Muslim League: कांग्रेस के घोषणा-पत्र को मुस्लिम लीग से क्यों जोड़ा जा रहा, पाकिस्तान से इसका क्या संबंध?
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विस्तार
देश में इस समय चुनावी माहौल है। 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होने हैं। देशभर में 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होने हैं। पहले और दूसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। उधर पार्टियां भी अपने उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।
इस बीच देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा-पत्र जारी कर दिया है। हालांकि, इसमें किए गए कुछ वादों को लेकर भाजपा कांग्रेस के खिलाफ हमलावर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तक ने कहा है कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में मुस्लिम लीग की छाप दिखती है। उधर कांग्रेस ने उन बयानों पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग का रुख किया है। इस तरह से इस लोकसभा चुनाव में मुस्लिम लीग का मुद्दा गरमा गया है।
आइये जानते हैं कि भाजपा ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर क्या कहा है? कांग्रेस ने क्या जवाब दिया है? आखिर क्या है मुस्लिम लीग? क्या है केरल की IUML? इसका पाकिस्तान मुस्लिम लीग से कोई संबंध है?
भाजपा ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर क्या कहा है?
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 5 अप्रैल को अपना घोषणा-पत्र जारी किया था। पार्टी ने घोषणा-पत्र को 'न्याय पत्र' नाम दिया है। कांग्रेस के घोषणा जारी करने के बाद भाजपा ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कुछ वादों को लेकर भाजपा ने आपत्ति जताई है। यह मुद्दा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया। सबसे पहले मेरठ की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप है। जो चीजें बच गई थीं उसमें वामपंथी हावी हो गए। इसके बाद अलग-अलग राज्यों में हुई चुनावी रैलियों में भी प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा उठाया।
इसी मुद्दे को लेकर भाजपा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में स्पेशल कानून बने रहने की वकालत की है, तो क्या कांग्रेस तीन तलाक कानून को समाप्त इस कुरीति को पुनर्स्थापित करने वाली सोच रखती है? कांग्रेस वही वादे कर रही है जिनकी मांग मुस्लिम लीग ने की थी।'
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आज कांग्रेस उसी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन में है, जो आजादी से पहले मोहम्मद अली जिन्ना की थी। अब जो भाव मुस्लिम लीग का था, वो भाव आज कांग्रेस का है।
कांग्रेस ने मुस्लिम लीग वाली टिप्पणी पर क्या जवाब दिया है?
इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा पर बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है और कहा कि प्रधानमंत्री ध्यान भटकाने की रणनीति अपना रहे हैं। कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की मुस्लिम लीग वाली टिप्पणी की शिकायत की चुनाव आयोग से भी की है और कार्रवाई की मांग की। इसके लिए पार्टी का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग (ईसी) के कार्यालय पहुंचा था। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद समेत कई लोग शामिल थे।
शिकायत के बाद खुर्शीद ने कहा, 'प्रधानमंत्री अपने भाषणों में जो कहते हैं, उससे हमें बहुत दुख होता है। उन्होंने हमारे घोषणापत्र के बारे में जो कहा है वह झूठ का पुलिंदा है। हमें इससे बहुत दुख हुआ है।'
'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' की स्थापना 30 दिसंबर, 1906 को हुई थी। तब अविभाजित भारत के कई मुस्लिम नेता ढाका में इकट्ठे हुए और कांग्रेस से अलग मुस्लिमों के लिए 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' बनाने का फैसला किया। 1930 में, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अल्लामा इकबाल ने राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को हल करने के मकसद से दक्षिण एशिया के वंचित मुसलमानों के लिए एक अलग देश का विचार प्रस्तुत किया।
23 मार्च, 1940 को मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने लाहौर में एक अधिवेशन बुलाया। इस दौरान जिन्ना ने एक स्वतंत्र देश की स्थापना के लिए संघर्ष करने का संकल्प लेते हुए 'पाकिस्तान प्रस्ताव' को अपनाया। सात साल बाद आजादी के साथ ही बंटवारा हो गया और 14 अगस्त, 1947 को दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान दिखाई दिया। इसके बाद, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग' बन गई।
भारत की आजादी के बाद मार्च, 1948 में मद्रास (अब चेन्नई) में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की स्थापना हुई। 1952 से ही इस दल के नेता भारतीय चुनावी राजनीति का हिस्सा हैं। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का केरल में काफी प्रभाव है। यह पार्टी राज्य के विपक्षी गठबंधन UDF (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इस गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है। गठबंधन की पारंपरिक सहयोगी है।
पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का एक भी हिस्सा है। लीग के नेता ई. अहमद को पहली बार 2004 में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री का पद भी मिला था। पार्टी के वर्तमान में चार सांसद हैं - पीके कुन्हालीकुट्टी, ईटी मोहम्मद बशीर और के. नवस कनी निचले सदन लोकसभा में और पीवी अब्दुल वहाब उच्च सदन राज्यसभा में। विधानसभाओं में इसके प्रतिनिधत्व की बात करें तो केरल और तमिलनाडु में IUML के कुल 19 सदस्य हैं।
1947 में जब पाकिस्तान बना तो मुस्लिम लीग का वह धड़ा जो अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था, पाकिस्तान चला गया। इसी मुस्लिम लीग में कुछ ऐसे नेता भी थे, जो पाकिस्तान नहीं गए। ये लोग खासतौर पर वे थे, जो दक्षिण भारत के रहने वाले थे। पाकिस्तान बनने के बाद दिसंबर 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत में रहने का निर्णय करने वाले पार्टी नेताओं को अपने भविष्य का फैसला खुद करने के लिए कह दिया। इसके बाद दक्षिण के मुस्लिम नेताओं ने चेन्नई में बैठक बुलाई, जहां IUML की नींव पड़ी।
भारतीय संसद में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व 1952 में हुए देश के पहले आम चुनावों से ही था। सीएच मोहम्मद कोया के नेतृत्व में IUML ने 1979 में केरल विधानसभा चुनाव जीता और राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी। केरल विधानसभा में 1982 में इसकी सीटों की संख्या 14 थी, जो 2011 में बढ़कर 20 हो गई।
केरल की मुस्लिम लीग ने अपनी वेबसाइट में राजनीतिक विचारधारा के बारे में बताया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी मुस्लिम समुदाय और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ाने में मदद करना चाहती है।
IUML यह भी दावा करती है कि भारत के संविधान को बरकरार रखते हुए, लीग यह सुनिश्चित करती है कि यह मुसलमानों की जिंदगी में शांति, समृद्धि और सम्मान प्राप्त करने के लिए अतीत और वर्तमान के बीच की खाई को पाट दे। लीग मुस्लिम पर्सनल लॉ की पक्षधर है। लीग का कहना है कि पर्सनल लॉ मुस्लिम समुदाय को व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो मुख्य रूप से समुदाय के विकास के लिए आवश्यक है।
वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सिद्धांतों की बात करें तो यह अपने संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के नीति के सिद्धांतों में विश्वास करती है। पाकिस्तान के संविधान के 'उद्देश्य संकल्प' का हवाला देती है। यह आगे कहती है कि राष्ट्र (पाकिस्तान), लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी शक्तियों और अधिकारों का प्रयोग करेगा, जिसमें इस्लाम द्वारा प्रतिपादित लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा।