VijAIpatha: कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाएगा AI और रोबोटिक्स, वित्त मंत्री ने शुरू की विजयीपथ पहल
VijAIpatha: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने "विजयीपथ" पहल लॉन्च की, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में एआई, एसटीईएम और रोबोटिक्स लैब स्थापित होंगी। इससे 2,000 से ज्यादा छात्रों और 200 शिक्षकों को लाभ मिलेगा। यह पहल एनईपी 2020 और विकसित भारत 2047 के अनुरूप है।
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VijAIpatha: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कर्नाटक में Cyient AI Labs (CyAILS) - "VijAIpatha" पहल की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), एसटीईएम (STEM) और रोबोटिक्स शिक्षा तक आसान और समान पहुंच सुनिश्चित करना है। यह योजना होसपेटे तालुक के एक बालिका सरकारी स्कूल में लॉन्च की गई।
वित्त मंत्री कार्यालय की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस पहल से जुड़ी तस्वीरें साझा की गईं। बताया गया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत सरकारी स्कूलों में पांच अत्याधुनिक एआई, एसटीईएम और रोबोटिक्स लैब स्थापित की जा रही हैं।
लैब्स में मिलेंगी ये सुविधाएं
इन लैब्स में हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटर, एआई के लिए तैयार सॉफ्टवेयर, रोबोटिक्स किट, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस, सेंसर और सुरक्षित ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा दी जाएगी, ताकि छात्र आधुनिक तकनीकों से सीधे जुड़ सकें।
वित्त मंत्री कार्यालय के अनुसार, यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, डिजिटल इंडिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 विजन के अनुरूप है। कार्यक्रम में सीबीएसई के एआई पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है और इससे सरकारी स्कूलों में तकनीक आधारित पढ़ाई को मजबूती मिलेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भविष्य की तकनीकों से परिचित कराना उद्देश्य
यह पहल खासतौर पर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों पर केंद्रित है। इसका मकसद स्कूल स्तर पर ही भविष्य की तकनीकों से छात्रों को परिचित कराना है, जिससे उनमें डिजिटल समझ, कम्प्यूटेशनल सोच और नवाचार की क्षमता विकसित हो सके।
विजयीपथ पहल से 2,000 से ज्यादा छात्रों को लाभ मिलेगा और 200 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे एक ऐसा स्केलेबल सीएसआर मॉडल बताया गया है, जो नवाचार, करियर की तैयारी और जमीनी स्तर पर डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।
वित्त मंत्री कार्यालय ने यह भी कहा कि इस पहल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसे आसानी से अन्य जिलों और राज्यों में शिक्षा विभागों के सहयोग से लागू किया जा सके। इसे राष्ट्रीय स्तर पर एआई शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक बेंचमार्क सीएसआर मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।