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Baramulla Review: कश्मीरी पंडितों का दर्द दिखा, डर और रहस्य भी बनाया; सब दिखाने के चक्कर में खिचड़ी बनी कहानी

Kiran Jain किरण जैन
Updated Fri, 07 Nov 2025 03:46 PM IST
सार

Baramulla Movie Review: मानव कौल की फिल्म ‘बारामूला’ आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म में कश्मीर की कहानी देखने को मिलती है। जानिए कैसी है मानव कौल की यह फिल्म…

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Baramulla Movie Review Manav Kaul Starrer Movie Shows The Pain Fear And Suspense Of Kashmiri Pandit
बारामूला फिल्म रिव्यू - फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
बारामूला
कलाकार
मानव कौल , भाषा सुम्बली और राज अर्जुन
लेखक
आदित्य धर
निर्देशक
आदित्य सुहास जांभले
निर्माता
आदित्य धर
रिलीज
6 नवंबर 2025
रेटिंग
3/5

विस्तार
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नेटफ्लिक्स की फिल्म 'बारामूला' को किसी एक तरह की फिल्म कहना मुश्किल है। यह कश्मीर की बर्फ से ढकी घाटियों में बनी एक रहस्यमय कहानी है, जिसमें डर भी है और भावना भी। इसे लिखा और प्रोड्यूस किया है आदित्य धर ने और निर्देशन किया है आदित्य सुहास जांभले ने। दोनों ने मिलकर ऐसा माहौल बनाया है जहां पुरानी यादें और अलौकिक घटनाएं एक साथ जुड़ती हैं।

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Baramulla Movie Review Manav Kaul Starrer Movie Shows The Pain Fear And Suspense Of Kashmiri Pandit
बारामूला फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

कहानी
कहानी की शुरुआत डीएसपी रिदवान सैय्यद (मानव कौल) से होती है, जो बारामूला में बच्चों के गायब होने के मामलों की जांच करने आता है। वह अपनी पत्नी गुलनार (भाषा सुम्बली) और बच्चों के साथ शहर के एक पुराने घर में रहने लगता है। वहां अजीब-अजीब चीजें होने लगती हैं। कभी किसी कमरे से आवाजें आती हैं, कभी परछाइयां दिखती हैं और बच्चों का व्यवहार भी बदलने लगता है। दिन में रिदवान अपने काम में व्यस्त रहता है, जबकि गुलनार और बच्चे उस घर में किसी अनजाने डर को महसूस करते हैं।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, रिदवान और उसके परिवार को एहसास होता है कि इस घर में कुछ पुरानी बातें छिपी हैं जो अब तक खत्म नहीं हुईं। कहानी धीरे-धीरे सिर्फ एक पुलिस जांच से आगे बढ़कर एक ऐसी बात पर पहुंचती है जिसमें पुराने समय का दर्द और रहस्य एक साथ हैं।

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Baramulla Movie Review Manav Kaul Starrer Movie Shows The Pain Fear And Suspense Of Kashmiri Pandit
बारामूला फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

तकनीकी पक्ष
फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा इसका माहौल और तकनीकी काम है। कश्मीर की खूबसूरती, बर्फ, सन्नाटा और धुंध को कैमरे में बहुत अच्छे से दिखाया गया है। सिनेमैटोग्राफी शानदार है। क्लाइमैक्स में अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाली एडिटिंग बहुत प्रभावशाली लगती है। एडिटिंग इतनी अच्छी है कि कई सीन एक साथ चलते हुए भी दर्शक कहानी से जुड़े रहते हैं। फिल्म का तकनीकी पक्ष मजबूत है, लेकिन कुछ हिस्से बहुत डार्क लगते हैं। अगर कोई इस फिल्म को मोबाइल या छोटे स्क्रीन पर देखेगा, तो उसे कई जगह यह साफ समझ नहीं आएगा कि क्या हो रहा है। बड़े पर्दे पर यह फिल्म ज्यादा प्रभाव डालती है।

अभिनय
मानव अपने किरदार में पूरी तरह फिट हैं। उनके चेहरे के भावों में पुलिस अफसर की सख्ती भी है और एक इंसान की बेचैनी भी। भाषा सुम्बली ने गुलनार के किरदार में बहुत सच्चाई और भावना दिखाई है। उन्होंने एक ऐसी औरत का किरदार निभाया है जो डरी हुई भी है और मजबूत भी। दोनों के अभिनय से फिल्म में गहराई आती है। बाकी कलाकारों ने भी अपने हिस्से का काम ईमानदारी से किया है, जिससे पूरी फिल्म का माहौल और कहानी मजबूत बन जाती है।

Baramulla Movie Review Manav Kaul Starrer Movie Shows The Pain Fear And Suspense Of Kashmiri Pandit
बारामूला फिल्म रिव्यू - फोटो : सोशल मीडिया

निर्देशन
निर्देशक आदित्य सुहास जांभले ने कश्मीरी पंडितों के दर्द, अलौकिक घटनाएं, आतंकवाद और बच्चों के ब्रेनवॉश जैसे विषयों को जोड़ने की कोशिश की है। ये सभी बातें दिलचस्प हैं, लेकिन एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़ नहीं पातीं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि फिल्म बहुत कुछ कहना चाहती है, पर सब कुछ उतनी सफाई से नहीं कह पाती। फिल्म का संदेश अच्छा है कि हर समुदाय में अच्छे और बुरे दोनों लोग होते हैं, पर यह बात उतनी साफ नहीं दिखती जितनी दिखनी चाहिए थी। रिदवान की अपनी निजी कहानी, जैसे उसके परिवार और बेटी के रिश्ते का हिस्सा, थोड़ा अधूरा लगता है। मानो उस हिस्से को जल्दी-जल्दी लिखा गया हो, इसलिए उसका असर उतना नहीं होता। आदित्य का निर्देशन ईमानदार और संवेदनशील है। उन्होंने पहले हिस्से में धीरे-धीरे माहौल बनाने की कोशिश की है। हालांकि, यह हिस्सा थोड़ा धीमा लगता है और दर्शकों को तुरंत कहानी से जोड़ नहीं पाता।

देखें या नहीं
बारामूला में कुछ सीन वाकई दिल को छू जाते हैं। खासतौर पर वे पल, जहां अतीत और वर्तमान एक साथ दिखाई देते हैं। ऐसे सीन फिल्म को भावनात्मक गहराई देते हैं। हालांकि, फिल्म की पटकथा थोड़ी कमजोर लगती है। कहानी में कुछ उलझनें हैं और गति भी कई जगहों पर धीमी महसूस होती है। इसके कारण दर्शकों को शुरुआत में कहानी समझने में थोड़ी देर लगती है। कुल मिलाकर बारामुला एक अच्छी लेकिन असमान फिल्म है। इसमें शानदार अभिनय, बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी और प्रभावशाली एडिटिंग है। यह फिल्म डराने से ज्यादा सोचने पर मजबूर करती है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।

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