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Tere Ishk Mein Review: धनुष की आंखों में छिपा दर्द बना असली ताकत, छोटे रोल में जीशान ने छीनी लाइमलाइट
सार
Tere Ishq Mein Review: फिल्म 'तेरे इश्क में' 28 नवंबर यानी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। धनुष और कृति की इस दर्द भरी लवस्टोरी की कहानी कैसी है, ये जानने के लिए पढ़ें रिव्यू।
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तेरे इश्क में
- फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
तेरे इश्क में
कलाकार
धनुष
,
कृति सेनन
,
मोहम्मद जीशान अय्यूब
और
प्रकाश राज
लेखक
हिमांशु शर्मा
और
नीरज यादव
निर्देशक
आनंद एल. राय
निर्माता
कलर येलो प्रोडक्शन्स
रिलीज
28 नवंबर 2025
रेटिंग
3/5
विस्तार
'तेरे इश्क में’ एक ऐसी लव स्टोरी है, जिसमें जुनून, दर्द, प्यार और गुस्सा सब कुछ एक साथ देखने को मिलता है। फिल्म की शुरुआत एक मजबूत मोड़ से होती है, जिससे कहानी तुरंत पकड़ बना लेती है। जैसे-जैसे फ्लैशबैक खुलता है, ऑडियंस यह जानने के लिए उत्सुक हो जाती है कि आखिर शंकर और मुक्ति के रिश्ते में ऐसा क्या हुआ कि दोनों अलग हो गए।
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तेरे इश्क में
- फोटो : YoutubeTseries
कहानी
कहानी शंकर गुरुक्कल (धनुष) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो DUSU (दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ) का अध्यक्ष है और अपने हिंसक तथा दबंग रवैये के लिए कॉलेज में मशहूर है। मुक्ति (कृति सेनन) एक रिसर्च स्कॉलर है, जो यह साबित करना चाहती है कि हिंसक व्यक्ति भी बदल सकता है। मुक्ति शंकर को अपना थीसिस सब्जेक्ट बना लेती है। शुरू में शंकर तैयार नहीं होता, मगर धीरे-धीरे वह मुक्ति से प्यार करने लगता है और अपने स्वभाव में बदलाव लाता है। मुक्ति पीएचडी पूरी कर लेती है, लेकिन शंकर को एहसास होता है कि उसके प्यार को वैसी जगह नहीं मिली। फिर शुरू होती है सात साल बाद की कहानी....यही हिस्सा फिल्म को इमोशनल और गहरा बनाता है।
कहानी शंकर गुरुक्कल (धनुष) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो DUSU (दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ) का अध्यक्ष है और अपने हिंसक तथा दबंग रवैये के लिए कॉलेज में मशहूर है। मुक्ति (कृति सेनन) एक रिसर्च स्कॉलर है, जो यह साबित करना चाहती है कि हिंसक व्यक्ति भी बदल सकता है। मुक्ति शंकर को अपना थीसिस सब्जेक्ट बना लेती है। शुरू में शंकर तैयार नहीं होता, मगर धीरे-धीरे वह मुक्ति से प्यार करने लगता है और अपने स्वभाव में बदलाव लाता है। मुक्ति पीएचडी पूरी कर लेती है, लेकिन शंकर को एहसास होता है कि उसके प्यार को वैसी जगह नहीं मिली। फिर शुरू होती है सात साल बाद की कहानी....यही हिस्सा फिल्म को इमोशनल और गहरा बनाता है।
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तेरे इश्क में
- फोटो : सोशल मीडिया
एक्टिंग
धनुष इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। उनके चेहरे की भावनाएं, आंखों का दर्द और गुस्सा .... हर फ्रेम में असर छोड़ते हैं। कृति ने अपना काम ईमानदारी से निभाया है, हालांकि कई जगह धनुष के सामने उनका प्रभाव कम महसूस होता है। लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज पैकेज हैं ...मोहम्मद जीशान अय्यूब। छोटा रोल है, मगर दिल से जुड़ जाता है। उनका किरदार आते ही फिल्म की आत्मा को एक नया रंग देता है। जीशान और धनुष का एक सीन ऐसा है जो सीधे दिल में उतरता है। यह जोड़ी आपको 'रांझणा' की याद दिला देती है...उनके बीच की समझ, डायलॉग्स की पकड़ और भावनाओं की गहराई फिल्म को एक अलग स्तर देती है। प्रकाश राज, धनुष के रोल में बेहतरीन एक्टिंग देकर फिल्म को मजबूती से संभालते हैं। उनका रोल छोटा मगर असरदार है।
यह खबर भी पढ़ें: Tere Ishk Mein X Review: धनुष-कृति की 'तेरे इश्क में' हुई रिलीज, जानें फिल्म पर लोगों ने क्या दी प्रतिक्रिया
धनुष इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। उनके चेहरे की भावनाएं, आंखों का दर्द और गुस्सा .... हर फ्रेम में असर छोड़ते हैं। कृति ने अपना काम ईमानदारी से निभाया है, हालांकि कई जगह धनुष के सामने उनका प्रभाव कम महसूस होता है। लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज पैकेज हैं ...मोहम्मद जीशान अय्यूब। छोटा रोल है, मगर दिल से जुड़ जाता है। उनका किरदार आते ही फिल्म की आत्मा को एक नया रंग देता है। जीशान और धनुष का एक सीन ऐसा है जो सीधे दिल में उतरता है। यह जोड़ी आपको 'रांझणा' की याद दिला देती है...उनके बीच की समझ, डायलॉग्स की पकड़ और भावनाओं की गहराई फिल्म को एक अलग स्तर देती है। प्रकाश राज, धनुष के रोल में बेहतरीन एक्टिंग देकर फिल्म को मजबूती से संभालते हैं। उनका रोल छोटा मगर असरदार है।
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तेरे इश्क में
- फोटो : एक्स
निर्देशन
निर्देशन की बात करें तो आनंद एल राय पहले हाफ में पूरी पकड़ बनाए रखते हैं। कई सीन्स बेहतरीन ढंग से फिल्माए गए हैं ... जैसे, मुक्ति का शंकर को अपना सब्जेक्ट बनाना, धनुष और उनके पिता के बीच का रिश्ता, धनुष का आक्रोशित होना। हालांकि दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी भटकती है और कई जगह स्क्रिप्ट हल्की लगती है। कुछ सीन लॉजिक से दूर नजर आते हैं। फिल्म कहीं कहीं थोड़ी लंबी भी महसूस होती है। हालांकि, बनारस का एहसास...छोटे लेवल पर ही सही, लेकिन वहां की मिट्टी और लोकल बोली की झलक निर्देशन में दिखती है।
निर्देशन की बात करें तो आनंद एल राय पहले हाफ में पूरी पकड़ बनाए रखते हैं। कई सीन्स बेहतरीन ढंग से फिल्माए गए हैं ... जैसे, मुक्ति का शंकर को अपना सब्जेक्ट बनाना, धनुष और उनके पिता के बीच का रिश्ता, धनुष का आक्रोशित होना। हालांकि दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी भटकती है और कई जगह स्क्रिप्ट हल्की लगती है। कुछ सीन लॉजिक से दूर नजर आते हैं। फिल्म कहीं कहीं थोड़ी लंबी भी महसूस होती है। हालांकि, बनारस का एहसास...छोटे लेवल पर ही सही, लेकिन वहां की मिट्टी और लोकल बोली की झलक निर्देशन में दिखती है।
तेरे इश्क में
- फोटो : YoutubeTseries
संगीत
संगीत की बात हो रही हो और नाम ए आर रहमान का आए तो उम्मीदें अपने आप बढ़ जाती हैं। फिल्म में संगीत कहानी के साथ मेल खाता है, लेकिन गाने लंबे समय तक याद नहीं रहते। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और इमोशनल सीन को गहराई देता है।
संगीत की बात हो रही हो और नाम ए आर रहमान का आए तो उम्मीदें अपने आप बढ़ जाती हैं। फिल्म में संगीत कहानी के साथ मेल खाता है, लेकिन गाने लंबे समय तक याद नहीं रहते। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और इमोशनल सीन को गहराई देता है।
तेरे इश्क में
- फोटो : एक्स
देखें या नहीं?
अगर आपको जुनून से भरी मोहब्बत, दिल को छू लेने वाले भाव और कच्चे किरदारों की सच्ची कहानी देखना पसंद है, तो ‘तेरे इश्क में’ जरूर देखी जा सकती है। फिल्म में कमियां जरूर हैं, लेकिन धनुष का अभिनय इस कहानी को देखने लायक बना देता है। वो हर दृश्य में अपनी आंखों और हावभाव से ऐसा एहसास जगाते हैं, जिसे बोलकर नहीं, महसूस करके समझा जाता है। अगर आप पहले की फिल्म ‘रांझणा’ के चाहने वाले रहे हैं, तो यहां भी वही एहसास दोबारा जग सकता है। खासकर जब जीशान अय्यूब और धनुष एक साथ पर्दे पर आते हैं, तो उनकी समझ, डायलॉग और दोस्ती आपको बनारस की गलियों में ले जाती है। उनकी मौजूदगी छोटी है, लेकिन फिल्म की रूह बन जाती है।
अगर आपको जुनून से भरी मोहब्बत, दिल को छू लेने वाले भाव और कच्चे किरदारों की सच्ची कहानी देखना पसंद है, तो ‘तेरे इश्क में’ जरूर देखी जा सकती है। फिल्म में कमियां जरूर हैं, लेकिन धनुष का अभिनय इस कहानी को देखने लायक बना देता है। वो हर दृश्य में अपनी आंखों और हावभाव से ऐसा एहसास जगाते हैं, जिसे बोलकर नहीं, महसूस करके समझा जाता है। अगर आप पहले की फिल्म ‘रांझणा’ के चाहने वाले रहे हैं, तो यहां भी वही एहसास दोबारा जग सकता है। खासकर जब जीशान अय्यूब और धनुष एक साथ पर्दे पर आते हैं, तो उनकी समझ, डायलॉग और दोस्ती आपको बनारस की गलियों में ले जाती है। उनकी मौजूदगी छोटी है, लेकिन फिल्म की रूह बन जाती है।