दिवंगत जुबीन गर्ग को याद करते हुए सिंगर-कंपोजर विशाल ददलानी बोले, ‘उन्हें पहचानने में बहुत देर कर दी’
Vishal Dadlani Exclusive Interview: कुछ समय के ब्रेक के बाद संगीतकार, गायक और कंपोजर विशाल ददलानी ने 'इंडियन आइडल सीजन 16' में जज के रूप में वापसी की है। अपनी बेबाक राय और नए कलाकारों को प्रोत्साहित करने के जुनून के लिए जाने जाने वाले विशाल का कहना है कि इस बार का सीजन एक प्रतियोगिता से ज्यादा एक मिलन जैसा महसूस हो रहा है।
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अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने अपनी वापसी, अपने जजिंग स्टाइल और कलाकारों की सामाजिक भूमिका पर खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने असम के दिवंगत गायक जुबीन गर्ग को भावुक होकर याद किया। विशाल ने कहा कि देश को उनके योगदान की पहचान बहुत पहले मिल जानी चाहिए थी।
जुबीन गर्ग को याद करते हुए बोले, ‘हम सबने बहुत देर कर दी’
उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि जुबीन गर्ग के लिए जो भावना पूरे देश में उमड़ी, वह बहुत बड़ी थी। लेकिन सच्चाई यह है कि पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा भारत के बाकी हिस्सों में लोग उन्हें सिर्फ दो या तीन बॉलीवुड गानों से जानते थे। जबकि जुबीन इससे कहीं बड़े थे। उन्होंने लगभग छह हजार बंगाली और तीस हजार असमिया गाने गाए थे। वह अपने क्षेत्र के इतने बड़े मेगास्टार थे कि उनके निधन के बाद भी उनका अंतिम संस्कार स्थल आज तक लोगों से भरा हुआ है। देश के कोने-कोने से लोग सिर्फ उन्हें श्रद्धांजलि देने वहां पहुंच रहे हैं।
'संगीत के रत्नों के प्रति पहले से अधिक जागरूक होना चाहिए'
उन्होंने जुबीन को लेकर आगे कहा, 'ऐसी लोकप्रियता और लोगों के दिलों पर इतना गहरा असर बहुत कम संगीतकारों को मिलता है। मुख्यधारा ने जुबीन गर्ग जैसी हस्ती को जितनी पहचान देनी चाहिए थी, उतनी नहीं दी। यह हमारे लिए बहुत बड़ी कमी है। मुझे लगता है कि हम सबने उन्हें पहचानने में बहुत देर कर दी। मेरी श्रद्धांजलि उनके लिए बहुत छोटी थी और शायद बहुत देर से आई। हमें अपने देश में मौजूद ऐसे संगीत के रत्नों के प्रति पहले से अधिक जागरूक होना चाहिए'।
‘मुझे वह माहौल, वह संगीत और वह लोग बहुत याद आ रहे थे’
जब उनसे पूछा गया कि आखिर उन्होंने इस साल इंडियन आइडल में वापसी का फैसला क्यों किया? तो विशाल मुस्कुराते हुए बोले, ‘सच कहूं तो हम इस शो पर जितना काम करते हैं, उतना ही मजा भी करते हैं। एक दिन श्रेया से मेरी बहुत लंबी फोन पर बात हुई। हम इतने हंसे कि मुझे एहसास हुआ कि मैं उस पूरे माहौल को कितना मिस कर रहा हूं। यहां हर कोई दोस्त है। हम सब एक टीम की तरह काम करते हैं। हमारा एक ही उद्देश्य होता है और वह है संगीत। इस शो पर प्यार, हंसी और एक साझा जुनून है। जब उन्होंने मुझे दोबारा बुलाया, तो मैं बहुत आभारी था। सच में, यह घर लौटने जैसा एहसास है।’
‘ईमानदारी ही सबसे अच्छा मोटिवेशन है’
टेलीविजन पर सबसे ईमानदार और स्पष्ट जजों में से एक माने जाने वाले विशाल का मानना है कि सच्चा फीडबैक, चाहे वह सख्त ही क्यों न लगे, कलाकार के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा होता है। उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी सबसे अच्छा मोटिवेटर होती है। जब मैं किसी प्रतिभागी से ‘ना’ कहता हूं या किसी परफॉर्मेंस को स्वीकार नहीं करता, तो वे समझ जाते हैं कि मैं चाहता हूं कि वे मुझे गलत साबित करें। यह बात उनके अंदर एक आग पैदा करती है। वे और मेहनत करते हैं। श्रेया और बादशाह बहुत प्रोत्साहित करने वाले जज हैं और मैं भी कोशिश करता हूं कि हमेशा कलाकारों का हौसला बढ़ाऊं। लेकिन कभी-कभी सच्चाई कहना जरूरी होता है। वही उन्हें बेहतर बनने की प्रेरणा देती है। मेरा उद्देश्य यही होता है कि वे अपने विकास के जरिए मेरा विचार बदलें।’
‘हर सीजन अपनी एक अलग जादुई दुनिया लेकर आता है’
लगातार सातवें साल इंडियन आइडल को जज कर रहे विशाल कहते हैं कि हर साल का अनुभव बिल्कुल नया और प्रेरणादायक होता है। उन्होंने कहा, ‘हर बैच के सिंगर्स अपने आप में एक चमत्कार होते हैं। उनकी ऊर्जा, उनकी ताजगी और उनके सपने हमें हमेशा प्रेरित करते हैं। इस बार का सीजन भी कुछ ऐसा ही है। पिछली बार यह पहला मौका था, जब हमारा पैनल यानी मैं, बादशाह और श्रेया साथ थे। अब हमारे बीच एक अलग सहजता और जुड़ाव आ गया है। सेट पर बहुत मजा होता है। बहुत अपनापन महसूस होता है। हाल ही में मैंने पिछले सीजन्स के तीन सिंगर्स के साथ रिकॉर्डिंग की है। मुझे उन पर बहुत गर्व है। अगर हम नए कलाकारों के करियर को आगे बढ़ाते हुए संगीत का आनंद ले सकें, तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।’
‘कलाकारों को अपनी आवाज समाज के लिए उठानी चाहिए’
अपनी साफ राय और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहने वाले विशाल ने कहा कि कलाकारों के पास समाज में बदलाव लाने की ताकत होती है। उन्हें उसका सही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि कलाकारों की जिम्मेदारी होती है कि वे अपनी आवाज समाज के हित में इस्तेमाल करें। मैंने हमेशा इस बात पर अमल करने की कोशिश की है। इसका मुझे भावनात्मक और पेशेवर दोनों स्तरों पर नुकसान भी उठाना पड़ा है। लेकिन मैं आभारी हूं कि मुझे यह मौका मिला। बहुत से लोग मुझे लिखते हैं और कहते हैं कि जब मैं किसी के पक्ष में बोलता हूं, तो उन्हें लगता है कि उनकी आवाज सुनी जा रही है। हर कलाकार को ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन जो लोग संवेदनशील हैं और दूसरों की परवाह करते हैं, उन्हें जरूर बोलना चाहिए। यह बहुत जरूरी है कि हम समाज के लिए अपनी कला का इस्तेमाल करें’।