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Param Sundari Review: ट्रेलर तक ही ठीक थी ‘परम सुंदरी’, फीकी कहानी और सिद्धार्थ के नकली एक्सप्रेशन देंगे तकलीफ

Akash Khare आकाश खरे
Updated Fri, 29 Aug 2025 02:42 PM IST
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सार

Param Sundari Film Review and Rating in Hindi: सिद्धार्थ मल्होत्रा और जान्हवी कपूर स्टारर फिल्म ‘परम सुंदरी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। सोशल मीडिया पर चर्चा थी कि यह फिल्म शाहरुख-दीपिका स्टारर ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ की कॉपी है। आखिरी यह फिल्म कैसी है? बिना स्पॉइलर यहां जानिए…

Param Sundari Movie Review and Rating in Hindi Sidharth Malhotra Janhvi Kapoor Film Performance
परम सुंदरी मूवी रिव्यू - फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
परम सुंदरी
कलाकार
सिद्धार्थ मल्होत्रा , जान्हवी कपूर , मनजोत सिंह , संजय कपूर और रेन्जी पणिक्कर
लेखक
गौरव मिश्रा , अर्श वोरा और तुषार जलोटा
निर्देशक
तुषार जलोटा
निर्माता
दिनेश विजन
रेटिंग
2/5

विस्तार
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फिल्म ‘परम सुंदरी’ का टीजर जब रिलीज हुआ था तब पहली झलक में यह फिल्म बेहद भरोसेमंद लगी थी। फिल्म का म्यूजिक और केरल की लोकेशन देखकर लगा था कि यह फिल्म जबरदस्त हिट होगी। टीजर रिलीज होने के दो महीने बाद 12 अगस्त को फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ। इसे देखकर भी मजा आया और फिल्म से उम्मीदें बंधी रहीं। 

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हालांकि, ट्रेलर रिलीज के साथ ही फिल्म की तुलना ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ से की जाने लगी। तो सबसे पहले यहां मैं आपको बता दूं कि यह ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ जैसी बिल्कुल नहीं है। उस फिल्म में काफी एलिमेंट थे और यहां निर्माताओं ने उतनी ज्यादा मेहनत की नहीं। बड़ी हैरानी होती है यह जानकर कि इसकी कहानी तीन लोगों ने मिलकर लिखी है। तीन लोग मिलकर भी इसमें वो सब चीजें नहीं डाल पाए, जो इस फिल्म को उससे बेहतर बना सकती थी जैसी यह है। इसकी कहानी का अनुमान भले ही दर्शक पहले से लगा सकते हैं पर इसे पेश बेहतर तरीके से किया जा सकता था।

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कहानी 
कहानी बेहद साधारण सी है। दिल्ली का रहने वाला लड़का परम सचदेव (सिद्धार्थ मल्होत्रा) अपने पिता से मदद मांगता है। मदद के बदले उसके पिता (संजय कपूर) उसे एक चुनौती देते हैं। इसे ही पूरा करने के लिए परम अपने दोस्त जग्गी (मनजोत सिंह) के साथ केरल निकल पड़ता है। यहां उसकी मुलाकात सुंदरी (जान्हवी कपूर) से होती है। इसके बाद कई तरह की स्थितियां बनती हैं जिनमें परम और सुंदरी फंसते हैं। अंत में क्या ही होगा? यह तो अब आप अनुमान लगा ही सकते हैं।



निर्देशन 
दो लोग मिलेंगे, प्यार होगा, अब या तो शादी के बाद कोई ट्विस्ट आएगा या पहले…। यह फॉर्मूला तो बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्मों में हमेशा से ही अपनाया जाता है। अब एक निर्देशक और साथ ही साथ लेखक होने के चलते आपकी जिम्मेदारी होती है कि आप उसे मजेदार बनाएं। यहीं तुषार जलोटा चूक गए। वाे दर्शकों को फिल्म से जोड़ ही नहीं पाए।  

फर्स्ट हाफ में फिल्म जब तक कहानी बुनती है तब तक आप बोर हो चुके हैं। सेकंड हाफ में निर्देशक इसे थोड़ा सा मजेदार बनाते हैं पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक तुषार ने कुछ ऐसा किया ही नहीं कि यह कहा जा सके कि क्या मस्त डायरेक्शन है। उनसे ज्यादा क्रेडिट तो सिनेमैटोग्राफर को दे देना चाहिए, जिन्होंने केरल की खूबसूरत लोकेशंस को शूट करके फिल्म की नाक बचाई है। 

वहीं एक चीज बहुत खटकती है जो कई साल से बॉलीवुड में चली आ रही हैं। किरदार अगर दक्षिण भारत से है तो वो हिंदी की जगह ‘इंदी’ बोलेगा ऐसा जरूरी नहीं है। जान्हवी की अच्छी एक्टिंग भी मेकर्स के इस सुझाव या स्क्रिप्ट की मांग के चलते ओवरएक्टिंग में तब्दील हो गई।



एक्टिंग 
जान्हवी कपूर का काम अच्छा है। कुछ सीन में उन्होंने ओवरएक्टिंग की है पर फिल्म कॉमेडी है इसलिए उसे दरकिनार कर सकते हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा को काश कोई थोड़ा अभिनय और चेहरे के भाव बेहतर करना सिखा था। वो पूरी फिल्म में एक जैसे ही दिखते हैं। या सच कहूं तो हर फिल्म में ही एक जैसे दिखते हैं। उनसे बेहतर काम मनजोत ने किया है। संजय कपूर इस फिल्म में संजय नहीं, बल्कि अपने भाई अनिल कपूर की तरह ही लगते हैं। कई सीन में उनकी एनर्जी और साइड लुक आपको ऐसा महसूस कराता है कि अनिल कपूर ही खड़े हैं। उनका काम कम है पर अच्छा है। बाकी कलाकाराें ने अपना काम ठीक-ठाक किया। बाल कलाकार इनायत वर्मा का काम भी मजेदार है।



कमजोरी 
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी सपाट कहानी है। कहानी में कुछ था नहीं और स्क्रीनप्ले पर काम हुआ नहीं। इसी कहानी में अगर थोड़ी और मजेदार परिस्थितियां डाली जातीं तो यह काफी बेहतर हो सकती थी। फिल्म हर सीन में फीकी सी लगती है। डायलॉग भी कुछ खास नहीं है। सिद्धार्थ और जान्हवी की केमिस्ट्री अच्छी है पर जब दोनों तीन-चार मिनट से ज्यादा लंबा सीन करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे उन्हें कोई संवाद दिए ही नहीं गए, वो बस हर सीन को खुद ही डेवलप कर रहे हैं। दूसरी बड़ी कमजोरी हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा उन्हें एक ही जैसी एक्टिंग करते देख ऊब चुके हैं।



ताकत 
फिल्म की ताकत है इसका संगीत, जिसे फिल्म का टीजर रिलीज होने के बाद से ही लोगों ने खूब पसंद किया है। यह उन चुनिंदा फिल्मों में से है जिनमें कैसा भी सीन चल रहा हो.. गाना आने पर तसल्ली होती है। परदेसिया गाने को तो दिनभर सुना जा सकता है। साथ ही इस गाने के दृश्य भी कमाल हैं। पूरी फिल्म में ही निर्माता-निर्देशक ने केरल को खूबसूरती के साथ पेश किया है। कुछ एक कॉमेडी सीन भी बेहतर बने हैं। 



देखें या नहीं 
सिद्धार्थ-जान्हवी की केमिस्ट्री, हल्की-फुल्की काॅमेडी और बेहतरीन गानाें के दम पर एक बार देखी जा सकती है। बाकी ‘सैयारा’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और ‘टू स्टेट्स’ जैसी उम्मीदें लेकर न जाएं। फिल्म वैसी नहीं है, अलग है। कहानी छोड़कर, केरल की खूबसूरती देख सकते हैं।

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