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NTA: 2026 से जेईई-नीट जैसी बड़ी परीक्षाओं में लागू होगा फेस रिकग्निशन सिस्टम, एनटीए की बड़ी तैयारी

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Tue, 23 Dec 2025 09:05 PM IST
सार

NTA: एनटीए 2026 से नीट और जेईई जैसी बड़ी परीक्षाओं में फेस रिकग्निशन सिस्टम लागू करने की तैयारी कर रहा है। पहचान सत्यापन के लिए आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन और लाइव फोटो कैप्चर का विकल्प दिया जाएगा।
 

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NTA to Introduce Facial Recognition in NEET, JEE Exams from 2026 to Prevent Impersonation
Face Recognition - फोटो : Freepik
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विस्तार
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Face Recognition In NEET, JEE: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) वर्ष 2026 से नीट और जेईई जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं में फेस रिकग्निशन सिस्टम लागू करने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, इसका उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना और नकल या फर्जी उम्मीदवारों की समस्या पर रोक लगाना है।

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इसके साथ ही एनटीए परीक्षा आवेदन प्रक्रिया में लाइव फोटो कैप्चर का विकल्प भी जोड़ने जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवेदन करने वाला और परीक्षा देने वाला व्यक्ति एक ही हो।

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नीट 2025 में किया गया था ट्रायल

सूत्रों के मुताबिक, नीट 2025 परीक्षा के दौरान भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (PoC) सफलतापूर्वक पूरा किया था। इसका मकसद यह जांचना था कि आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन उम्मीदवारों की पहचान सत्यापित करने में कितना प्रभावी है।

इस ट्रायल के दौरान दिल्ली के कुछ चयनित नीट परीक्षा केंद्रों पर फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का उपयोग किया गया था। इसे एनआईसी के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और एनटीए की परीक्षा प्रक्रिया के साथ जोड़ा गया था। सूत्रों ने बताया कि यह प्रयोग सफल रहा और अब इसी प्रणाली को 2026 से अन्य बड़ी प्रवेश परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा।

लाइव फोटो कैप्चर का विकल्प भी होगा लागू

एनटीए आवेदन प्रणाली में एक नया फीचर जोड़ने जा रहा है, जिसमें उम्मीदवारों को आवेदन करते समय लाइव फोटो खींचने का विकल्प दिया जाएगा। यह फोटो वेबकैम या मोबाइल कैमरे से ली जाएगी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी उम्मीदवार अनुचित साधनों का इस्तेमाल न कर सके और किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर परीक्षा न दे सके।

कैसे काम करता है फेस बायोमेट्रिक सिस्टम?

फेस बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली किसी व्यक्ति की पहचान उसके चेहरे की खास बनावट के आधार पर करती है। इसमें आंखों के बीच की दूरी, नाक का आकार और चेहरे की संरचना जैसे बिंदुओं का विश्लेषण किया जाता है।

इन जानकारियों से एक डिजिटल टेम्पलेट तैयार किया जाता है, जिसे पहले से मौजूद डेटा से मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली जाती है।

वहीं, रियल-टाइम फोटो कैप्चर सिस्टम ऑनलाइन आवेदन या परीक्षा प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार की तुरंत फोटो लेकर फर्जीवाड़े और पहचान बदलने की कोशिशों को रोकता है।

राधाकृष्णन समिति की सिफारिश

यह सभी सुझाव राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों के आधार पर दिए गए हैं। इस समिति का गठन केंद्र सरकार ने कथित पेपर लीक और परीक्षा में गड़बड़ियों की घटनाओं के बाद किया था।

एनटीए का मानना है कि इन नई तकनीकों के लागू होने से परीक्षा प्रणाली अधिक सुरक्षित होगी और देशभर में होने वाली बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ेगी।

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