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Jugnuma Movie Review: दर्शकों से धैर्य मांगती है जुगनुमा, मनोज बाजपेयी-दीपक डोबरियाल हैं जान; उलझा देगी कहानी

Aradhya Tripathi आराध्य त्रिपाठी
Updated Fri, 12 Sep 2025 03:15 PM IST
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सार

Jugnuma The Fable Film Review and Rating in Hindi: मनोज बाजपेयी और दीपक डोबरियाल की फिल्म ‘जुगनुमा- द फैबल’ आज रिलीज हो गई है। जानिए कैसी है फिल्म?

Jugnuma The Fable Movie Review and Rating in Hindi Manoj Bajpayee Deepak Dobriyal Film Story Is Slow
जुगनुमा फिल्म रिव्यू - फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
जुगनुमा- द फैबल
कलाकार
मनोज बाजपेयी , दीपक डोबरियाल , तिलोत्तमा शोम , प्रियंका बोस , हिरल सिद्धू और अवान पूकट
लेखक
राम रेड्डी
निर्देशक
राम रेड्डी
निर्माता
प्रताप रेड्डी , सुनमिन पार्क , गुनीत मोंगा और अनुराग कश्यप
रिलीज
12 सितंबर 2025
रेटिंग
2.5/5

विस्तार
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जब एक नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले निर्देशक और अभिनेता एक साथ आते हैं, तो ऐसी उम्मीद की जाती है ये कॉम्बो एक जबरदस्त फिल्म लेकर आने वाला है। खासकर तब जब फिल्म के अभिनेता मनोज बाजपेयी हों। राम रेड्डी और मनोज बाजपेयी अब दर्शकाें के लिए एक फिल्म लाए हैं- ‘जुगनुमा: द फैबल’। आइए जानते हैं कैसी है मनोज बाजपेयी की ये नई फिल्म।

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Jugnuma The Fable Movie Review and Rating in Hindi Manoj Bajpayee Deepak Dobriyal Film Story Is Slow
जुगनुमा फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

कहानी
फिल्म की कहानी है 1989 के दशक में हिमालयी पृष्ठभूमि पर आधारित है, इसलिए पहाड़ों की खूबसूरती पूरी फिल्म में देखने को मिलती है। कहानी के केंद्र में है देव (मनोज बाजपेयी), जो एक अमीर व्यक्ति है और उसके फलों के कई एकड़ में फैले बागीचे हैं। देव अपनी पत्नी नंदिनी (प्रियंका बोस), बेटी वान्या (हिरल सिद्धू), बेटा जूजू (अवान पूकट) और दो कुत्तों के साथ पहाड़ों में अपने बगीचों के बीच बने घर में सुकून से रहता है। सुबह-सुबह वो पंख लगाकर उड़ने भी जाता है। खुले आसमान के नीचे तारों की छांव में लेटना इस घर के सभी सदस्यों के मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन है। बगीचों की देखभाल के लिए मैनेजर मोहन (दीपक डोबरियाल) है।
बगीचे में दवाई छिड़कने का काम चल रहा है। तभी एक दिन अचानक बगीचे में रहस्यमयी तरीके से आग लग जाती है और कई पेड़ जलकर राख हो जाते हैं। ये देखकर देव परेशान हो जाता है। फिर ये आग लगने का सिलसिला बढ़ता जाता है। लेकिन ये पता नहीं चलता कि ये आग कैसे लग रही है और कौन लगा रहा है? इस रहस्य की खोज में धीरे-धीरे देव को पहले गांव वालों और फिर अपने मैनेजर मोहन पर भी शक होने लगता है। वो इससे बचने के लिए पुलिस का भी सहारा लेता है। क्या देव को ये पता चल पाता है कि आग कौन लगा रहा है और क्यों लगा रहा है? आग लगने के पीछे का क्या रहस्य और कारण है? ये जानने के लिए आपको ‘जुगनुमा’ देखनी पड़ेगी।

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Jugnuma The Fable Movie Review and Rating in Hindi Manoj Bajpayee Deepak Dobriyal Film Story Is Slow
जुगनुमा फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

कैसी है फिल्म
कई सारे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में तारीफें बटोरने और अवॉर्ड जीतने के बाद अब ‘जुगनुमा- द फैबल’ बड़े पर्दे पर रिलीज की गई है। यह अलग तरह से गढ़ी गई एक खूबसूरत कहानी है, जो बेशक आपको थोड़ी धीमी लग सकती है। बॉलीवुड में एक लंबे वक्त के बाद श्याम बेनेगल जैसा आर्ट सिनेमा देखने को मिला है। फिल्म परी कथाओं और लोक कथाओं पर भी बात करती है। साथ ही पर्यावरण के मुद्दे पर भी प्रकाश डालती है। 1 घंटा 59 मिनट की ये फिल्म एक ही स्पीड में आगे बढ़ती है, जो आपको कई बार अखरती है। हालांकि, पहाड़ी पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और इसके सीन आपको बोर नहीं होने देंगे। कई सीन ऐसे हैं जहां पर आप उनसे जुड़ पाएंगे। जैसे जब सर्दी की सुबह का सीन दिखाया जाता है तो आप भी उस पहर को महसूस कर पाएंगे, आप उस ठंड का एहसास कर पाएंगे। इसके अलावा अगर आप पहाड़ों में गए हैं, तो वहां के गांव-मोहल्लों को इस फिल्म में हूबहू पाएंगे। साथ ही हिमाचल के लोकल लोगों से फिल्म में एक्टिंग कराना भी मेकर्स की मेहनत को दिखाता है। उन कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है। लेकिन कहानी के स्तर पर फिल्म कन्फ्यूज करती है और आप ज्यादा कुछ समझ नहीं पाते कि क्यों हो रहा है? ये ही इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी भी है और इसीलिए फिल्म थोड़ी धीमी और खिंची हुई भी लगती है।

Jugnuma The Fable Movie Review and Rating in Hindi Manoj Bajpayee Deepak Dobriyal Film Story Is Slow
जुगनुमा फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

एक्टिंग
फिल्म में जो कुछ भी हैं वो मनोज बाजपेयी ही हैं। उन्होंने हर बार की तरह एक बार फिर अपनी अदाकारी से फिल्म को बांधे रखा है। हालांकि, फिल्म में मनोज बाजपेयी ने कुछ ऐसा नहीं किया है, जो देखकर मुंह से वाह निकले। क्योंकि कहानी की मांग ही ऐसी नहीं थी। पूरी फिल्म में उनके चेहरे पर एक जैसे ही भाव रहे हैं और वो कभी गाड़ी से तो कभी पैदल बस चलते नजर आए हैं। लेकिन शायद एक जैसा भाव रखना भी एक बेहतरीन अदाकारी का उदाहरण है। इस रोल के लिए मनोज बाजपेयी से बेहतर और कोई नहीं हो सकता। इसके अलावा मनोज बाजपेयी की बेटी का किरदार निभाने वाली हिरल सिद्धू ने अच्छा काम किया है। कई बार उनका क्लोज अप शॉट और उनके हाव-भाव ही उनके किरदार की भावनाओं को बयां कर जाते हैं।
कई मौकों पर आपको उनको देखकर गुस्सा भी आ सकती है, लेकिन वो उस किरदार की मांग थी। दीपक डोबरियाल के पास करने के लिए कुछ ज्यादा नहीं था। हम उन्हें इस तरह के किरदारों में पहले भी देख चुके हैं। उन्होंने बड़ी ही सरलता से अपना काम किया है। वो जब स्क्रीन पर आते हैं, तो उन्हें देखकर अच्छा लगता है और आप फिल्म से जुड़ जाते हैं।तिलोत्तमा शोम को जरूर इतने छोटे से किरदार में देखकर बुरा लगता है। समझ नहीं आता कि आखिर क्यों मेकर्स ने तिलोत्तमा जैसी कलाकार को इतने छोटे से किरदार के लिए लिया। पूरी फिल्म में उनके 4-5 सीन ही होंगे। सिर्फ एक सीन लंबा है, जिसमें वो कहानी सुनाती हैं जो फिल्म के सार की दृष्टि से अहम सीन है। बाकी कलाकारों ने बेहतर काम किया है। जो गांव के लोग दिखाए गए हैं, वो काफी प्रभावित करते हैं और स्क्रीन पर एकदम असल लगते हैं। फिल्म के कई सीन ऐसे हैं जो काफी प्रभावित करते हैं और देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं।

Jugnuma The Fable Movie Review and Rating in Hindi Manoj Bajpayee Deepak Dobriyal Film Story Is Slow
जुगनुमा फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

क्या है कमी
कमी की बात करें तो कहानी में ये फिल्म चूक जाती है। कई मौकों पर फिल्म खिंची हुई लगती है। जब इस तरह की फिल्म आती है, तो उम्मीद की जाती है एक बेहतर कहानी और संदेश देने की। लेकिन यहां पर आप समझ नहीं पाते हैं कि आखिर फिल्म कहना क्या चाहती है? फिल्म का अंत समझ से एकदम परे है। एडिट टेबल पर फिल्म को और भी छोटा किया जा सकता था। मनोज बाजपेयी, तिलोत्तमा शोम और दीपक डोबरियाल जैसे कलाकारों को लेकर आप एक और बेहतर फिल्म बना सकते थे। बेशक ये एक आर्ट फिल्म है, लेकिन कहानी और मजबूत की जा सकती थी। क्योंकि अधिकांश दर्शक फिल्म के सार और उद्देश्य को समझ नहीं पाते हैं। निसंदेह यह ‘जुगनुमा’ फिल्म फेस्टिवल्स के लिए बनी है। ये थिएटर में ऑडियंस खींचने और 100-200 करोड़ कमाने वाली फिल्म नहीं है।

देखें या न देखें
आगर आप मनोज बाजपेयी के फैन हैं या फिर आपको आर्ट सिनेमा पसंद है, तो बिल्कुल ये फिल्म आपके लिए है। बाकी अगर आप कुछ सस्पेंस या थ्रिलर समझकर इसे देखना चाहते हैं, तो ‘जुगनुमा’ आपके लिए नहीं है। ये फिल्म आपके लिए एक महंगा सौदा साबित हो सकती है।

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