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Chandigarh-Haryana News: आठ जापानी कंपनियों के सीईओ ने हरियाणा में निवेश के लिए दी सहमति
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नए साल में शुभ संकेत : करीब 5,000 करोड़ रुपये के निवेश समझौते
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में नए साल में निवेश को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। प्रदेश में 8 जापानी कंपनियों के सीईओ ने हरियाणा में निवेश के लिए सहमति प्रदान की है। फिलहाल राज्य में 500 से अधिक जापानी कंपनियां सक्रिय रहकर औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए 10 नए इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) विकसित करने की घोषणा की गई थी जिनमें से 5 को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ अक्तूबर में किया गया जापान का दौरा निवेश की दृष्टि से अत्यंत सफल रहा है। दौरे के परिणामस्वरूप राज्य में लगभग 5000 हजार करोड़ रुपये के निवेश समझौते हुए हैं जिनसे कृषि, पर्यावरण और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी। उद्योग मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार एमओयू के अनुरूप जापानी कंपनियों को शीघ्र ही जमीन व अन्य आवश्यक दस्तावेज सौंपेगी।
राव नरबीर सिंह ने कहा कि जापान दौरे के दौरान एआईएसआईएन, एयर वाटर, टीएएसआई, नम्बूब, डेंसो, सोजित्ज, निसिन, कावाकिन, डाइकिन और टोप्पन जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ हुए समझौतों से प्रदेश के हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। कुबोटा ट्रैक्टर कंपनी हरियाणा के कृषि विकास में अहम भूमिका निभाएगी। इस प्रक्रिया को गति देने के लिए सरकार का एक प्रतिनिधि जल्द ही जापान जाएगा। जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल माध्यम से हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा हो चुकी है। उद्योग मंत्री ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। जापानी कंपनियों की आवश्यकताओं और इच्छानुसार जल्द ही भूमि उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई जारी है। मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण है कि इनमें से एक आईएमटी विशेष रूप से जापानी कंपनियों के सहयोग से विकसित की जाए।
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1980 में गुरुग्राम में मारुती उद्योग ने स्थापित की थी पहली इकाई
जापानी कंपनियां अपने वायदे के अनुसार काम करती हैं। अब जापानी कंपनियों ने इसे तीन महीने से भी कम समय में सिद्ध कर दिखाया है। उद्योग मंत्री के अनुसार, 1980 में पुराने गुड़गांव में पहली बार मारुती कंपनी ने पहली इकाई स्थापित की थी। अब पर्यावरणीय क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट मोबिलिटी, ग्रीन बिल्डिंग और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से शहरों का समग्र विकास होगा।स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी–2025 का ड्राफ्ट जल्द तैयार होगा।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में नए साल में निवेश को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। प्रदेश में 8 जापानी कंपनियों के सीईओ ने हरियाणा में निवेश के लिए सहमति प्रदान की है। फिलहाल राज्य में 500 से अधिक जापानी कंपनियां सक्रिय रहकर औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए 10 नए इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) विकसित करने की घोषणा की गई थी जिनमें से 5 को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ अक्तूबर में किया गया जापान का दौरा निवेश की दृष्टि से अत्यंत सफल रहा है। दौरे के परिणामस्वरूप राज्य में लगभग 5000 हजार करोड़ रुपये के निवेश समझौते हुए हैं जिनसे कृषि, पर्यावरण और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी। उद्योग मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार एमओयू के अनुरूप जापानी कंपनियों को शीघ्र ही जमीन व अन्य आवश्यक दस्तावेज सौंपेगी।
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राव नरबीर सिंह ने कहा कि जापान दौरे के दौरान एआईएसआईएन, एयर वाटर, टीएएसआई, नम्बूब, डेंसो, सोजित्ज, निसिन, कावाकिन, डाइकिन और टोप्पन जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ हुए समझौतों से प्रदेश के हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। कुबोटा ट्रैक्टर कंपनी हरियाणा के कृषि विकास में अहम भूमिका निभाएगी। इस प्रक्रिया को गति देने के लिए सरकार का एक प्रतिनिधि जल्द ही जापान जाएगा। जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल माध्यम से हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा हो चुकी है। उद्योग मंत्री ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। जापानी कंपनियों की आवश्यकताओं और इच्छानुसार जल्द ही भूमि उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई जारी है। मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण है कि इनमें से एक आईएमटी विशेष रूप से जापानी कंपनियों के सहयोग से विकसित की जाए।
1980 में गुरुग्राम में मारुती उद्योग ने स्थापित की थी पहली इकाई
जापानी कंपनियां अपने वायदे के अनुसार काम करती हैं। अब जापानी कंपनियों ने इसे तीन महीने से भी कम समय में सिद्ध कर दिखाया है। उद्योग मंत्री के अनुसार, 1980 में पुराने गुड़गांव में पहली बार मारुती कंपनी ने पहली इकाई स्थापित की थी। अब पर्यावरणीय क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट मोबिलिटी, ग्रीन बिल्डिंग और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से शहरों का समग्र विकास होगा।स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी–2025 का ड्राफ्ट जल्द तैयार होगा।