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Haryana: स्कूलों में मिड-डे मील निरीक्षण में लापरवाही, शिक्षा विभाग सख्त; अधिकारियों को चेतावनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 13 Sep 2025 11:46 AM IST
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सार
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी पत्र में साफ कहा गया है कि प्रत्येक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी हर माह कम से कम 25 से 30 स्कूलों का निरीक्षण करेंगे, जबकि कार्यक्रम कार्यकारियों और लेखा कार्यकारियों को सप्ताह में कम से कम पांच स्कूलों का निरीक्षण करना अनिवार्य होगा।

मिड-डे मील।
- फोटो : संवाद
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विस्तार
हरियाणा के स्कूलों में चल रही पीएम पोषण (मिड-डे मील) योजना की निगरानी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में राज्य के कुल 14,210 स्कूलों में से केवल 1,372 स्कूलों का ही निरीक्षण किया गया। यह गंभीर लापरवाही सामने आने पर महानिदेशक मौलिक शिक्षा डॉ. विवेक अग्रवाल ने नाराजगी जताई और जिला तथा खंड स्तर के शिक्षा अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी।
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी पत्र में साफ कहा गया है कि प्रत्येक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी हर माह कम से कम 25 से 30 स्कूलों का निरीक्षण करेंगे, जबकि कार्यक्रम कार्यकारियों और लेखा कार्यकारियों को सप्ताह में कम से कम पांच स्कूलों का निरीक्षण करना अनिवार्य होगा। लेकिन विभागीय रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले तीन महीनों में निर्धारित लक्ष्य का बेहद छोटा हिस्सा ही पूरा किया गया।
निदेशालय ने यह भी आदेश दिए हैं कि निरीक्षण के दौरान यदि राशन की गुणवत्ता, भोजन की लागत, कुकों के मानदेय या अन्य शिकायतें मिलती हैं, तो उनका निपटान जिलास्तर पर तत्काल किया जाए। इसके अलावा, यदि डीसी, एडीसी, एसडीएम या अन्य अधिकारी निरीक्षण करते हैं तो उनकी रिपोर्ट भी निर्धारित प्रपत्र पर निदेशालय को भेजना ज़रूरी होगा।
अधिकारियों को सख्त शब्दों में चेताया गया है कि यदि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई गई, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई से कोई भी नहीं बच पाएगा। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार को समय पर रिपोर्ट भेजना राज्य की जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी स्तर पर कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी।

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शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी पत्र में साफ कहा गया है कि प्रत्येक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी हर माह कम से कम 25 से 30 स्कूलों का निरीक्षण करेंगे, जबकि कार्यक्रम कार्यकारियों और लेखा कार्यकारियों को सप्ताह में कम से कम पांच स्कूलों का निरीक्षण करना अनिवार्य होगा। लेकिन विभागीय रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले तीन महीनों में निर्धारित लक्ष्य का बेहद छोटा हिस्सा ही पूरा किया गया।
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निदेशालय ने यह भी आदेश दिए हैं कि निरीक्षण के दौरान यदि राशन की गुणवत्ता, भोजन की लागत, कुकों के मानदेय या अन्य शिकायतें मिलती हैं, तो उनका निपटान जिलास्तर पर तत्काल किया जाए। इसके अलावा, यदि डीसी, एडीसी, एसडीएम या अन्य अधिकारी निरीक्षण करते हैं तो उनकी रिपोर्ट भी निर्धारित प्रपत्र पर निदेशालय को भेजना ज़रूरी होगा।
अधिकारियों को सख्त शब्दों में चेताया गया है कि यदि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई गई, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई से कोई भी नहीं बच पाएगा। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार को समय पर रिपोर्ट भेजना राज्य की जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी स्तर पर कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी।