Baaghi 4 Movie Review: टाइगर की जोरदार वापसी, संजय दत्त का डरावना अंदाज छाया; लेकिन फिल्म लगती है बोझिल
Baaghi 4 Film Review and Rating in Hindi: टाइगर श्रॉफ और संजय दत्त की एक्शन से भरपूर फिल्म ‘बागी 4’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। बिना स्पॉइलर के पढ़िए फिल्म का रिव्यू।

विस्तार
5 सितंबर 2025 को रिलीज हुई बागी 4 में ऑडियंस फिर से टाइगर श्रॉफ को रॉनी के रूप में देखते हैं। फिल्म शुरुआत से ही बड़े पैमाने के एक्शन और डार्क टोन से भरी है। हालांकि, जहां एक तरफ धमाकेदार फाइट सीन्स और स्टाइलिश विजुअल्स ध्यान खींचते हैं, वहीं दूसरी तरफ लगातार हिंसा और उलझी कहानी कई जगह फिल्म को भारी बना देती है। कुछ ऑडियंस को यह सफर रोमांचक लग सकता है, लेकिन कई लोगों के लिए यह थकाने वाला अनुभव भी साबित हो सकता है।

अभिनय: किसने छोड़ा असर
टाइगर श्रॉफ ने इस बार सिर्फ स्टंट्स और मसल्स पर भरोसा नहीं किया, चेहरे के गुस्से और आंखों के दर्द से रॉनी को और गहराई दी। उनकी अदाकारी में साफ दिखता है कि उन्होंने इस किरदार के लिए कितनी मेहनत की है। हर भाव, हर एक्शन सीन और इमोशनल पल में उनकी कोशिश झलकती है, जिससे रॉनी सिर्फ एक्शन हीरो नहीं बल्कि एक असली और सच्चा किरदार लगने लगता है।
संजय दत्त का खलनायक रोल फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उनकी आवाज, अदाएं और ठंडी निगाहें डर पैदा करती हैं। हरनाज संधू का डेब्यू ताजगी भरा और असरदार रहा। उनकी मासूमियत और विश्वास स्क्रीन पर साफ दिखते हैं। फिल्म में उन्होंने कुछ स्टंट्स भी अच्छे से किए और रॉनी के साथ उनके सीन्स में काफी जान डाल दी। उनका किरदार फिल्म में काफी अहम है और कहानी को आगे बढ़ाता है। वहीं, सोनम बाजवा अपनी मौजूदगी से ग्लैमर और हल्का-फुल्का मजा जोड़ती हैं।
उपेंद्र लिमये पुलिस अफसर के रूप में गंभीर छाप छोड़ते हैं और सुदेश लहरी अपनी कॉमिक टाइमिंग से भारी माहौल को हल्का कर देते हैं। श्रेयस तलपड़े अपने सहज अभिनय से साइड रोल को भी अहम बना देते हैं। वहीं सौरभ सचदेव और शीबा आकाशदीप की मौजूदगी फिल्म में गहराई जोड़ती है।

निर्देशन और संगीत
निर्देशक ए. हर्षा ने फिल्म को स्टाइलिश और विजुअली पावरफुल बनाने की पूरी कोशिश की है। बड़े पैमाने पर शूट किए गए एक्शन सीन इस फ्रेंचाइजी के अब तक के सबसे हिंसक हैं।
संगीत में 'गुजारा' और 'मरजाना' दिल को छूते हैं, जबकि 'बहली सोहनी' और 'ये मेरा हुस्न उतना' असर नहीं छोड़ पाते। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की डार्कनेस को और गहरा करता है।
कमजोरियां: कहानी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती
एक तरफ कलाकारों का काम अच्छा रहा, लेकिन फिल्म में कई कमजोरियां भी हैं। कहानी कई जगह अनुमानित लगती है और कुछ मोड़ पुराने बॉलीवुड एक्शन या ड्रामा फिल्मों जैसी झलक देते हैं। कई किरदार सिर्फ स्टंट और स्टाइल के लिए हैं, उनके पीछे कोई गहराई नहीं है।
लगातार खून, लड़ाइयां और हिंसा फिल्म के फ्लो को तोड़ देती हैं और 157 मिनट की लंबाई के कारण कुछ सीन थकाऊ लगते हैं। कुल मिलाकर, स्टाइल और एक्शन के बावजूद फिल्म कुछ ऑडियंस के लिए भारी और बोझिल महसूस हो सकती है।

पिछली 'बागी' फिल्मों से तुलना
पहली 'बागी' में टाइगर का नया अंदाज दिखा था, 'बागी 2' इमोशनल और हिट रही, जबकि 'बागी 3' पूरी तरह बड़े पैमाने के एक्शन पर टिकी थी। 'बागी 4' इन सबसे अलग है क्योंकि इसमें हिंसा और खून-खराबा कहीं ज्यादा है। लेकिन दिल को छू लेने वाली मासूम लव स्टोरी वाली बात पिछली फिल्मों जितनी गहरी नहीं है। इसी वजह से पुराने ऑडियंस को यह फिल्म ज्यादा डार्क और भारी लग सकती है।
देखें या छोड़ें
अगर आप सिर्फ एक्शन, खून से सनी लड़ाइयां और टाइगर श्रॉफ की जोरदार वापसी देखना चाहते हैं तो 'बागी 4' की टिकट खरीदने के लायक है। संजय दत्त का खलनायक अंदाज और बाकी कलाकारों का योगदान भी फिल्म को एंटरटेनिंग बनाता है। लेकिन अगर आप नई या यूनिक कहानी और गहरे इमोशन्स की तलाश में हैं तो यह फिल्म शायद आपको पूरी तरह संतुष्ट न कर पाए।