बर्फखाना जमीन मामला: मंत्री अनिल विज का बयान, सरकार के पास है जमीन का मालिकाना हक
मंत्री अनिल विज ने बताया कि बर्फखाना जमीन को लेकर 5 फरवरी 1977 को हुए एक्साइज समझौते के बाद कई कोर्ट केस लंबित हैं। जनरल लैंड रिकॉर्ड (जीएलआर) के अनुसार, बर्फखाना जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड से प्राप्त हुई थी और इसका मालिकाना हक सरकार के पास है।

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हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने अंबाला छावनी के बर्फखाना जमीन मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए इसकी जांच के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इसके साथ ही, उन्होंने छावनी में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग भी की है।

बर्फखाना जमीन मामले में जांच के निर्देश
मंत्री अनिल विज ने बताया कि बर्फखाना जमीन को लेकर 5 फरवरी 1977 को हुए एक्साइज समझौते के बाद कई कोर्ट केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इन मामलों में सरकारी कर्मचारियों द्वारा अदालतों में उचित दस्तावेज पेश न करने के कारण देरी हो रही है। विज ने सरकार से आग्रह किया है कि इसकी जांच की जाए ताकि यह स्पष्ट हो कि कर्मचारियों ने पैरवी में क्या कमी छोड़ी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार, लीज पर दी गई जमीन पर नया भवन या ढांचा नहीं बनाया जा सकता। ऐसा करने पर लीज रद्द हो सकती है और अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जा सकता है।
जीएलआर के अनुसार जमीन का मालिकाना हक
विज ने बताया कि जनरल लैंड रिकॉर्ड (जीएलआर) के अनुसार, बर्फखाना जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड से प्राप्त हुई थी और इसका मालिकाना हक सरकार के पास है। ऐसी जमीन की खरीद-बिक्री अपराध है और इसके लिए केस दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल अंबाला छावनी तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के 62 छावनी क्षेत्रों से जुड़ा है, जहां अंग्रेजों के समय जमीन केवल लीज पर दी जाती थी,
5 फरवरी 1977 को अंबाला छावनी सदर क्षेत्र की जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड से अंबाला सदर नगर पालिका को हस्तांतरित की गई थी। विज ने इस मामले में पहले भी जांच के लिए सरकार को पत्र लिखा था। अंबाला छावनी में सफाई व्यवस्था को लेकर विज ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में कई विकास कार्य किए हैं। सभी पार्षदों को अपने-अपने वॉर्ड में सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, सफाई कर्मियों की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं।
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