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Chandigarh-Haryana News: असिस्टेंट एनवायर्नमेंटल इंजीनियर की भर्ती को हाईकोर्ट की हरी झंडी

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जनरल अवेयरनेस पर आधारित स्क्रीनिंग टेस्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
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सिलेबस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका


चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में सहायक पर्यावरण अभियंता की भर्ती को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने भर्ती के लिए जनरल अवेयरनेस पर आधारित स्क्रीनिंग टेस्ट कराने के हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के फैसले को सही ठहराकर मोहर लगाते हुए सिलेबस को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी है।



अमित अहलावत व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सिलेबस काे चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि स्क्रीनिंग परीक्षा का सिलेबस तकनीकी विषयों को नजरअंदाज कर केवल सामान्य ज्ञान, तर्कशक्ति और करंट अफेयर्स पर केंद्रित है। उनका कहना था कि 2023 की भर्ती प्रक्रिया में पर्यावरण इंजीनियरिंग, अपशिष्ट प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों जैसे विषय शामिल थे जबकि 2025 की परीक्षा में उन्हें हटा दिया गया। उन्होंने इसे अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन बताते हुए परीक्षा को अवैध करार देने की मांग की।
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याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई कि केवल विज्ञापित पदों की संख्या से चार गुना उम्मीदवारों (29 पदों के लिए लगभग 116 अभ्यर्थी) को ही अगले चरण में जाने की अनुमति दी गई है जबकि संघ लोक सेवा आयोग परीक्षाओं में दस गुना तक अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है। दूसरी ओर आयोग ने अपने जवाब में बताया कि 2023 की भर्ती में 54 पदों के लिए 7,189 आवेदन आए थे फिर भी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 29 पद खाली रह गए। इसलिए भर्ती प्रक्रिया को तेज करने के लिए सिलेबस को सरल बनाया गया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि स्क्रीनिंग टेस्ट केवल शार्ट लिस्टिंग का माध्यम है जिसमें 25 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार ही अगले चरण की विषय आधारित परीक्षा में भाग ले सकते हैं। स्क्रीनिंग परीक्षा के अंक अंतिम चयन में नहीं जोड़े जाएंगे।


कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि न्यायालय का यह दायित्व नहीं है कि वह विषय विशेषज्ञों की भूमिका निभाए या उनके निष्कर्षों को अपने निर्णयों से बदले। नौकरी की प्रकृति और उसकी मांगों को सबसे बेहतर तरीके से नियोक्ता ही समझ सकता है। इसलिए, ऐसे स्क्रीनिंग मानदंड जो सर्वांगीण उम्मीदवारों के चयन का उद्देश्य रखते हैं, उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।



कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सामान्य ज्ञान की परीक्षा केवल स्मरण शक्ति नहीं बल्कि विश्लेषणात्मक समझ, विविध विषयों को जोड़ने की क्षमता, परिणामों का पूर्वानुमान और विवेकपूर्ण निर्णय लेने की योग्यता को परखती है जो एक सक्षम लोक सेवक के लिए अनिवार्य गुण हैं।
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