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Chandigarh-Haryana News: पलवल चुनाव विवाद मामले में मुख्य बिंदु तय, अगली सुनवाई पर दर्ज होंगे साक्ष्य
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-विपक्ष के सांप्रदायिक नारों और धार्मिक अपीलों से चुनावी बाजी हारने का करण दलील ने लगाया है आरोप
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पलवल विधानसभा सीट से जुड़े चुनाव विवाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मुख्य विवाद बिंदु तय कर दिया है। राज्य मंत्री गौरव गौतम के चुनाव को चुनौती देते हुए करण सिंह दलाल ने याचिका दाखिल की है जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया गया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के साक्ष्य दर्ज करने के 20 जनवरी की तारीख तय कर दी है ।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रश्न तय किया है कि क्या गौतम ने धर्म के नाम पर वोट मांगकर भ्रष्ट आचरण किया है। जस्टिस अर्चना पुरी ने कहा कि अब मुकदमे का निपटारा इसी केंद्रीय प्रश्न के इर्द-गिर्द होगा, क्योंकि याचिका में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया विचारणीय हैं और उनका फैसला साक्ष्यों के आधार पर किया जाना आवश्यक है। इससे पहले गौतम ने चुनाव याचिका को प्रारंभिक स्तर पर खारिज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 28 नवंबर अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि याचिका में ऐसे तथ्य और आधार मौजूद हैं, जिन पर पूर्ण सुनवाई जरूरी है।
दलाल ने पूर्व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मोहन जैन के माध्यम से अदालत को बताया कि गवाहों की सूची पहले ही रिकाॅर्ड पर दाखिल की जा चुकी है। सूची के साथ पर्याप्त और ठोस साक्ष्य संलग्न हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि मंत्री गौरव ने वास्तव में धर्म के नाम पर वोट मांगे। उन्होंने बताया कि कई धार्मिक आयोजनों में प्रत्याशी ने स्वयं मंच साझा कर मतदाताओं से वोट मांगे और इंटरनेट मीडिया पर भी इससे जुड़े वीडियो एवं फोटोग्राफ साझा किए गए। इन सभी वीडियो को प्रमाण के रूप में पेश किया गया है और पेन ड्राइव में हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य मंत्री गौरव गौतम ने चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक आयोजनों में देवताओं की मूर्तियों के समक्ष ईश्वर का आह्वान करते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पलवल विधानसभा सीट से जुड़े चुनाव विवाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मुख्य विवाद बिंदु तय कर दिया है। राज्य मंत्री गौरव गौतम के चुनाव को चुनौती देते हुए करण सिंह दलाल ने याचिका दाखिल की है जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया गया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के साक्ष्य दर्ज करने के 20 जनवरी की तारीख तय कर दी है ।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रश्न तय किया है कि क्या गौतम ने धर्म के नाम पर वोट मांगकर भ्रष्ट आचरण किया है। जस्टिस अर्चना पुरी ने कहा कि अब मुकदमे का निपटारा इसी केंद्रीय प्रश्न के इर्द-गिर्द होगा, क्योंकि याचिका में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया विचारणीय हैं और उनका फैसला साक्ष्यों के आधार पर किया जाना आवश्यक है। इससे पहले गौतम ने चुनाव याचिका को प्रारंभिक स्तर पर खारिज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 28 नवंबर अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि याचिका में ऐसे तथ्य और आधार मौजूद हैं, जिन पर पूर्ण सुनवाई जरूरी है।
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दलाल ने पूर्व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मोहन जैन के माध्यम से अदालत को बताया कि गवाहों की सूची पहले ही रिकाॅर्ड पर दाखिल की जा चुकी है। सूची के साथ पर्याप्त और ठोस साक्ष्य संलग्न हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि मंत्री गौरव ने वास्तव में धर्म के नाम पर वोट मांगे। उन्होंने बताया कि कई धार्मिक आयोजनों में प्रत्याशी ने स्वयं मंच साझा कर मतदाताओं से वोट मांगे और इंटरनेट मीडिया पर भी इससे जुड़े वीडियो एवं फोटोग्राफ साझा किए गए। इन सभी वीडियो को प्रमाण के रूप में पेश किया गया है और पेन ड्राइव में हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य मंत्री गौरव गौतम ने चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक आयोजनों में देवताओं की मूर्तियों के समक्ष ईश्वर का आह्वान करते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा।