Sanchar Saathi App: निगरानी की आशंकाओं पर संसद में सवाल; सिंधिया ने दिया जवाब- संचार साथी एप से जासूसी नहीं
संचार साथी एप प्राइवेसी को लेकर मचे घमासान के बीच संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा बयान सामने आया है। यह बयान उन्होंने लोकभा में दिया जहां उन्होंने प्राइवेसी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एप को बिल्कुल सुरक्षित बताया।
विस्तार
संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में साफ कहा है कि 'संचार साथी' एप के जरिए जासूसी बिल्कुल भी संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि यह एप लोगों की सुरक्षा और मदद के लिए बनाया गया है। लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने की हमारी कोई मंशा नहीं है। हाल ही में मंत्रालय ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने नए मोबाइल फोन्स में यह एप पहले से इंस्टॉल करके बेचें। साथ ही, मौजूदा फोन में भी इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा।
प्रश्नकाल के दौरान सिंधिया ने कहा, यह एप सिर्फ यूजर्स की सुरक्षा के लिए है। इससे स्नूपिंग यानी जासूसी न तो संभव है और न ही भविष्य में होगी। सरकार चाहती है कि लोग खुद को सुरक्षित रखने के लिए तकनीकी साधनों से लैस हों। मंत्रालय के 28 नवंबर के आदेश में कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि, संचार साथी एप फोन सेटअप के समय ही दिखे। एप की किसी भी सुविधा को बंद या सीमित न किया जा सके।
हालांकि, सिंधिया ने मंगलवार को यह भी कहा था कि अगर कोई यूजर इस एप को इस्तेमाल नहीं करना चाहता है तो वह इसे अपने फोन से हटाने के लिए स्वतंत्र है।
#Wintersession2025
— SansadTV (@sansad_tv) December 3, 2025
Union Minister @JM_Scindia replies to the questions asked by member during #QuestionHour in #LokSabha regarding Base Transceiver Stations.@ombirlakota @loksabhaspeaker @LokSabhaSectt#ParliamentWinterSession @MIB_India @DoT_India pic.twitter.com/xbaJrmPXek
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र सरकार के संचार साथी एप को लेकर बड़े सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह एप नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार को पूरी तरह समाप्त कर सकता है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि एप के जरिए किसी भी यूजर की रियल-टाइम लोकेशन, सर्च हिस्ट्री, फाइनेंशियल लेन-देन को जाना जा सकता है। साथ ही SMS व वाट्सएप चैट तक की निगरानी संभव हो है। उनका दावा है कि सरकार ने मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया है कि यह एप हर फीचर फोन और स्मार्टफोन में प्री-इंस्टॉल होना चाहिए। इसे न तो हटाया जा सकेगा और न ही डिसेबल किया जा सकेगा।
सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि अगर एप में 'किल स्विच' मौजूद है। तो सरकार किसी भी फोन को एक पल में बंद कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और असहमति रखने वालों को निशाना बनाना आसान हो जाएगा। उन्होंने चिंता जताई कि एप के कारण पासवर्ड, बैंक अकाउंट की जानकारी और निजी डाटा किसी सरकारी एजेंसी या हैकर की पहुंच में आ सकते हैं।
सुरजेवाला का कहना है कि यह व्यवस्था लाखों डिवाइसेज को महीनों तक जोखिम में डाल सकती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर सरकार अपडेट जारी कर दे। लेकिन सैमसंग जैसी कोई कंपनी उसे तीन महीने देर से रोलआउट करे। तो इस दौरान उस कंपनी के सारे फोन हैकिंग के खतरे में रहेंगे।
कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार से तीन बड़े प्रश्नों के जवाब मांगे:
- इस तरह के अनिवार्य एप इंस्टॉलेशन के लिए कानूनी अधिकार क्या है?
- अनिवार्य सॉफ्टवेयर अपडेट किस अधिकार के तहत लागू किए जा रहे हैं?
- क्या कोई स्वतंत्र सुरक्षा ऑडिट, डाटा सुरक्षा उपाय और दुरुपयोग रोकने की व्यवस्था मौजूद है?