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Geiser Safety Tips: बाथरूम में लगा गीजर क्यों ले रहा जान? जानिए कहां हो रही गलती, किन बातों से रहें सावधान
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जागृति
Updated Wed, 03 Dec 2025 12:43 PM IST
सार
Bathroom Geyser Accident: सर्दियों में कई जगहों से गीजर इस्तेमाल करते समय मौत के केस सामने आ रहे हैं। जिसे लेकर विशेषज्ञों ने सुरक्षा टिप्स बताएं है। जानिए कैसे गीजर इस्तेमाल करते समय हो रही ये दुर्घटनाएं और इनसे बचने के उपाय।
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गीजर इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान।
- फोटो : अमर उजाला
ठंड का मौसम शुरू होते ही देशभर में गीजर की बिक्री तेजी से बढ़ जाती है, लेकिन इसी के साथ बाथरूम में दम घुटने और करंट लगने जैसी घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बाथरूम के अंदर गैस गीजर चलने के दौरान दम घुटने से 12 वर्षीय बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, देवरिया में गीजर का प्लग लगाते समय करंट लगने से एक महिला की जान चली गई। केरल, राजस्थान, दिल्ली व उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में भी हर साल ऐसे केस सामने आते हैं, जहां लोग नहाते समय बेहोश हो जाते हैं और उन्हें अस्पताल ले जाने तक देर हो चुकी होती है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : freepik
मौत कैसे होती है?
विशेषज्ञों के अनुसार, इन हादसों की सबसे बड़ी वजह बाथरूम के अंदर गैस गीजर का इस्तेमाल और वेंटिलेशन की कमी है। गैस गीजर एलपीजी/पीएनजी (Liquefied Petroleum Gas (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस),PNG (Piped Natural Gas (पाइप्ड नेचुरल गैस) जलाते समय कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस पैदा करते हैं। यह रंगहीन और गंधहीन गैस शरीर में ऑक्सीजन की जगह लेने लगती है। कुछ ही मिनटों में चक्कर, तेज सांस, आंखों में अंधेरा और फिर बेहोशी आने लगती है। यदि समय पर मदद न मिले तो ऑक्सीजन की कमी के कारण 8 से 15 मिनट में मौत भी हो सकती है।
ये भी पढ़े:Geyser Safety Tips: गीजर इस्तेमाल करते समय रखें इन बातों का ध्यान, रहेंगे पूरी तरह सुरक्षित
विशेषज्ञों के अनुसार, इन हादसों की सबसे बड़ी वजह बाथरूम के अंदर गैस गीजर का इस्तेमाल और वेंटिलेशन की कमी है। गैस गीजर एलपीजी/पीएनजी (Liquefied Petroleum Gas (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस),PNG (Piped Natural Gas (पाइप्ड नेचुरल गैस) जलाते समय कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस पैदा करते हैं। यह रंगहीन और गंधहीन गैस शरीर में ऑक्सीजन की जगह लेने लगती है। कुछ ही मिनटों में चक्कर, तेज सांस, आंखों में अंधेरा और फिर बेहोशी आने लगती है। यदि समय पर मदद न मिले तो ऑक्सीजन की कमी के कारण 8 से 15 मिनट में मौत भी हो सकती है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Adobe Stock
कौन से गीजर खतरनाक?
बाजार में कई प्रकार के गीजर उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि गैस गीजर सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि इनमें आग जलने से CO गैस बनती है। इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक गीजर में इस गैस का खतरा कम होता है, लेकिन इनसे ओवरहीटिंग, विस्फोट और करंट लगने जैसी घटनाएं सामने आती हैं। हादसे ज्यादातर तब होते हैं जब लोग लंबे समय तक शावर लेते हैं, बाथरूम पूरी तरह बंद होता है और वेंटिलेशन नहीं होता। कई लोग गीजर की सर्विस भी वर्षों तक नहीं कराते, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
ये भी पढ़े: Winter Tips: सर्दियों में गीजर और हीटर चलाने के बाद भी आ रहा ज्यादा बिजली बिल, तो अपनाएं ये टिप्स
बाजार में कई प्रकार के गीजर उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि गैस गीजर सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि इनमें आग जलने से CO गैस बनती है। इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक गीजर में इस गैस का खतरा कम होता है, लेकिन इनसे ओवरहीटिंग, विस्फोट और करंट लगने जैसी घटनाएं सामने आती हैं। हादसे ज्यादातर तब होते हैं जब लोग लंबे समय तक शावर लेते हैं, बाथरूम पूरी तरह बंद होता है और वेंटिलेशन नहीं होता। कई लोग गीजर की सर्विस भी वर्षों तक नहीं कराते, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
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गीजर
- फोटो : AI
ऐसे करें बचाव
- एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ सावधानियां बरतने से करीब 95% हादसों को रोका जा सकता है। बाथरूम में वेंटिलेशन बना रहे इसलिए एग्जॉस्ट फैन लगवाएं। नहाते समय एग्जॉस्ट फैन जरूर चलाएं।
- गीजर को लगातार लंबे समय तक चालू न रखें, बल्कि काम हो जाने के बाद बंद कर दें। बच्चे और बुजुर्गों को अकेले बाथरूम में न जाने दें, क्योंकि उन्हें चक्कर आने या सांस रुकने का एहसास देर से होता है।
- गीजर की लौ हमेशा नीली होनी चाहिए। पीली लौ का मतलब है गैस ठीक से नहीं जल रही और जहरीली CO बन रही है। घर में गैस गीजर लगा है तो कार्बन मोनोऑक्साइड डिटेक्टर जरूर लगवाना चाहिए, जिसकी कीमत लगभग 800 से 1200 रुपये होती है। यह जहरीली गैस का स्तर बढ़ते ही अलार्म बजा देता है।
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गीजर
- फोटो : Adobe Stock
ऐसी स्थित में क्या करें?
अगर कोई बाथरूम में बेहोश मिले तो तुरंत दरवाजा तोड़कर व्यक्ति को खुले स्थान पर ले जाएं। कपड़े ढीले करें, नाक-मुंह साफ करें और सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) आता हो तो दें। तुरंत 108 एम्बुलेंस पर कॉल करें और करीबी अस्पताल में ले जाएं।
अगर कोई बाथरूम में बेहोश मिले तो तुरंत दरवाजा तोड़कर व्यक्ति को खुले स्थान पर ले जाएं। कपड़े ढीले करें, नाक-मुंह साफ करें और सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) आता हो तो दें। तुरंत 108 एम्बुलेंस पर कॉल करें और करीबी अस्पताल में ले जाएं।