Motivation Tips: सीखने की राह में थकान को दें मात, जानें आसान-असरदार टिप्स; बनी रहेगी आपकी ऊर्जा और प्रेरणा
Learning motivation tips: सीखने की राह में कभी-कभी थकान रुकावट बन सकती है, लेकिन कुछ छोटे-छोटे आसान उपाय अपनाकर आप खुद को लगातार ऊर्जा और प्रेरणा से भर सकते हैं, और अपने सीखने के सफर को बिना रुके जारी रख सकते हैं।
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Productivity: चाहे आप किसी टीम का नेतृत्व करना चाहते हों या अपनी मौजूदा भूमिका में महत्वपूर्ण बने रहना, लगातार सीखते रहना ही सफलता की कुंजी है। ऐसा न करने से आप प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पीछे छूट जाएंगे। लेकिन अक्सर लोग दिनभर की थकान के कारण समय और ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं। थकान उनकी सीखने की इच्छा और उत्साह को कम कर देती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो आपको कुछ ऐसी रणनीतियों पर ध्यान देना चाहिए, जो थकावट के बावजूद आपको सीखते रहने में मदद करें।
थकान की वजह को समझें
जब आप थक जाते हैं, तो अक्सर लगता है कि दिमाग में अब कुछ नया सीखने की जगह ही नहीं बची। लेकिन असल में सीखने में रुकावट थकान से ज्यादा यह मान लेना है कि आप कुछ कर ही नहीं पाएंगे। इसलिए पहले अपनी थकान को समझने की कोशिश करें। क्या सच में आप बिल्कुल भी सक्षम नहीं हैं, या बस मन नहीं कर रहा? खुद से यह सवाल करें कि थके होने के बावजूद आप कौन-सी छोटी-छोटी चीजें आसानी से कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण आपको उन नकारात्मक विचारों पर जीत दिलाता है, जो आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं।
गैर-जरूरी चीजों से दूर रहें
हर व्यक्ति के पास दिन के केवल 24 घंटे होते हैं, जिनमें उन्हें कई जरूरी काम पूरे करने होते हैं। अगर आप दिखावे वाले कामों में ऊर्जा खर्च करेंगे, तो असली कौशल सीखने पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए गैर-जरूरी चीजों में समय न गंवााएं। नए कौशल सीखें और उन्हें दूसरों को भी समझाएं। इससे आपकी समझ गहरी होगी, आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपकी प्रगति स्पष्ट दिखाई देगी।
सीखना जारी रखें
कई पेशेवर या छात्र मानते हैं कि डिग्री या सर्टिफिकेशन कोर्स करना नए कौशल सीखने का सबसे अच्छा जरिया है। ऐसे तरीके नौकरी के लिए हमेशा व्यावहारिक नहीं होते हैं। इसके अलावा भी सीखने के कई अन्य तरीके हैं, जैसे अपने सहकर्मियों से सीखना, गुरु या मेंटर से सलाह लेना या अपनी टीम से फीडबैक मांगना आदि। ये तरीके अधिक व्यावहारिक हो सकते हैं।
भावनाओं पर हो नजर
सीखना तभी आसान और मजेदार लगता है, जब विषय आपकी दिलचस्पी से जुड़ा हो। मतलब, अगर आप वही चीजें सीख रहे हैं, जो आपको सच में पसंद है, तो दिमाग खुद-ब-खुद उसमें लग जाता है। इसलिए सिर्फ पढ़ना या नई चीजें करना ही काफी नहीं है। उससे भावनात्मक रूप से जुड़ना, उसे अपनी पसंद और जीवन के लक्ष्यों से जोड़ना भी जरूरी है। और अगर आप अपनी व्यस्त दिनचर्या में भी सीखने या खुद के लिए समय निकाल रहे हैं, तो ऐसा आप अपने मूल्यों के लिए कर रहे हैं।