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Pankaj Tripathi Exclusive: पिताजी थियेटर में पूजा कराने गए थे, और वहीं मैंने देखी पहली फिल्म, जय संतोषी मां

Pankaj Shukla पंकज शुक्ल
Updated Fri, 30 May 2025 10:23 AM IST
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सार

Pankaj Tripathi Exclusive Interview: अपने नए शो ‘क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4’ को लेकर चर्चाओं में बने अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने अमर उजाला से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने फिल्म ‘जय संतोषी मां’ और ‘शोले’ को लेकर भी बात की।

Pankaj Tripathi Exclusive Interview with Pankaj Shukla remembers Jai Santosh Maa Sholay criminal Justice 4
पंकज त्रिपाठी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुंबई जैसे चकाचौंध वाले शहर में इतनी सफलता हासिल करने के बाद भी अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने अपने भीतर एक गांव छुपा रखा है। ये गांव कभी उनकी बातों में, कभी उनके इरादों में और अक्सर उनके अभिनय में छलक कर सामने आ ही जाता है। पंकज त्रिपाठी से ‘अमर उजाला’ के लिए ये खास बातचीत की सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।

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वेब सीरीज ‘क्रिमिनल जस्टिस’ के तीसरे और चौथे सीजन के बीच देश के आपराधिक कानून में बड़े बदलाव हो चुके हैं, तो इस बार बात किस कानून की हो रही है, भारतीय दंड संहिता की या भारतीय न्याय संहिता की?
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ये कहानी भारतीय न्याय संहिता लागू होने के पहले ही लिखी जा चुकी थी और उसी समय की है। ये एक नई और मौलिक कहानी है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि इस सीरीज के पहले दो सीजन एक विदेशी सीरीज का हिंदी अनुकूलन थे लेकिन पिछला सीजन और ये सीजन पूरी तरह भारतीय भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मौलिक रूप से लिखे गए हैं। ये कहानी पूरी तरह भारतीय है।

गांवों में अब भी कोई वकील काला कोट पहनकर किसी के घर आ जाए तो अच्छा नहीं माना जाता, मौका मिलता तो वकालत की पढ़ाई करते आप?
नहीं, तब तो बिल्कुल ही नहीं पढ़ते। एक तो मेरी इस पेशे में कतई रुचि नहीं रही, दूसरे इस पेशे की छवि उन दिनों ऐसी थी कि बहुत झंझट वाला काम है। उस समय तो मौका मिलता तब भी नहीं पढ़ता वकालत, लेकिन अब देखता हूं तो मुझे लगता है कि कानून की पढ़ाई भले न करें लेकिन इसे लेकर जानकारी होनी बहुत जरूरी है।

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पंकज त्रिपाठी - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

और, इसके लिए आपने एक कमर्शियल सीरीज भी की, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं!’
ये आर्थिक धोखाधड़ी इन दिनों समाज के हर तबके के लोगों के साथ हो रही है। कहीं मैंने पढ़ा कि लखनऊ की एक महिला से लोगों ने 80 लाख रुपये डिजिटल अरेस्ट करके ठग लिए। तब मुझे लगा कि ये तो पढ़े लिखे लोगों क साथ भी हो रहा है। जिनको कुछ नहीं पता, वे तो फंसते ही रहते हैं। 

क्या आपको कभी अपने निजी जीवन में किसी वकील की जरूरत पड़ी?
शुरू में तो कभी नहीं पड़ी लेकिन हां अभिनेता बनने के बाद अब तमाम वकील भी मिलने आते रहते हैं। कुछ से जान पहचान भी अच्छी हो गई है। एक बार मुझे पुलिस का सम्मन आया था किसी मुकदमे के सिलसिले में, तो मैंने अपने परिचित वकील फोन किया तो वह बोले आप रहने दीजिए, इसे मैं ही देख लेता हूं।

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पंकज त्रिपाठी - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

‘क्रिमिनल जस्टिस’ सीरीज का निर्देशन उन रोहन सिप्पी ने किया है जिनके पिता रमेश सिप्पा ने 50 साल पहले फिल्म ‘शोले’ से हिंदी सिनेमा में तहलका मचा दिया था, आपने देखी तो होगी ‘शोले’ बचपन में? 
नहीं, बचपन में नहीं देखी, बड़े होने के बाद भी नहीं देखी। अभी छह-सात साल पहले पहली बार देखी है मैंने ‘शोले’, जब मेरे ऊपर आरोप लगने लगे कि तुम कैसे आदमी हो, जिसने अब तक ‘शोले’ नहीं देखी। क्या है, मैं 10वीं क्लास तक 93 तक बेलसंड (बिहार) में पढ़ा। न बिजली, न टीवी, न कुछ। अखबार तक दोपहर में 12 बजे पहुंच पाता था। गांव में बस कभी की नौटंकी वगैरह आ गई तो वही देख लेते थे। 

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पंकज त्रिपाठी - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
मतलब उस दौर की फिल्मों का कोटा अब पूरा कर रहे हैं?
नहीं, बिल्कुल नहीं। मेरी ऐसी कोई आदत ही नहीं बन पाई है सिनेमा देखने की। अब भी मुझसे कोई फिल्म लगातार दो-तीन घंटे तक नहीं देखी जाती। बीते एक साल में गिनने लगूं तो शायद तीन फिल्में देखी होंगी, वह भी घर में। थियेटर में तो एक भी फिल्म नहीं देखी। सिनेमा का शौक बचपन से लग नहीं पाया। टीवी भी पहली बार तब देखा जब मैं दिल्ली आया।

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पंकज त्रिपाठी और उनकी पत्नी - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
और, जीवन में सिनेमाघर जाकर पहली फिल्म जो देखी होगा, वह याद है?
(जोर देकर याद करने के बाद) बाबूजी एक सिनेमाघर की पूजा कराने गए थे, वहीं हमने देखी थी पहली फिल्म ‘जय संतोषी मां’। बाबूजी हमको गांव से लेकर गए थे। उम्र रही होगी यही कोई 11-12 साल। गांव से 15 किमी दूर ये सिनेमाघर। बड़े शहरों में मेन रिलीज के बाद तब फिल्में छोटे कस्बों में कई कई साल तक घूमती रहती थीं।

ये पूरा इंटरव्यू आप यहां देख सकते हैं

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