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Chandigarh-Haryana News: हर गलत बिजली बिल पर 500 रुपये क्षतिपूर्ति देने के आदेश
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- हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने लंबे समय तक औसत बिलिंग पर दिखाई सख्ती
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक बिजली उपभोक्ता की शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लिया है। उपभोक्ता को करीब 3 वर्षों तक बिजली का औसत बिल मिलता रहा जबकि बाद में एक साथ 78 हजार रुपये का बिल थोप दिया। आयोग ने डीएचबीवीएन (दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम) को आदेश दिए हैं कि वह शिकायतकर्ता को प्रति गलत बिल 500 रुपये क्षतिपूर्ति प्रदान करे।
आयोग के अनुसार एक उपभोक्ता ने शिकायत में बताया कि पहले नियमित रूप से 500 से 1000 रुपये तक के बिजली बिल प्राप्त हो रहे थे। बाद में अचानक लगभग 78,000 रुपये का बिल जारी कर दिया गया। उपभोक्ता को 19 जुलाई 2022 से 14 मई 2025 तक वास्तविक बिजली बिल देने के बजाय औसत बिल जारी किए जाते रहे। आयोग ने दो टूक कहा है कि डाटा माइग्रेशन या तकनीकी कारणों की आड़ में उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ नहीं डाला जा सकता।
आयोग ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए प्रत्येक गलत बिल पर उपभोक्ता को 500 रुपये क्षतिपूर्ति निगम को अपने कोष से अदा करने का आदेश दिया है। यदि इस प्रकरण में कोई एजेंसी या अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उनसे यह रकम वसूली जाएगी। आयोग ने कहा कि उच्च रेटिंग वाली कंपनियों की इस तरह की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।
आयोग ने उपमंडल अधिकारी (एसडीओ) को आदेश दिए हैं कि वह गलत तरीके से जारी किए गए बिलों की सटीक संख्या निर्धारित करके निगम के प्रबंध निदेशक को अवगत कराएं। प्रबंध निदेशक को 19 जनवरी 2026 तक आयोग के समक्ष अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक बिजली उपभोक्ता की शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लिया है। उपभोक्ता को करीब 3 वर्षों तक बिजली का औसत बिल मिलता रहा जबकि बाद में एक साथ 78 हजार रुपये का बिल थोप दिया। आयोग ने डीएचबीवीएन (दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम) को आदेश दिए हैं कि वह शिकायतकर्ता को प्रति गलत बिल 500 रुपये क्षतिपूर्ति प्रदान करे।
आयोग के अनुसार एक उपभोक्ता ने शिकायत में बताया कि पहले नियमित रूप से 500 से 1000 रुपये तक के बिजली बिल प्राप्त हो रहे थे। बाद में अचानक लगभग 78,000 रुपये का बिल जारी कर दिया गया। उपभोक्ता को 19 जुलाई 2022 से 14 मई 2025 तक वास्तविक बिजली बिल देने के बजाय औसत बिल जारी किए जाते रहे। आयोग ने दो टूक कहा है कि डाटा माइग्रेशन या तकनीकी कारणों की आड़ में उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ नहीं डाला जा सकता।
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आयोग ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए प्रत्येक गलत बिल पर उपभोक्ता को 500 रुपये क्षतिपूर्ति निगम को अपने कोष से अदा करने का आदेश दिया है। यदि इस प्रकरण में कोई एजेंसी या अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उनसे यह रकम वसूली जाएगी। आयोग ने कहा कि उच्च रेटिंग वाली कंपनियों की इस तरह की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।
आयोग ने उपमंडल अधिकारी (एसडीओ) को आदेश दिए हैं कि वह गलत तरीके से जारी किए गए बिलों की सटीक संख्या निर्धारित करके निगम के प्रबंध निदेशक को अवगत कराएं। प्रबंध निदेशक को 19 जनवरी 2026 तक आयोग के समक्ष अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं।