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Hindi News ›   Haryana ›   Chandigarh-Haryana News ›   The postal department should return the embezzled money committed by the post master to the account holders: High Court, Court News, Haryana News

पोस्ट मास्टर की ओर से किया गया गबन डाक विभाग खाता धारकों को लौटाए : हाईकोर्ट

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कहा-डाक विभाग आंखों में धूल झोंकने वाली दलीलें देकर नहीं भाग सकता जिम्मेदारी से
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-केंद्र की याचिका खारिज, पोस्ट मास्टर की मृत्यु के बाद कोर्ट ने विभाग को माना जिम्मेदार



अमर उजाला ब्यूरो

चंडीगढ़। एक ब्रांच पोस्ट मास्टर द्वारा ग्राहकों के खाते में फर्जी प्रविष्टि कर जमा धन हड़पने के मामले में उसकी मृत्यु का हवाला देते हुए मुआवजे की जिम्मेदारी से इन्कार करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने विभाग व केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार आंखों में धूल झोंकने वाली दलीलें देकर विभाग जमा-धारक का नुकसान वापस करने से इन्कार नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट की बेंच ने हिसार की स्थायी लोक अदालत के उस आदेश को भी बरकरार रखा जिसमें संबंधित अधिकारियों को खाताधारकों को उनकी राशि ब्याज सहित लौटाने और 21,000 रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी। केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस सुवीर सहगल ने कहा कि पोस्टमास्टर विभाग का ही कर्मचारी था और उसने अपनी ड्यूटी के दौरान गलत कृत्य किए। ऐसे में विभाग उसकी कार्रवाई के लिए जिम्मेवार है और यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकता कि कर्मचारी अब जीवित नहीं है।
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अदालत को बताया गया कि पोस्ट मास्टर ने अपने बेटे के साथ मिलकर विभिन्न छोटी बचत योजनाओं से 29,45,155 रुपये की रकम गबन की थी। जून 2019 में दोनों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। जांच अधिकारी की रिपोर्ट में यह साबित हो चुका था कि वह अपने बेटे के साथ मिलकर खाताधारकों को ठग रहा था। हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि मृत कर्मचारी और उसके बेटे के कारण विभाग पर जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती। अदालत ने कहा कि खाताधारक ने अपना पासबुक सुरक्षित रखने के लिए पोस्टमास्टर को दिया था, लेकिन इससे पोस्टमास्टर को अपने पद का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं मिल जाता। अदालत ने विभाग के रवैये की निंदा करते हुए कहा कि मुआवजा देने से बचने का प्रयास उसकी वैधानिक जिम्मेदारी से भागने जैसा है। लोक अदालत के आदेश में कोई खामी न पाते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी।
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