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51 साल बाद मिला इंसाफ: हाई कोर्ट ने 80 साल की बुजुर्ग महिला के हक में सुनाया फैसला, हरियाणा सरकार को आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: चण्डीगढ़-हरियाणा ब्यूरो
Updated Thu, 20 Nov 2025 03:03 PM IST
सार
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए 80 वर्षीय अशिक्षित, विधवा लक्ष्मी देवी को राहत दी है जो 1974 से अपने दिवंगत पति के परिवार के लिए पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए विभागों के चक्कर काट रही थीं।
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- फोटो : संवाद
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विस्तार
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए 80 वर्षीय अशिक्षित, विधवा लक्ष्मी देवी को राहत दी है जो 1974 से अपने दिवंगत पति के परिवार के लिए पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए विभागों के चक्कर काट रही थीं। उनके पति, महा सिंह, बल्लभगढ़ में हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सब स्टेशन अफसर थे और ड्यूटी के दौरान 5 जनवरी 1974 को उनका निधन हो गया था। लक्ष्मी देवी को 1970 के दशक में मात्र 6,026 रुपये की एक्स-ग्रेशिया राशि मिली थी लेकिन परिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी और बाकी बकाया लाभ कभी जारी नहीं किए गए। 2005 में एक केस दाखिल करने के बावजूद उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
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जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने याचिका सुनते हुए कहा कि यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और हक पाने की लगातार जद्दोजहद का उदाहरण है। उन्होंने टिप्पणी की कि लगभग पांच दशक से एक अशिक्षित और असहाय विधवा को इधर-उधर भटकना पड़ा वह भी तब जब उसकी उम्र, सेहत और कानूनी साधन लगातार कमजोर हुए हैं। कोर्ट ने रिकार्ड में मौजूद विभागीय पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि महा सिंह के नाम पर जीपीएफ खाता आवंटित किया गया था और उसमें कटौतियां भी हुई थीं। यह राज्य के ताजा दावे के विपरीत था जिसमें कहा गया था कि वह केवल ईपीएफ योजना में आते थे और नियमित पेंशन के पात्र नहीं थे।
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जस्टिस बराड़ ने कहा कि यह समझ से परे है कि अगर कर्मचारी जीपीएफ/पेंशन योजना के दायरे में नहीं था तो उसे जीपीएफ खाता कैसे आवंटित किया गया। उन्होंने कहा कि एक 80 वर्षीय असहाय विधवा को उसका हक दिलाना न्यायालय की दया नहीं बल्कि संविधान का आदेश है। उन्होंने कहा कि जब अदालतें कमजोरी की रक्षा करने में विफल होती हैं तो संवैधानिक वादा कमजोर पड़ जाता है लेकिन जब वे आगे बढ़कर उनका साथ देते हैं तो संविधान की बदलती हुई भावना सबसे उजली दिखाई देती है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार के बिजली विभाग के प्रधान सचिव और प्रशासनिक प्रमुख को आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से पूरे मामले की जांच करें और दो महीने के भीतर लक्ष्मी देवी को उसके सभी विधिक लाभ तुरंत जारी करें। याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने उम्मीद जताई कि गरीबी में जीवन बिता रही यह बुजुर्ग महिला आखिरकार अपने हक से वंचित नहीं रहेगी।