Arshad Warsi: कभी सेल्समैन थे अरशद वारसी, संवाद में सुनाए किस्से; बोले- ‘मुझे लीजेंड वाली फीलिंग नहीं आती..’
Arshad Warsi: अभिनेता अरशद वारसी हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में आयोजित अमर उजाला संवाद में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपने फिल्मी करियर के अलावा कई और मजेदार किस्से साझा किए। अरशद ने बताया कि उन्होंने कभी बतौर सेल्समैन भी काम किया था।
विस्तार
अमर उजाला संवाद कार्यक्रम बुधवार 17 दिसंबर 2025 को हरियाणा के गुरुग्राम में आयोजित हुआ। यहां खेल, मनोरंजन, धर्म और राजनीति की दिग्गज हस्तियां पहुंचीं। अभिनेता अरशद वारसी ने भी संवाद में शिरकत की और अपने फिल्मी सफर पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कई दिलचस्प बातें शेयर कीं। जानिए...
कैसे मिली डेब्यू फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’
अभिनेता ने कहा, 'मैंने पूरी कोशिश की थी यह फिल्म नहीं करने की। मेरे घर पर छोटा सा डिनर था। एक दोस्त आया था अपने दोस्त के साथ। मुझे उसने देखा कि मैं लोगों से कैसे मिल रहा हूं। दो दिन बाद उसने फोन किया और कहा मैं एक फिल्म डायरेक्ट कर रहा हूं, मैं चाहता हूं कि तुम ये फिल्म करो। मैंने कहा कि पार्टी दो दिन पहले हुई थी आपकी अभी तक उतरी नहीं है? क्यों मजाक कर रहे हो। उसने कहा कि नहीं सीरियस हूं। अपने फोटो तो भेज दो। मैंने बहुत ही साधारण सी फोटो भेजी। मैंने पोस्टकार्ड फोटो जया जी को भेज दी। मेरे पास फोन आया कि जया जी मिलने वाली हैं। वहां जाने के बाद उन्होंने न मेरा स्क्रीन टेस्ट लिया न कुछ और मुझे ओके कर दिया। मैं अब फिल्म नहीं करने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपने डायरेक्टर को मैसेज भेज दिया कि सॉरी मेरे से नहीं होगा। किसी और को ले लो। मेरे डायरेक्टर ने कभी वो मैसेज चेक ही नहीं किया। इस तरह फिल्म करनी पड़ी। मेरा दिल कहता है कि आप फाइनली वही करते हैं, जो किस्मत में होता है। आप कितनी भी कोशिश करें'।
जया बच्चन ने क्यों दिया फिल्म में मौका?
आपने जया जी से पूछा फिल्म में क्यों लिया? अरशद ने कहा, 'कई साल बाद मुझे पता चला कि मैंने बाय डिफॉल्ट यह फिल्म की। कई साल बाद मैंने जया जी को पूछा कि आपने मुझे फिल्म में क्यों लिया? आपने मेरा स्क्रीन टेस्ट नहीं लिया। फोटोग्राफ इतने खराब भेजे। उन्होंने कहा, 'लोग अक्सर कई रोल खींचते हैं। उनमें से कई गिने-चुने 10 अच्छे फोटो भेजे। तुमने 36 के रोल में 36 फोटो खींचीं और भेज दीं। हर एक में अलग एक्सप्रेशन थे। तुम्हें कैमरे से बिल्कुल डर नहीं लगता। इससे अच्छी क्वालिटी एक एक्टर में नहीं हो सकती।'
राजकुमार हिरानी ने सर्किट को इम्प्रोवाइज करने दिया
अरशद से जब पूछा गया कि सर्किट का किरदार आपके लिए एक बड़ा मौका था? इस पर उन्होंने कहा, 'वह एक बड़ा मौका था। यह जो रोल था पहले, यह बहुत ही निहायत घटिया रोल था। यह जो रोल था, इसे पहले हर एक्टर ने रिजेक्ट किया था। यह रोल वह था कि जो हीरो के पीछे खड़ा रहा है। मेरी किस्मत थी कि मुझे राजकुमार हिरानी जैसा डायरेक्टर मिला। मैंने उनसे कहा कि इस रोल में कुछ है तो नहीं, ऐसा नहीं है कि मेरा इससे कुछ हो जाएगा। मैं टीवी करूंगा या क्या पता नहीं। लेकिन, इस रोल को मैं एंजॉय करूंगा। वो तैयार हो गए। मुझे फ्रीडम मिल गई। फिर जो किरदार हुआ, सबको पता है। राजकुमार हिरानी ने सर्किट को इम्प्रोवाइज करने दिया, तब जाकर वह किरदार बना।
लीजेंड जैसा फील नहीं होता
22 साल पहले आपका सर्किट नाम का एक कैरेक्टर आया। आज जब युवा पीढ़ी आपको सर्किट सर कहती है तो आपको लीजेंड जैसा फील होता है या सीनियर सिटिजन? इस पर अरशद कहते हैं, 'लीजेंड वाली फीलिंग तो नहीं आती। हां, ये जरूर लगता है कि मैच्योर हो गया हूं। मैं दुबई में घूम रहा था पिछले दिनों, तो ग्रैंड पेरेंट्स ने कहा, 'सर्किट'। वहीं बच्चों ने कहा, 'गफूर'।
एक वक्त पर सेल्समैन थे अरशद
एक वक्त ऐसा भी था कि आप डोर टू डोर कॉस्मेटिक भी बेचते थे? इस पर अरशद ने कहा, 'नहीं डोर टू डोर नहीं, लेकिन होटल में जाकर बेचता था। मैं जो बेचता था, उतना घटिया प्रोडक्ट किसी ने नहीं बनाया होगा। मैंने जो झूठ बोल-बोलकर बेचा है, बता नहीं सकता। मैं बोलता था कि केमिकल नहीं है, बहुत अच्छा है'।
आपकी पहली फिल्म 'तेरे मेरे सपने' के दौरान आपकी मुलाकात जया बच्चन जी से हुई। क्या आपकी मुलाकात अमिताभ बच्चन से भी हुई?
अरशद वारसी: जी, हां बिल्कुल। बहुत शार्प हैं वो।
कितना बड़ा योगदान था 'तेरे मेरे सपने' का एबीसीएल के बंद हो जाने के पीछे?
अरशद वारसी हंसते हुए: 'इत्तेफाक से उनका योगदान नहीं था। उन्होंने सिर्फ ताले का खर्चा दिया था। एबीसीएल की यही सिर्फ एक फिल्म थी, जो थोड़ी सी बेचारी चली थी'। इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन से जुड़ा किस्सा सुनाया जो इस तरह है:
अमिताभ बच्चन ने ऑफर की थी ड्रिंक
'अमिताभ बच्चने के साथ बड़ा मजा आता था। हम नए-नए थे। मुकुल देव हमारे मित्र थे। बहुत खूबसूरत इंसान थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। हम लोग जया जी के पास जाते थे, क्योंकि मुकुल देव एक फिल्म कर रहा था एबीसीएल की, मैं और चंद्रचूड़ एक फिल्म कर रहे थे। हम लोग वहां जाकर सुबह ऐसे घबराए हुए बैठते थे। एक दिन डिनर के वक्त हम लोग वहां बैठे हुए थे। एक दिन अमित जी ने आकर हमसे कहा, 'आप क्या लेंगे'? मुकुल ने कहा, 'लाइम सोड़ा'। चंद्रजूड़ ने कहा, 'कोक'। मैं तो सोलो आदमी था। मैंने कहा, 'सिंगल मॉल्ट ऑन द रॉक्स'। वो दोनों मुझे देखकर हैरान रह गए। उन दोनों का स्वीट लैम और कोक आया और मेरा सिंगल मॉल्ट आया। अमित जी वहां से गए तो दोनों ने एक मेरी ड्रिंक निपटा दी। अमित जी पलटे, बोले आपने अपनी ड्रिंक खत्म कर ली। मैंने कहा, 'मैंने तो पीया ही नहीं अभी तक'।