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Punjab University: पंजाब विवि में हरियाणा की हिस्सेदारी पर गृह मंत्रालय लेगा फैसला, 28 साल बाद फिर उठी मांग

सीमा शर्मा Published by: शाहीन परवीन Updated Thu, 06 Nov 2025 10:58 AM IST
सार

Haryana government: 28 साल बाद हरियाणा सरकार ने एक बार फिर पंजाब विश्वविद्यालय में अपनी हिस्सेदारी की मांग उठाई है। इस मामले पर अब अंतिम फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय करेगा। वर्ष 1997 में हरियाणा ने विश्वविद्यालय में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी थी, लेकिन अब राज्य ने इसे पुनः बहाल करने की मांग की है।

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Punjab University: Home Ministry to Decide on Haryana’s Stake, Demand Revived After 28 Years
पंजाब यूनिवर्सिटी - फोटो : फाइल
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विस्तार
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Home Ministry decision: पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा को हिस्सेदारी मिलेगी या नहीं इस पर फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय करेगा। हरियाणा सरकार ने 28 साल बाद पंजाब विश्वविद्यालय में फिर से अपनी हिस्सेदारी मांगी है। वर्ष 1997 में हरियाणा सरकार ने विश्वविद्यालय में अपनी हिस्सेदारी को छोड़ दिया था। 
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कई साल बाद अब हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ इंटर स्टेट काउंसिल को पत्र लिखा है। यह देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जो संसद में पारित अंतर-राज्यीय निगमित निकाय के तहत गठित है। इसके सभी फैसलों का अधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है। इसीलिए हरियाणा की मांग का निपटारा भी गृह मंत्रालय करेगा।
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एक अधिकारी ने बताया, हरियाणा सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय पर अपना हक मांगा है। वर्ष 1997 में हरियाणा सरकार ने पीयू से अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी थी। यदि पीयू में हरियाणा की हिस्सेदारी आती है तो सीनेट और सिडिंकेट में हरियाणा के मुख्यमंत्री, हरियाणा के शिक्षा सचिव समेत अन्य अधिकारियों को भी जगह मिलेगी।

फिलहाल, केंद्र सरकार के पास पीयू का 83 फीसदी हिस्सा है। शुरुआत में यह 20 फीसदी होता था, लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा अपनी हिस्सा छोड़ने के बाद यह 83 फीसदी केंद्र और पंजाब सरकार का 17% है। विश्वविद्यालय के सभी आर्थिक मसलों का समाधान केंद्र से ही होता आया है।

बंटवारे में लाहौर से आया, तीन राज्यों की हिस्सेदारी 

वर्ष 1882 में लाहौर में स्थापित विश्वविद्यालय 1947 में विभाजन के साथ भारत आया। लाहौर से शिमला, रोहतक, जालंधर का सफर चंडीगढ़ के गठन के साथ स्थायी कैंपस बनने पर पूरा हुआ। विभाजन के बाद पूर्वी पंजाब विधानमंडल द्वारा पारित 1947 के अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय का पुनः स्थापना और समावेशन हुआ। स्टेट यूनिवर्सिटी के तौर पर इसके कॉलेज तत्कालीन संयुक्त पंजाब क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) में फैले हुए थे। 

वर्ष 1966 में, पंजाब को पंजाब और हरियाणा के रूप में पुनर्गठित किया गया (हिमाचल प्रदेश को वर्ष 1956 में पहले ही केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया जा चुका था)। संसद द्वारा पारित पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत पंजाब विश्वविद्यालय एक अंतर-राज्यीय निगमित निकाय (इंटर स्टेट बॉडी कारपोरेट) बन गया।
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