Isha Koppikar: ईशा कोप्पिकर ने मनाया गणेश उत्सव, बोलीं- यही प्रार्थना है कि बुद्धि और शांति हमेशा सही रहे
Isha Koppikar Celebrate Ganesh Utsav : ईशा कोप्पिकर के जीवन में गणेश उत्सव का बहुत अधिक महत्व है। यह त्योहार उनके मन और जीवन को खुशियों से भर देता है। उन्हें इस पावन पर्व पर गणपति बप्पा का आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिलता है। गणेश उत्सव से जुड़े अपने अनुभव और भावनाएं ईशा कोप्पिकर अमर उजाला के साथ साझा कर रही हैं।

विस्तार
गणेश चतुर्थी का त्योहार हर घर में उत्साह, भक्ति और उल्लास लेकर आता है। एक्ट्रेस ईशा कोप्पिकर के लिए भी गणपति बप्पा का आगमन बेहद खास होता है। बचपन से ही वो इस पर्व को मनाती आ रही हैं, अब वह अपनी बेटी रियाना के साथ पूरे मन से गणपति बप्पा का स्वागत करती हैं। गणेश उत्सव के पावन अवसर पर उन्होंने इस त्योहार की अहमियत के बारे में बताया। गणेश उत्सव के अवसर पर अमर उजाला डिजिटिल से लंबी बातचीत की।

गणेश चतुर्थी आपके और आपके परिवार के लिए पर्सनली क्या मायने रखती है?
गणपति बप्पा हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं। वो हमारे ईष्ट देवता हैं। बचपन से ही मैं गणेश चतुर्थी मना रही हूं। जब से मैं पैदा हुई हूं, तब से ही घर पर गणेशोत्सव मनाया जा रहा है।
हर साल बप्पा का स्वागत करते समय आपके घर में कोई खास रिवाज या परंपरा है?
हां, बहुत साल से हम सोने से बने गणपति बप्पा को पूजते थे और आराधना करते थे। मोदक और लड्डू गणपति बप्पा को बहुत पसंद हैं, इसलिए वो घर पर ही बनते हैं। साथ ही ट्रेडिशनल सारस्वत खाना बनता है, जो गणपति स्थापना के दिन सबसे पहले बप्पा को चढ़ाया जाता है। यह खाना घरवालों के हाथ का बना होता है और बहुत स्वादिष्ट लगता है।
अब तक के गणपति सेलिब्रेशन में आपकी सबसे प्यारी याद कौन-सी रही है?
सच कहूं तो मैं कोई एक याद चुन ही नहीं सकती। हर साल गणपति बप्पा के साथ नई यादें बनती हैं। लेकिन बचपन की यादें ज्यादा गहरी हैं, क्योंकि बचपन में ही बप्पा से जुड़ाव हुआ, वह आज तक मेरे दिल में बसा है।

आप कैसे कोशिश करती हैं कि त्योहार ट्रेडिशनल भी रहे और इको-फ्रेंडली भी?
मेरे लिए सबसे जरूरी है कि गणपति बप्पा की मूर्ति इको-फ्रेंडली हो। ऐसी मिट्टी की हो जो आसानी से घुल जाए और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। ये मेरी पर्सनल जिम्मेदारी है। परंपरा की बात करें तो, जिस तरीके से आरती होनी चाहिए, जैसा खाना बनना चाहिए, वो सब हम उसी पारंपरिक तरीके से करते हैं। इस तरह परंपरा भी निभती है और नेचर की रक्षा भी होती है।

आपकी बेटी रियाना इस फेस्टिवल में क्या रोल निभाती है। क्या उसे सजावट और आरती में मजा आता है?
रियाना को सजावट करने और आरती गाने में बहुत मजा आता है। वो हमेशा इसमें शामिल रहती है। मुझे देखकर उसने भी गणपति बप्पा से गहरा जुड़ाव महसूस किया है। सिर्फ त्योहार के दौरान ही नहीं बल्कि उससे पहले और बाद में भी उसका रिश्ता बप्पा से बहुत गहरा है। गणपति बप्पा के आगमन से लेकर विसर्जन तक हर पल में में पूरी तरह से शामिल रहती है।
अगर बप्पा का एक आशीर्वाद, प्रार्थना या सलाह चुननी हो जो आपकी जिंदगी को गाइड करती है, तो वो कौन-सी होगी?
मैं हमेशा बप्पा से यही प्रार्थना करती हूं कि मेरी बुद्धि सही रहे। विनाश काल विपरीत बुद्धि ये लाइन मैं हमेशा याद रखती हूं। पैसे तो इंसान कभी भी कमा सकता है, अगर खत्म भी हो जाए तो दोबारा कमा सकता है। नाम और शोहरत भी आती-जाती रहती है। लेकिन अगर बुद्धि सही हो और मन में शांति हो, तो जीवन अच्छा चलता है। गणपति बप्पा का नाम, उनकी उपस्थिति और उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे दिल, दिमाग और आत्मा में रहे, यही मेरी सदैव प्रार्थना है।