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हाईकोर्ट ने स्पष्ट की कानूनी स्थिति : निलंबन आदेश तब तक प्रभावी, जब तक उसे सक्षम प्राधिकारी इसे रद्द नहीं करते
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: चण्डीगढ़-हरियाणा ब्यूरो
Updated Fri, 18 Jul 2025 07:50 PM IST
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सार
याचिका दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एक कर्मचारी ने दायर की थी। उसे भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें 30 अक्टूबर 2024 को निलंबित कर दिया गया था।

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते कानूनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ निलंबन आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि उसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता।
याचिका दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एक कर्मचारी ने दायर की थी। उसे भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें 30 अक्टूबर 2024 को निलंबित कर दिया गया था और हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम, 2016 के अनुसार निलंबन का आदेश 90 दिनों से अधिक लागू नहीं रह सकता है जब तक कि इसे बढ़ाया न जाए।
यह भी पढ़ें: Highcourt: भर्ती आरंभ होने के बाद नियमों में संशोधन, हरियाणा सरकार पर हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना
प्रस्तुतियों की जांच करने और विनियमों का अवलोकन करने के बाद, न्यायालय ने कहा कि 2019 के विनियमन में तीन स्थितियों पर विचार किया गया है जिनमें से प्रत्येक के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा आदेश पारित करने की आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पुलिस अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी के कारण निलंबित कर दिया गया था। एक प्रावधान है जिसके तहत निलंबित कर्मचारी को सभी कार्य दिवसों में उस कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी जहां उसका मुख्यालय है।
कोर्ट ने कहा कि नियमों के अनुसार जहां अनुशासनात्मक कार्यवाही की परिकल्पना की जाती है और कर्मचारी को निलंबित किया जाता है, तो विभाग निलंबन की तारीख से 90 दिनों के भीतर कार्यवाही शुरू करने के लिए बाध्य है। पीठ ने स्पष्ट किया कि कार्यवाही के लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित करने के पीछे तर्क और कारण है। सक्षम प्राधिकारी कार्यवाही शुरू कर भी सकता है और नहीं भी। आपराधिक कार्यवाही के कारण निलंबन, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने की एक स्वतंत्र घटना है। आपराधिक कार्यवाही का निष्कर्ष नियुक्ति प्राधिकारी के हाथ में नहीं है।

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याचिका दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एक कर्मचारी ने दायर की थी। उसे भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें 30 अक्टूबर 2024 को निलंबित कर दिया गया था और हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम, 2016 के अनुसार निलंबन का आदेश 90 दिनों से अधिक लागू नहीं रह सकता है जब तक कि इसे बढ़ाया न जाए।
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कोर्ट ने कहा कि नियमों के अनुसार जहां अनुशासनात्मक कार्यवाही की परिकल्पना की जाती है और कर्मचारी को निलंबित किया जाता है, तो विभाग निलंबन की तारीख से 90 दिनों के भीतर कार्यवाही शुरू करने के लिए बाध्य है। पीठ ने स्पष्ट किया कि कार्यवाही के लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित करने के पीछे तर्क और कारण है। सक्षम प्राधिकारी कार्यवाही शुरू कर भी सकता है और नहीं भी। आपराधिक कार्यवाही के कारण निलंबन, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने की एक स्वतंत्र घटना है। आपराधिक कार्यवाही का निष्कर्ष नियुक्ति प्राधिकारी के हाथ में नहीं है।