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Highcourt: भर्ती आरंभ होने के बाद नियमों में संशोधन, हरियाणा सरकार पर हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: चण्डीगढ़-हरियाणा ब्यूरो
Updated Fri, 18 Jul 2025 07:51 PM IST
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सार
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया गया था कि हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2018 में उल्लेखित मानदंडों को पूरा करने के बावजूद उन्हें हरियाणा सिविल सेवा और हरियाणा पुलिस सेवा (एचसीएस/एचपीएस) में नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव करना निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा संशोधित भर्ती नियमों को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू करने के फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे आवेदकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। हाईकोर्ट ने सरकार के मनमाने रुख की आलोचना करते हुए हरियाणा सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
हाईकोर्ट के समक्ष अभिषेक वर्मा और अंकुर मित्तल की याचिका सुनवाई के लिए पहुंची थी। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2018 में उल्लेखित मानदंडों को पूरा करने के बावजूद उन्हें हरियाणा सिविल सेवा और हरियाणा पुलिस सेवा (एचसीएस/एचपीएस) में नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि राज्य का कार्य याचिकाकर्ताओं के वैध दावे को विफल करने के लिए एक जानबूझकर किया गया कार्य प्रतीत होता है।
खंडपीठ ने माना कि हरियाणा के इस कदम से आवेदकों के सार्वजनिक रोजगार में निष्पक्ष मौके के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इस बात पर जोर देते हुए कि खेल शुरू हो जाने के बाद खेल के नियम नहीं बदले जा सकते, अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद साक्षात्कार के लिए न्यूनतम अंकों की आवश्यकता लागू करना, खेल खत्म होने के बाद खेल के नियमों में बदलाव करने के समान होगा, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।

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हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा संशोधित भर्ती नियमों को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू करने के फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे आवेदकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। हाईकोर्ट ने सरकार के मनमाने रुख की आलोचना करते हुए हरियाणा सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
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हाईकोर्ट के समक्ष अभिषेक वर्मा और अंकुर मित्तल की याचिका सुनवाई के लिए पहुंची थी। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2018 में उल्लेखित मानदंडों को पूरा करने के बावजूद उन्हें हरियाणा सिविल सेवा और हरियाणा पुलिस सेवा (एचसीएस/एचपीएस) में नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि राज्य का कार्य याचिकाकर्ताओं के वैध दावे को विफल करने के लिए एक जानबूझकर किया गया कार्य प्रतीत होता है।
खंडपीठ ने माना कि हरियाणा के इस कदम से आवेदकों के सार्वजनिक रोजगार में निष्पक्ष मौके के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इस बात पर जोर देते हुए कि खेल शुरू हो जाने के बाद खेल के नियम नहीं बदले जा सकते, अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद साक्षात्कार के लिए न्यूनतम अंकों की आवश्यकता लागू करना, खेल खत्म होने के बाद खेल के नियमों में बदलाव करने के समान होगा, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।