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क्या सिस्टम से हारे एडीजीपी: आईपीएस वाई पूरण कुमार ने अपने करियर में उठाए थे कई सवाल, 2020 में हुई थी शुरुआत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 09 Oct 2025 12:12 PM IST
सार
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार ने अपने घर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे।
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एडीजीपी वाई पूरण कुमार की फाइल फोटो
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
हरियाणा के दिवंगत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार ने अपने करियर के दौरान सरकार, विभाग और सिस्टम पर कई बार सवाल उठाए।
उन्होंने खुले तौर पर नियमों, पदोन्नति, पोस्टिंग और भेदभाव को लेकर सरकार, प्रमुख सचिव, चुनाव आयोग और संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर शिकायतें दर्ज कराईं। उनकी आत्महत्या के कारणों की जांच में इन मामलों पर सवाल उठ सकते हैं। अभी यह खुलासा होना बाकी है कि सुसाइड नोट में क्या इन मामलों से संबंधित लोगों के नाम भी हैं?
यह भी पढ़ें: माैत के बाद तो सामने आए सच्चाई: IPS वाई पूरण कुमार के फाइनल नोट में छलका दर्द, लिखा-मेरे साथ सिर्फ भेदभाव हुआ
कार्रवाई : गृह विभाग ने जांच कर शिकायत को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने भी अनावश्यक बताते हुए खारिज कर दिया था।
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उन्होंने खुले तौर पर नियमों, पदोन्नति, पोस्टिंग और भेदभाव को लेकर सरकार, प्रमुख सचिव, चुनाव आयोग और संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर शिकायतें दर्ज कराईं। उनकी आत्महत्या के कारणों की जांच में इन मामलों पर सवाल उठ सकते हैं। अभी यह खुलासा होना बाकी है कि सुसाइड नोट में क्या इन मामलों से संबंधित लोगों के नाम भी हैं?
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अगस्त 2020 : शहजादपुर मंदिर विवाद से शुरुआत
सार्वजनिक अवकाश के दिन तत्कालीन आईजी वाई पूरण कुमार शहजादपुर थाने के मंदिर में माथा टेकने पहुंचे थे। तत्कालीन एसपी अभिषेक जोरवाल भी वहां थे। बाद में डीजीपी मनोज यादव ने पत्र भेजकर पूछा कि मंदिर निर्माण के लिए क्या सरकारी अनुमति ली गई थी। पूरण कुमार ने आरोप लगाया कि उन्हें इस मामले में उत्पीड़न का शिकार बनाया गया और उन्होंने अंबाला एसपी को एससी/एसटी एक्ट के तहत शिकायत दी।कार्रवाई : गृह विभाग ने जांच कर शिकायत को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने भी अनावश्यक बताते हुए खारिज कर दिया था।
2022 : पदोन्नति और कैडर नीति पर सवाल
सिरसा रेंज के आईजी रहते हुए पूरण कुमार ने 11 अक्टूबर 2022 को तत्कालीन गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद को पत्र लिखा था। उन्होंने 2001 बैच के आईपीएस अफसरों को गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार डीआईजी पद पर पदोन्नति देने और वेतन संशोधन की मांग की।कार्रवाई : कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
2023 : आईएएस अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप
पूरण कुमार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर अपमान और भेदभाव के आरोप लगाते हुए दो महीने में पांच शिकायतें दर्ज कराईं। फरवरी में सरकार ने तीन सदस्यीय समिति गठित की लेकिन पूरण कुमार ने समिति को पक्षपाती बताया था।कार्रवाई : समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। किसी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई।
2023 : गैर-कैडर पोस्टिंग पर आपत्ति
सरकार ने पूरण कुमार को आईजी (होमगार्ड्स) नियुक्त किया। उन्होंने इस पोस्ट को गैर-कैडर बताते हुए विरोध जताया और मुख्य सचिव संजीव कौशल को अपमानजनक व भेदभावपूर्ण पोस्टिंग कहकर पत्र लिखा था।कार्रवाई : तत्काल पोस्टिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया। बाद में टेलीकम्युनिकेशन और डायल-112 प्रोजेक्ट का प्रभार दिया गया।
अप्रैल 2024 : डायल-112 में वाहन विवाद
आईजी (टेलीकम्युनिकेशन) रहते हुए पूरण कुमार ने नई सरकारी गाड़ी इनोवा क्रिस्टा नहीं देने पर सात साल पुरानी होंडा सिटी कार लौटा दी और इसे भेदभावपूर्ण नीति बताकर मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को पत्र लिख आईपीएस अफसरों को सरकारी गाड़ियों की अलाटमेंट के सिस्टम पर सवाल उठाया था।कार्रवाई : अनौपचारिक रूप से पूरण कुमार को चेतावनी दी गई।
2024 : पदोन्नति प्रक्रिया पर उठाए सवाल
पूरण कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के आईपीएस अफसरों की पदोन्नति सिर्फ वित्त विभाग की सहमति से हुई। इसमें गृह मंत्रालय के नियमों का पालन नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि एससी वर्ग से होने के कारण उनकी पदोन्नति रोकी गई।कार्रवाई : मुख्यमंत्री कार्यालय ने गृह विभाग से रिपोर्ट मांगी जिसने पदोन्नति को नियमानुसार बताया।
2023 : दो-दो आवास का मुद्दा उठाया
पूरण कुमार ने नौ आईपीएस अधिकारियों को दो-दो सरकारी आवास मिलने पर सवाल उठाया और सरकार को पत्र लिखा।कार्रवाई : सरकार ने कार्रवाई की। आदेश जारी किया कि कोई भी अफसर दो सरकारी आवास नहीं रखेगा। एक अफसर पर जुर्माना भी लगाया गया।
2024 : चुनावी तबादलों में भेदभाव के आरोप
विधानसभा चुनाव के दौरान पूरण कुमार ने आईजी रैंक के एक अफसर की फील्ड तैनाती पर सवाल उठाया, जबकि उनका रिटायरमेंट नजदीक था। लोकसभा चुनाव में मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल पर आरोप लगाया कि अनुसूचित वर्ग के अफसरों के तबादले किए जा रहे हैं और सामान्य वर्ग के अफसरों को नहीं छुआ गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि सत्ताधारी पार्टी का करीबी होने के कारण अधिकारी का तबादला होना चाहिए।कार्रवाई : इस शिकायत का कोई ठोस आधार व कारण चुनाव आयोग को नहीं लगा।