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Hindi Diwas Special: सोनू सूद से ईशा कोपिकर तक, जानें हिंदी ने कैसे एक्टर्स के करियर को दिया आकार
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सार
Sonu Sood-Isha Koppikar Interview: हिंदी दिवस के मौके पर अमर उजाला ने कई एक्टर्स से बात की। सोनू सूद, ईशा कोपिकर और संदीपा धर ने इस दौरान क्या कुछ कहा, चलिए जानते हैं।

सोनू सूद और ईशा कोपिकर
- फोटो : एक्स
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विस्तार
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारी मातृभाषा का सम्मान और उसकी पहचान बनाए रखने की अहमियत याद दिलाता है। इस हिंदी दिवस पर हमने बात की कुछ एक्टर्स से जिनमें सोनू सूद, ताहा शाह बदुशा, ईशा कोपिकर और संदीपा धर से। उन्होंने साझा किया कि बचपन की कहानियां, कविताएं और परिवार की बातें उन्हें हिंदी से जोड़ती रही। ये सितारे याद दिलाते हैं कि हिंदी हमारे जज्बातों और हमारी जड़ों से भी जुड़ी है।
हिंदी ने मेरी भावनाओं को सीधे ऑडियंस तक पहुंचाया: सोनू सूद
सोनू सूद ने इस दौरान कहा, 'मेरे करियर की नींव ही हिंदी है। हिंदी भाषा ने मुझे आम आदमी से जोड़ा और मेरी कहानियों को हर घर तक पहुंचाया। चाहे पर्दे पर किरदार निभाना हो या जिंदगी में लोगों से जुड़ना हो, हिंदी ने हमेशा मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखा। मेरी मां प्रोफेसर थीं, उनके साथ बैठकर कविताएं और कहानियां पढ़ना मेरे लिए किसी त्योहार से कम नहीं था। वही पल थे जिन्होंने मुझे हिंदी से सिर्फ जोड़ ही नहीं दिया, बल्कि इसे मेरी जिंदगी का हिस्सा बना दिया। हमारी संस्कृति, हमारी मिट्टी, हमारी सोच- सब हिंदी से जुड़ी हैं। आज के युवाओं के लिए हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि अपनी पहचान से जुड़े रहने का जरिया है। जितना आप अपनी मातृभाषा से जुड़े रहेंगे, उतना ही आत्मविश्वास से दुनिया के सामने खड़े होंगे। मुझे लगता है कि अब कंटेंट के जरिए हिंदी की खूबसूरती और ज्यादा निखरकर सामने आ रही है। फिल्मों और वेब सीरीज में ऐसी कहानियां आ रही हैं जो लोगों की असल जिंदगी और जज्बात से जुड़ी हैं। यही हिंदी का असली जादू है - जो दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है।'
अच्छी हिंदी सुनते ही मैं बचपन में लौट जाता हूं: ताहा शाह बदुशा
इस मौके पर ताहा शाह ने कहा, 'हमारी जॉइंट फैमिली थी, जहां अधिकतर हिंदी में बातें होती थीं। विशेष रूप से मेरी दादी की हिंदी से हम इतने प्रभावित थे कि पूछिए मत। उनकी बातें, कहानियां और उनके शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते रहते हैं। शायद यही वजह है कि अच्छी हिंदी सुनते ही मैं बचपन में लौट जाता हूं। अगर मैं यह कहूं तो गलत नहीं होगा कि हिंदी ने ही मेरे करियर को रंगीन बनाया है। विशेष रूप से जब मैं हिंदी में डायलॉग बोलता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरे इमोशंस सीधे मेरे ऑडियंस के दिल तक पहुंचती हैं। आज ऑडियंस से मेरा जो भी रिश्ता है, वो सिर्फ और सिर्फ हिंदी की वजह से ही बना है। मैं समझता हूं, दूसरी भाषाएं सीखना अच्छी बात है, लेकिन हिंदी हमारी पहचान है, हमारी जड़ें उसमें समाई हैं, सो उनसे जुड़े रहना बेहद जरुरी है। उम्मीद करता हूं कि हमारे इंडस्ट्री में हिंदी का अस्तित्व हमेशा बना रहे।'
ये खबर भी पढ़ें: Vivek Agnihotri: कोलकाता में हुई 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग, विवेक बोले- 600 लोग फिल्म देख रहे और 2 हजार..
हिंदी ने मेरे करियर को आकार दिया: ईशा कोपिकर
वहीं अभिनेत्री ईशा ने कहा, 'हिंदी दिवस हमें अपनी मातृभाषा और उसकी खूबसूरती को याद करने और मनाने का अवसर देता है। हिंदी ने मेरे करियर को आकार दिया और मुझे आम दर्शकों से जोड़कर रखा। मराठी, तमिल, तेलुगू में काम करने के बावजूद मेरी पहचान हिंदी फिल्मों से पूरे देश में बनी। बचपन में स्कूल की कविताएं और घर पर ‘अकबर बीरबल’, ‘चाचा चौधरी’, ‘तेनाली रामा’ पढ़ना, ‘विक्रम बेताल’ और ‘मालगुडी डेज’ देखना, मुझे हिंदी से हमेशा जोड़ता रहा। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, हमारी विरासत और पहचान है। सिनेमा में सही तरीके से प्रयोग होने पर हिंदी बहुत एक्सप्रेसिव और सिनेमाई हो सकती है।'
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, हमारी पहचान है: संदीपा धर
वहीं संदीपा धर ने कहा, 'बचपन में दादी हमें कहानियाँ सुनाया करती थीं - रामायण, महाभारत और लोककथाएं। उनकी सरल और भावुक भाषा ने मुझे हिंदी से प्यार करना सिखाया। मेरे करियर में भी हिंदी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। फिल्मों और वेब सीरीज में हिंदी की वजह से मैं अपने इमोशंस और कहानियां सीधे ऑडियंस तक पहुंचा पाई। हिंदी ने मुझे पहचान दी और मेरे जड़ों से जोड़े रखा। हिंदी सिर्फ कम्युनिकेशन का माध्यम नहीं, हमारी संस्कृति और पहचान है। युवा अगर इससे जुड़े रहेंगे तो अपनी जड़ों की ताकत समझ पाएंगे और नई क्रिएटिविटी भी जन्म लेगी।

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सोनू सूद ने इस दौरान कहा, 'मेरे करियर की नींव ही हिंदी है। हिंदी भाषा ने मुझे आम आदमी से जोड़ा और मेरी कहानियों को हर घर तक पहुंचाया। चाहे पर्दे पर किरदार निभाना हो या जिंदगी में लोगों से जुड़ना हो, हिंदी ने हमेशा मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखा। मेरी मां प्रोफेसर थीं, उनके साथ बैठकर कविताएं और कहानियां पढ़ना मेरे लिए किसी त्योहार से कम नहीं था। वही पल थे जिन्होंने मुझे हिंदी से सिर्फ जोड़ ही नहीं दिया, बल्कि इसे मेरी जिंदगी का हिस्सा बना दिया। हमारी संस्कृति, हमारी मिट्टी, हमारी सोच- सब हिंदी से जुड़ी हैं। आज के युवाओं के लिए हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि अपनी पहचान से जुड़े रहने का जरिया है। जितना आप अपनी मातृभाषा से जुड़े रहेंगे, उतना ही आत्मविश्वास से दुनिया के सामने खड़े होंगे। मुझे लगता है कि अब कंटेंट के जरिए हिंदी की खूबसूरती और ज्यादा निखरकर सामने आ रही है। फिल्मों और वेब सीरीज में ऐसी कहानियां आ रही हैं जो लोगों की असल जिंदगी और जज्बात से जुड़ी हैं। यही हिंदी का असली जादू है - जो दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है।'
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अच्छी हिंदी सुनते ही मैं बचपन में लौट जाता हूं: ताहा शाह बदुशा
इस मौके पर ताहा शाह ने कहा, 'हमारी जॉइंट फैमिली थी, जहां अधिकतर हिंदी में बातें होती थीं। विशेष रूप से मेरी दादी की हिंदी से हम इतने प्रभावित थे कि पूछिए मत। उनकी बातें, कहानियां और उनके शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते रहते हैं। शायद यही वजह है कि अच्छी हिंदी सुनते ही मैं बचपन में लौट जाता हूं। अगर मैं यह कहूं तो गलत नहीं होगा कि हिंदी ने ही मेरे करियर को रंगीन बनाया है। विशेष रूप से जब मैं हिंदी में डायलॉग बोलता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरे इमोशंस सीधे मेरे ऑडियंस के दिल तक पहुंचती हैं। आज ऑडियंस से मेरा जो भी रिश्ता है, वो सिर्फ और सिर्फ हिंदी की वजह से ही बना है। मैं समझता हूं, दूसरी भाषाएं सीखना अच्छी बात है, लेकिन हिंदी हमारी पहचान है, हमारी जड़ें उसमें समाई हैं, सो उनसे जुड़े रहना बेहद जरुरी है। उम्मीद करता हूं कि हमारे इंडस्ट्री में हिंदी का अस्तित्व हमेशा बना रहे।'
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हिंदी ने मेरे करियर को आकार दिया: ईशा कोपिकर
वहीं अभिनेत्री ईशा ने कहा, 'हिंदी दिवस हमें अपनी मातृभाषा और उसकी खूबसूरती को याद करने और मनाने का अवसर देता है। हिंदी ने मेरे करियर को आकार दिया और मुझे आम दर्शकों से जोड़कर रखा। मराठी, तमिल, तेलुगू में काम करने के बावजूद मेरी पहचान हिंदी फिल्मों से पूरे देश में बनी। बचपन में स्कूल की कविताएं और घर पर ‘अकबर बीरबल’, ‘चाचा चौधरी’, ‘तेनाली रामा’ पढ़ना, ‘विक्रम बेताल’ और ‘मालगुडी डेज’ देखना, मुझे हिंदी से हमेशा जोड़ता रहा। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, हमारी विरासत और पहचान है। सिनेमा में सही तरीके से प्रयोग होने पर हिंदी बहुत एक्सप्रेसिव और सिनेमाई हो सकती है।'
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