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Bhiwani News: हाथ नहीं होने का जरा भी नहीं मलाल, शूटिंग और तैराकी में दिखा रही ढांगर की बेटी कमाल
संवाद न्यूज एजेंसी, भिवानी
Updated Wed, 03 Dec 2025 02:14 AM IST
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शूटिंग का अभ्यास करती खिलाड़ी मोनिका शर्मा।
- फोटो : 1
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भिवानी। जिले के छोटे से गांव ढांगर की 25 वर्षीय मोनिका शर्मा ने साबित कर दिया है कि हौसले मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता नहीं रोक सकती। वर्ष 2012 के करंट हादसे में अपना एक हाथ खो देने के बावजूद मोनिका ने हार नहीं मानी और शूटिंग और तैराकी में निरंतर अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली मोनिका आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। वे शूटिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं और तैराकी में भी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुकी हैं।
हादसे के बाद भी नहीं टूटी मोनिका की हिम्मत
मोनिका ने बताया कि 14 वर्ष की आयु में दसवीं कक्षा के दौरान घर के काम करते समय उनका हाथ बिजली के तार से टकरा गया जिससे करंट लगने के बाद चिकित्सकों को उनका एक हाथ काटना पड़ा। चुनौती बड़ी थी लेकिन मोनिका की हिम्मत उससे भी बड़ी निकली। स्कूल शिक्षा पूरी करने के बाद जब उन्होंने राजीव गांधी महाविद्यालय में प्रवेश लिया तो साथी खिलाड़ियों को देखकर खेलों के प्रति उनकी रुचि बढ़ी। भिवानी स्थित हरियाणा शूटिंग स्पॉट रेंज अकादमी में कोच गौरव और ललित के मार्गदर्शन में उन्होंने शूटिंग का अभ्यास आरंभ किया। शुरुआत में छह महीने तक पिस्टल शूटिंग में मेहनत की बाद में राइफल इवेंट में रुचि लेते हुए लगातार अभ्यास किया और विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदकों की झड़ी लगा दी। परिवार ने भी उनके जज्बे को देखते हुए पूरा सहयोग दिया।
मोनिका की प्रमुख उपलब्धियां
• वर्ष 2025 – करणी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित 10वीं हरियाणा पैरा शूटिंग चैंपियनशिप के राइफल इवेंट में दो स्वर्ण पदक
• वर्ष 2025 – पुणे, महाराष्ट्र में पहली इंडिया ओपन शूटिंग और तीसरी ट्रायल शूटिंग स्पर्धा में रजत व कांस्य पदक
• वर्ष 2025 – राज्यस्तरीय शूटिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक
• वर्ष 2025 – खेलो इंडिया शूटिंग स्पर्धा में रजत पदक
• वर्ष 2024-25 और 2023-24 – नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक
• वर्ष 2024-25 – नेशनल राइफल इवेंट में रजत पदक
• वर्ष 2024-25 – नेशनल राइफल स्टैंडिंग इवेंट में कांस्य पदक
• वर्ष 2024 – शूटिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व
परिवार के सहयोग से मिली कामयाबी
मोनिका ने बताया कि उनकी सफलता के पीछे परिवार, विशेषकर बड़े भाई देवेंद्र का सबसे बड़ा योगदान है। आर्थिक परिस्थितियां कठिन होने के बावजूद भाई ने कभी उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दी। खेलों में आगे बढ़ने की पूरी आजादी दी और हर चुनौती में साथ खड़ा रहा। उनकी मां मंजू का आशीर्वाद और पिता हरिओम का समर्थन उन्हें हमेशा संबल देता है। मोनिका बताती हैं कि मां की एक प्रेरणादायक बात मेहनत करती रह, एक दिन उसका फल जरूर मिलेगा उन्हें हर असफलता को सीख में बदलने की हिम्मत देती है।
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हादसे के बाद भी नहीं टूटी मोनिका की हिम्मत
मोनिका ने बताया कि 14 वर्ष की आयु में दसवीं कक्षा के दौरान घर के काम करते समय उनका हाथ बिजली के तार से टकरा गया जिससे करंट लगने के बाद चिकित्सकों को उनका एक हाथ काटना पड़ा। चुनौती बड़ी थी लेकिन मोनिका की हिम्मत उससे भी बड़ी निकली। स्कूल शिक्षा पूरी करने के बाद जब उन्होंने राजीव गांधी महाविद्यालय में प्रवेश लिया तो साथी खिलाड़ियों को देखकर खेलों के प्रति उनकी रुचि बढ़ी। भिवानी स्थित हरियाणा शूटिंग स्पॉट रेंज अकादमी में कोच गौरव और ललित के मार्गदर्शन में उन्होंने शूटिंग का अभ्यास आरंभ किया। शुरुआत में छह महीने तक पिस्टल शूटिंग में मेहनत की बाद में राइफल इवेंट में रुचि लेते हुए लगातार अभ्यास किया और विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदकों की झड़ी लगा दी। परिवार ने भी उनके जज्बे को देखते हुए पूरा सहयोग दिया।
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मोनिका की प्रमुख उपलब्धियां
• वर्ष 2025 – करणी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित 10वीं हरियाणा पैरा शूटिंग चैंपियनशिप के राइफल इवेंट में दो स्वर्ण पदक
• वर्ष 2025 – पुणे, महाराष्ट्र में पहली इंडिया ओपन शूटिंग और तीसरी ट्रायल शूटिंग स्पर्धा में रजत व कांस्य पदक
• वर्ष 2025 – राज्यस्तरीय शूटिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक
• वर्ष 2025 – खेलो इंडिया शूटिंग स्पर्धा में रजत पदक
• वर्ष 2024-25 और 2023-24 – नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक
• वर्ष 2024-25 – नेशनल राइफल इवेंट में रजत पदक
• वर्ष 2024-25 – नेशनल राइफल स्टैंडिंग इवेंट में कांस्य पदक
• वर्ष 2024 – शूटिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व
परिवार के सहयोग से मिली कामयाबी
मोनिका ने बताया कि उनकी सफलता के पीछे परिवार, विशेषकर बड़े भाई देवेंद्र का सबसे बड़ा योगदान है। आर्थिक परिस्थितियां कठिन होने के बावजूद भाई ने कभी उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दी। खेलों में आगे बढ़ने की पूरी आजादी दी और हर चुनौती में साथ खड़ा रहा। उनकी मां मंजू का आशीर्वाद और पिता हरिओम का समर्थन उन्हें हमेशा संबल देता है। मोनिका बताती हैं कि मां की एक प्रेरणादायक बात मेहनत करती रह, एक दिन उसका फल जरूर मिलेगा उन्हें हर असफलता को सीख में बदलने की हिम्मत देती है।