'जहान मुझे जो गिफ्ट देता है, वो पहले से मेरा ही होता है...बस यही है हमारा भाई दूज', बोलीं अभिनेत्री शनाया कपूर
Shanaya Kapoor Exclusive Interview: आज गुरुवार को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अभिनेत्री शनाया कपूर ने भी भाई-बहन के प्यार के इस पर्व से जुड़ी यादें साझा कीं। जानिए उन्होंने क्या कहा?
विस्तार
त्योहारों का मौसम आते ही कपूर परिवार में खुशियों की गूंज और रोशनी का जादू फैल जाता है। झिलमिलाती लाइट्स, मीठी खुशबू और हंसी की आवाजें...यही तो है असली दिवाली। संजय कपूर और महीप कपूर की बेटी, अभिनेत्री शनाया कपूर ने अमर उजाला से एक खास बातचीत में अपने बचपन की यादें, भाई दूज की मस्ती और त्योहारों वाली चमक के बारे में दिल खोलकर बातें कीं। उन्होंने भाई दूज से जुड़े दिलचस्प किस्से शेयर किए...
भाई दूज की मस्ती और जहान की 'री-गिफ्टिंग' चाल
भाई दूज की बात करते हुए शनाया हंस पड़ीं। उन्होंने कहा, 'जहान और मैं हर साल एक-दूसरे को छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते। वो हमेशा मेरे गिफ्ट पर ओवरड्रामैटिक रिएक्शन देता है, जैसे मैंने उसे कोई बहुत बड़ा सरप्राइज दिया हो। फिर अगले साल वही चीज किसी नए रैपर में मुझे वापस गिफ्ट कर देता है। अब ये हमारी अपनी छोटी-सी परंपरा बन चुकी है। थोड़ा मजाक, थोड़ा प्यार और बहुत सारी हंसी, बस यही है हमारा भाई दूज'।
दादी के घर की रोशनी और बचपन की दिवाली
शनाया के चेहरे पर मुस्कान ठहर जाती है, जब वो अपने बचपन की दिवाली को याद करती हैं। 'जब हम छोटे थे, दिवाली का मतलब बस एक ही था ... सब लोग दादी के घर इकट्ठे होते थे। पूरा परिवार एक साथ पूजा करता था, दीये जलाता था और फिर बस वही माहौल... रोशनी, हंसी और घर की खुशबू। वो एहसास कभी नहीं भूलता'।
दीयों की जिद और बचपन की छोटी जीतें
वो आगे कहती हैं, 'हम सब कजिन्स आपस में मुकाबला करते थे कि किसका दीया ज्यादा देर तक जलता है। कभी हवा से बुझ भी जाता था तो हम उसे दोबारा जलाने की जिद करते थे। वो छोटी-छोटी बातें ही आज इतनी बड़ी यादें बन गई हैं।'
नानी के बेसन के लड्डू और घर की मिठास
मिठाइयों की बात छिड़ते ही शानाया तुरंत कहती हैं, 'मेरी नानी के बनाए बेसन के लड्डू... बस वही मेरे लिए असली दिवाली हैं। हर साल नानी खुद बनाती हैं और जैसे ही घर में वो खुशबू फैलती है, लगता है दिवाली आ गई। मैं कितनी भी मिठाई खा लूं, लेकिन नानी के हाथ के लड्डू की बात ही कुछ और है। हर बाइट में बचपन का स्वाद होता है।'
फूलों की सजावट और पापा के स्नैक्स की सख्ती
दिवाली की तैयारियों को लेकर कपूर परिवार का उत्साह देखने लायक होता है। शानाया बताती हैं, 'मम्मी और मैं मिलकर सजावट करते हैं। हम फूल, दीये, फेयरी लाइट्स सब लगाते हैं। पापा की जिम्मेदारी होती है स्नैक्स की और वो बहुत गंभीरता से इसे निभाते हैं। हर साल कुछ नया ट्राय करते हैं और फिर सबको खिलाते हैं जैसे कोई शेफ हों। पूजा के बाद सब एक साथ बैठकर खाते हैं, बातें करते हैं और बस वही पल होते हैं जो पूरे साल याद रहते हैं'।
शनाया को पसंद है कैसी ज्वैलरी?
फैशन और ज्वैलरी की बात पर शानाया की आंखों में चमक आ जाती है। 'मेरे लिए स्पार्कल का मतलब ओवरद-टॉप होना नहीं है। मैं ऐसा कुछ पहनना पसंद करती हूं जो मेरे मूड के साथ जाए, उसे और निखारे। इंडी नूर का यही फील है... टाइमलेस, खूबसूरत और बेहद वर्सेटाइल। दिवाली पर मैं आमतौर पर स्टेटमेंट इयररिंग्स या लेयर्ड नेकलेस पहनती हूं। ऐसे पीसेज जो हल्के हों, लेकिन एलिगेंट लगें। मैं चाहती हूं कि मेरी ज्वैलरी किसी की पर्सनैलिटी को कम्प्लीमेंट करे, उससे मुकाबला नहीं करे। हर ज्वैलरी में थोड़ी चमक और बहुत सारा आत्मविश्वास होना चाहिए।'
मां-बेटी की 'गेट रेडी' वाली प्यारी शामें
शनाया बताती हैं कि उनकी मम्मी महीप कपूर के साथ उनका एक प्यारा सा दिवाली रिवाज है। एक्ट्रेस ने कहा, 'हर साल हम दोनों साथ में तैयार होते हैं। एक-दूसरे की ज्वेलरी चुनते हैं, कभी-कभी अपनी फेवरेट पीस अदला-बदली भी कर लेते हैं। वो वक्त बहुत खास होता है। न फोन होता है, न किसी शूट की जल्दी। बस मम्मी, मैं और हमारी हंसी। यही हमारे त्योहार की सबसे प्यारी शुरुआत होती है।'
जब उनसे पूछा गया कि दिवाली का कौन-सा पल उन्हें सबसे ज्यादा छूता है, तो वो थोड़ी देर चुप रहकर कहती हैं, 'जब हम सब पूजा के लिए बैठते हैं। सबके फोन साइड में रख दिए जाते हैं, कोई भाग-दौड़ नहीं होती। बस दीये की लौ, कुछ मंत्र और परिवार के चेहरे की चमक। उस पल में दिल से शुक्रिया निकलता है... इस रोशनी के लिए, इस साथ के लिए। तब समझ आता है कि त्योहार असल में इसी एहसास का नाम है'।
शनाया की दिवाली विश
शनाया मुस्कुराकर कहती हैं, 'मेरी एक ही विश है कि सब अपनी रोशनी को सच्चा रखें। त्योहार का मतलब यह नहीं कि आप कितना बड़ा जश्न मनाते हैं, बल्कि यह कि आप किसके साथ मनाते हैं। अपनी फैमिली के साथ रहें, खूब हंसें, और वो एक मिठाई ज़रूर खाएं जो आपको बचपन की याद दिला दे। आखिर दिवाली उसी पल की मिठास से तो चमकती है'।