला बनने नहीं दिया जाएगा।

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सरकार ने कहा कि केरल जैसे राज्य में इस तरह की घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं। केरल की पहचान लंबे समय से मजबूत लोकतांत्रिक चेतना और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए रही है। ऐसे में शिक्षा संस्थानों में धर्म के आधार पर भेदभाव की कोई भी कोशिश राज्य की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है।
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इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि केरल के स्कूलों में ऐसे किसी भी मॉडल को लागू नहीं होने दिया जाएगा, जो धर्म या आस्था के नाम पर समाज को बांटने का काम करे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में देखे गए विभाजनकारी तौर-तरीकों को केरल की शिक्षा व्यवस्था में जगह नहीं मिलेगी।

नफरत या विभाजन के बीज बोना स्वीकार नहीं: शिवनकुट्टी

शिवनकुट्टी ने कहा कि स्कूल ऐसे स्थान होते हैं, जहां बच्चे जाति, धर्म और समुदाय से ऊपर उठकर एक साथ सीखते और आगे बढ़ते हैं। छात्रों के बीच नफरत या विभाजन के बीज बोने की कोई भी कोशिश पूरी तरह अस्वीकार्य है।

उन्होंने याद दिलाया कि केरल के स्कूलों में परंपरागत रूप से ओणम, क्रिसमस और ईद जैसे त्योहार मिल-जुलकर मनाए जाते रहे हैं। इन आयोजनों के जरिए बच्चों में आपसी सम्मान, प्रेम और सह-अस्तित्व की भावना विकसित होती है। यह साझा उत्सव केरल की शिक्षा संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं।

मंत्री ने स्कूलों के इस फैसले को बताया क्रूर

शिक्षा मंत्री ने कुछ निजी स्कूलों द्वारा पहले छात्रों से पैसा लेने और बाद में समारोह रद्द करने के फैसले को “क्रूर” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले सीधे तौर पर बच्चों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं और उनके मन पर नकारात्मक असर डालते हैं।

शिवनकुट्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि चाहे स्कूल सहायता प्राप्त हों या निजी, सभी शिक्षण संस्थान भारत के संविधान, शिक्षा नियमों और देश के कानूनों के तहत संचालित होते हैं। सभी स्कूलों की जिम्मेदारी है कि वे धर्मनिरपेक्षता और समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों का पालन करें।

मंत्री ने दी ये चेतावनी

उन्होंने चेतावनी दी कि स्कूलों को संकीर्ण राजनीतिक या सांप्रदायिक हितों को साधने का माध्यम नहीं बनने दिया जाएगा। किसी एक समुदाय के त्योहार पर चुनिंदा तरीके से रोक लगाना भेदभाव है और सरकार इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।

शिक्षा मंत्री ने दोहराया कि केरल की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की गरिमा और परंपराओं को कमजोर करने वाली किसी भी कार्रवाई को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को तत्काल जांच करने और विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही शिवनकुट्टी ने बताया कि क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान कुछ स्कूलों में अनिवार्य विशेष कक्षाएं आयोजित किए जाने को लेकर छात्रों और अभिभावकों से शिकायतें मिली हैं। उन्होंने साफ कहा कि छुट्टियों के समय किसी भी तरह की जबरन कक्षाएं नहीं कराई जानी चाहिए।

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