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‘युवा अमिताभ बच्चन की याद दिलाते हैं अगस्त्य नंदा’, निर्देशक श्रीराम राघवन ने साझा कीं ‘इक्कीस’ से जुड़ी बातें

अमर उजाला, मुंबई Published by: आराध्य त्रिपाठी Updated Sat, 20 Dec 2025 10:07 AM IST
सार

Sriram Raghavan On Ikkis: निर्देशक श्रीराम राघवन इन दिनों अपनी आगामी फिल्म ‘इक्कीस’ को लेकर चर्चाओं में हैं। अब निर्देशक ने फिल्म की कास्टिंग और अगस्त्य नंदा के बारे में बात की है। जानिए उन्होंने क्या कुछ बताया…

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Director Sriram Raghavan Says Agastya Nanda Reminds Us Of Young Amitabh Bachchan He Shares About Film Ikkis
श्रीराम राघवन और अगस्त्य नंदा - फोटो : सोशल मीडिया और यूट्यूब ग्रैब
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विस्तार
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अगस्त्य नंदा और जयदीप अहलावत स्टारर फिल्म ‘इक्कीस’ अब 1 जनवरी को रिलीज के लिए तैयार है। अब फिल्म की रिलीज से पहले निर्देशक श्रीराम राघवन ने मीडिया से बातचीत में फिल्म से जुड़ी कई अहम बातें साझा कीं। धरमजी को दी गई श्रद्धांजलि से लेकर अगस्त्य नंदा को कास्ट करने का फैसला, उनकी मेहनत, रिसर्च और फिल्म की प्रामाणिकता तक, श्रीराम राघवन ने हर पहलू पर खुलकर बात की। जानते हैं निर्देशक ने क्या कुछ बताया…

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यह फिल्म ही धरमजी को श्रद्धांजलि है
दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देने को लेकर श्रीराम राघवन ने कहा कि यह फिल्म खुद ही धरमजी को श्रद्धांजलि है। वह पूरी फिल्म में मौजूद हैं और यही सबसे अहम बात है। इसके अलावा हमने उनकी एक तस्वीर और उसके साथ एक सादी लेकिन अर्थपूर्ण लाइन रखी है। हम इसे बहुत शांत और सम्मानजनक रखना चाहते थे।

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मुझे एक नया लड़का चाहिए
अगस्त्य नंदा को चुनने के फैसले पर श्रीराम राघवन ने बताया कि मैं शुरू से बिल्कुल साफ था कि मुझे एक नया लड़का चाहिए। ऐसा लड़का जो सच में अपनी उम्र का लगे। यह रोल एक लड़के के आदमी बनने की कहानी है, इसलिए मैं ऐसा अभिनेता नहीं चाहता था जिसके चेहरे पर पहले से अनुभव दिखे। अगस्त्य से पहली मुलाकात को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार अगस्त्य से मिला, तब मुझे यह भी नहीं पता था कि मैं उससे मिलने वाला हूं। दिनेश ने मुझे अपने ऑफिस बुलाया और कहा कि बस किसी से मिल लो। मैंने उसकी ज्यादा तस्वीरें नहीं देखी थीं और उस वक्त ‘आर्चीज’ भी रिलीज नहीं हुई थी। हमने किसी पारंपरिक तरीके से ऑडिशन नहीं किया। हम बस बैठे और बात की। मेरे लिए वही बातचीत सब कुछ होती है। यह जज करने की बात नहीं होती, बल्कि यह देखने की बात होती है कि हम आपस में बात कर सकते हैं, जुड़ सकते हैं और साथ सोच सकते हैं या नहीं।

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इक्कीस का फाइनल ट्रेलर रिलीज - फोटो : यूट्यूब ग्रैब

युवा अमिताभ बच्चन की याद दिलाते हैं अगस्त्य
श्रीराम राघवन ने अगस्त्य की तुलना युवा अमिताभ बच्चन से करते हुए कहा, 'उस दिन उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और किसी वजह से वह मुझे 60 और 70 के दशक के युवा अमिताभ बच्चन की याद दिला रहा था। वह दौर जब उनकी फिल्में लगातार नहीं चल रही थीं, लेकिन वह बार-बार लौटते रहे। वही कच्चापन, वही अनगढ़ सच्चाई। मुझे वही क्वालिटी चाहिए थी। मैं किसी ट्रेनिंग वाले कलाकार की तलाश में नहीं था। मुझे ऐसा लड़का चाहिए था, जो कहानी के साथ साथ आदमी बन सके।'

इस फिल्म में दो अलग दुनिया थीं
कास्ट को लेकर श्रीराम राघवन ने आगे कहा कि इस फिल्म में दो अलग दुनिया थीं। एक तरफ अगस्त्य और टैंक क्रू के 8 से 10 युवा कलाकार थे, सभी 25 साल से कम उम्र के, जो सिनेमा को साथ-साथ खोज रहे थे। दूसरी तरफ जयदीप अहलावत और धरमजी जैसे बेहद अनुभवी और सधे हुए कलाकार थे। इन दोनों दुनियाओं को एक साथ लाना मेरे लिए रचनात्मक रूप से बहुत संतोषजनक अनुभव था। सभी कलाकार अलग-अलग तरह के थे और यही विविधता फिल्म को और समृद्ध बनाती है। मुझे इन कलाकारों के साथ काम करके बहुत मजा आया।

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फिल्म इक्कीस - फोटो : इंस्टाग्राम@maddockfilms

अगस्त्य ने कभी शॉर्टकट नहीं ढूंढा
अगस्त्य नंदा को लेकर निर्देशक ने आगे कहा कि मेरे लिए सबसे अहम बात यह थी कि वह करने के लिए तैयार था। यह सिर्फ परफॉर्मेंस देने की बात नहीं थी। अगर उसे टैंक कमांडर बनना था, तो उसे उस किरदार को सच में समझना और जीना था। कई मौके ऐसे आए जब उसे बार-बार टैंक के अंदर जाना और बाहर निकलना पड़ा। कभी चालीस तो कभी पचास बार, सिर्फ इसलिए ताकि वह उसमें पूरी तरह सहज हो सके। यह शारीरिक रूप से बहुत मुश्किल और असहज होता है, लेकिन उसने कभी शॉर्टकट नहीं ढूंढा। फिल्म में एक सीन है, जहां वह टैंक के अंदर बंद होता है और नीचे के बेहद संकरे रास्ते से बाहर निकलता है, जैसे किसी पाइप के अंदर से गुजरना। उसने यह सब सच में किया। एक वक्त के बाद अभिनय और हकीकत के बीच की लाइन मिट जाती है। जब आप सेना की कहानी कह रहे होते हैं, तो सबसे जरूरी होता है ऑफिसर लायक क्वालिटी का विकास। यही मैंने अगस्त्य में देखा।

सेना के लोगों ने की फिल्म तारीफ
फिल्म की तैयारी पर बात करते हुए निर्देशक ने कहा कि हमने पूना हॉर्स में काफी वक्त बिताया। अरुण खेत्रपाल के भाई से विस्तार से बात की और उन लोगों से मिले, जो उन्हें निजी तौर पर जानते थे। हमारे साथ एक ब्रिगेडियर भी थे, जिन्होंने अरुण के साथ काम किया था और वह पूरी फिल्म के दौरान हमारे कंसल्टेंट रहे। क्योंकि यह एक सच्ची कहानी है, हम घटनाओं के साथ कोई छूट नहीं ले सकते थे। जब सेना के लोगों ने फिल्म देखी और कहा कि यह उन सबसे प्रामाणिक फिल्मों में से एक है जो उन्होंने देखी हैं, तो यह हमारे लिए बहुत अहम था।

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