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Predator Badlands Review: साधारण कहानी लेकिन एक्शन लगा जबरदस्त, अभिनय और निर्देशन ने लगाई फिल्म की नैया पार

Himanshu Soni हिमांशु सोनी
Updated Fri, 07 Nov 2025 09:01 AM IST
सार

Predator Badlands Movie Review: हॉलीवुड की चर्चित एक्शन साइंस-फिक्शन सीरीज 'प्रेडेटर' की नौंवी किस्त 'प्रेडेटर बैडलैंड्स' 7 नवंबर को भारतीय सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में दिमित्रियस शूस्टर-कोलोमाटांगी और एले फैनिंग नजर आ रहे हैं। फिल्म चार भाषाओं में रिलीज होगी- हिंदी, तमिल, इंग्लिश और तेलुगु। कैसी है फिल्म की कहानी, चलिए जानते हैं। 

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Predator Badlands movie Review in hindi  full of actions Dimitrius Koloamatangi Elle Fanning Dan Trachtenberg
प्रेडेटर बैडलैंड्स रिव्यू - फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
प्रेडेटर बैडलैंड्स
कलाकार
एले फैनिंग और दिमित्रियस शूस्टर-कोलोमाटांगी
लेखक
पैट्रिक ऐइसन और डैन ट्रैचनबर्गने
निर्देशक
डैन ट्रैचनबर्गने
निर्माता
डैन ट्रैचनबर्गने , जॉन डेविस , मार्क टॉबरऑफ , बेन रोसेनब्लेट और ब्रेंट ओकॉनर
रिलीज
7 नवंबर 2025
रेटिंग
3.5/5

विस्तार
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जानवरों का एक नियम होता है- या तो शिकार कर लो या फिर शिकार बन जाओ यानी किसी एक का शिकारी किसी दूसरे का शिकार होता है। बस मोटे-मोटे शब्दों में यही इस फिल्म का सार है। फिल्म शुरू होने पर सबसे पहले एक संदेश आता है- 'याउतजा', वो ना किसी के दुश्मन हैं और ना ही दोस्त लेकिन वो सभी के शिकारी हैं। 

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हॉलीवुड की साइंस फिक्शन एक्शन फिल्म 'प्रेडेटर बैडलैंड्स' हमें उसी दुनिया से रूबरू कराती है जहां दानवों की तरह दूसरे जीवों को अपना शिकार बनाया जाता है। अगर आपने पहले 'प्रेडेटर' सीरीज की फिल्में देखी हैं तो आपको पता ही होगा। लेकिन जिन्होंने अभी तक इस सीरीज की पिछली फिल्में नहीं देखीं उनके लिए बता दें कि 'याउतजा' एक शिकारी एलियन प्रजाति है जो दूसरे ग्रहों पर जाकर खतरनाक जीवों और इंसानों का शिकार करती है। 
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कहानी 
फिल्म की कहानी शुरू होती है 'याउतजा' ग्रुप के एक मिशन से जहां उन्हें अपने सबसे बड़े दुश्मन 'कैलिस' को दूसरी दुनिया में जाकर ढूंढकर मार गिराना है। इस खतरनाक काम के लिए 'याउतजा' ग्रुप से क्वी को चुना जाता है लेकिन उसका छोटा भाई डेक जिद करता है कि वो इस काम को अंजाम देगा। हालांकि दोनों के पिता डेक को सबसे कमजोर समझते हैं और उसे मारना चाहते हैं। अपने छोटे भाई को बचाने के चक्कर में क्वी मारा जाता है और डेक अब भाई की मौत का बदला लेना चाहता है, साथ ही 'याउतजा' में अपनी योग्यता भी साबित करना चाहता है। डेक दूसरी दुनिया में चला जाता है जहां हर एक जीव और जानवर उसे मारकर खाना चाहता है। इसी बीच डेक को मिलती है इंसानी रोबोट थिया, जिसके पैर कटे हुए हैं।



थिया के पास बोलने और भावनाओं को समझने की शक्ति है। उसे कैलिस का पता है कि वो कहां मिलेगा, ऐसे में वो डेक की मदद करने के लिए कहती है ताकि बदले में वो अपने खोए हुए पैर और अपनी जुड़वा इंसानी रोबोट थेसा से मिल सके, जो उसे कैलिस से बचाने के चक्कर में ही दूर हो गई है। थिया और थेसा को एक कंपनी ने बनाया है और उनमें भावनाएं डाली हैं ताकि वो जीवों को समझ सकें और उनका फायदा उठा सके। कंपनी का मकसद है कैलिस को ढूंढना और उसे मार गिराना। इसलिए वो अलग-अलग जीवों के जरिए ही कैलिस को मार गिराने का प्लान तैयार कर रही है। तो क्या थिया और थेसा ऐसा करने में कामयाब हो पाईं या फिर डेक ने कैलिस को ढूंढकर मार गिराया? ये सबकुछ जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। 



अभिनय 
डेक के किरदार में नजर आ रहे हैं एक्टर दिमित्रियस शूस्टर-कोलोमाटांगी जिन्हें खुद को दानव के रूप में दिखाने के लिए कम से कम 2-3 किलो प्रोस्थेटिक मेकअप का सहारा लेना पड़ा। घंटों की मशक्कत के बाद वो याउतजा की भूमिका में खुद को स्क्रीन पर प्रेजेंट कर पाए। निश्चित तौर पर मेहनत के मामले में किरदारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। अभिनय इतना रियल लग रहा है मानो किसी एआई द्वारा बुलवाया गया हो। हालांकि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बखूबी किया गया है लेकिन एक्टिंग के मामले में दिमित्रियस शूस्टर को पूरे अंक मिलने चाहिए। वहीं दूसरी तरफ थिया के रोल में एले फैनिंग को एक्टिंग के अलग-अलग रंग दिखाने का मौका मिला है। पूरी फिल्म में अपने अलग-अलग इमोशन्स के साथ थिया ने भी किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है। एक पल भी ऐसा नहीं लगता है कि वो अपने रोल से बाहर आई हैं। साफ शब्दों में कहें दिमित्रियस शूस्टर-कोलोमाटांगी और एले फैनिंग के बीच की केमिस्ट्री इस फिल्म की जान है। दोनों के किरदारों की आपसी बॉन्डिंग भी फिल्म को काफी दिलचस्प बना देती है। 



निर्देशन 
'प्रेडेटर: बैडलैंड्स' का निर्देशन डैन ट्रैचनबर्गने किया है, जिन्होंने पहले प्रे (2022) जैसी सराही गई फिल्म से दर्शकों को प्रभावित किया था। फिल्म में एक दूसरे के जानी दुश्मन बने खतरनाक जीवों के बीच जबरदस्त एक्शन दिखाया गया है। स्टोरी टेलिंग के मामले में भी निर्देशक ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है। कहानी को जिस तरह से पिरोया गया है वो भी तारीफ के काबिल है। हालांकि किसी-किसी सीन में थोड़ी बहुत बोरियत भी लग सकती है क्योंकि पहले सीन से लेकर आखिरी सीन तक, वहीं मार-धाड़ बार-बार दिखाई गई है। फिल्म बीच में जाकर थोड़ी स्लो नजर आती है लेकिन फिर जबरदस्त तरीके से आखिर में ट्विस्ट को डाला गया है। आखिर में ऐसा लगता है जैसे वक्त बदल गया, जज्बात बदल गए और एक बार फिर आपको डायरेक्शन और स्टोरी की गहराई का एहसास होता है। फिल्म के निर्माता जॉन डेविस, डैन ट्रैचनबर्ग, मार्क टॉबरऑफ, बेन रोसेनब्लेट और ब्रेंट ओकॉनर हैं, जबकि पटकथा डैन ट्रैचनबर्ग और पैट्रिक ऐइसन ने लिखी है। 



देखें या नहीं देखें? 
अगर आप हॉलीवुड की एक्शन और साइंस-फिक्शन फिल्मों के जबरे फैन हैं तो आप इस फिल्म को देखकर पसंद करेंगे। वहीं अगर सुपर नैचुरल फिल्में देखकर भी आप खुश होते हैं तो भी आप इस फिल्म को एक बार जरूर देख लेंगे। अगर आप साइंस-फिक्शन फिल्में ज्यादा पसंद नहीं करते हैं तो आपको फिल्म वेस्ट ऑफ टाइम और मनी भी लग सकती है क्योंकि इस केस में एक्शन सीन आपके सिर के ऊपर से जा सकते हैं।

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