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Hisar News: सीआईआरबी में 10 साल बाद क्लोन कटड़े हिसार गौरव 2.0 ने लिया जन्म
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हिसार गौवर 2.0 के साथ भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक।
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हिसार। केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) में 10 साल बाद एक और क्लोन कटड़े ने जन्म लिया है। संस्थान ने इसे हिसार गौरव 2.0 नाम दिया है। इससे पहले 2015 में क्लोन कटड़े हिसार गौरव ने जन्म लिया था। खास बात यह है कि जिस झोटे की कोशिकाओं से हिसार गौरव को विकसित किया गया था, उसी की कोशिकाओं से नए क्लोन कटड़े को विकसित किया गया है।
सीआईआरबी के निदेशक डॉ. यशपाल शर्मा ने बताया कि 28 नवंबर को क्लोन कटड़े हिसार गौरव 2.0 ने जन्म लिया था। यह प्रोजेनी टेस्टेड टॉप रैंक वाले झोटे (पशु संख्या 4354) की कोशिकाओं से विकसित किया गया है। इसके लिए संस्थान ने पेरेंटेज की वैज्ञानिक पुष्टि भी करवाई, जिससे क्लोन की जैविक सटीकता और विश्वसनीयता प्रमाणित हुई है। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि पशुपालकों के लिए भी बेहद उपयोगी है। इस क्लोन से तैयार उच्च गुणवत्ता का सीमन पशुपालकों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे श्रेष्ठ जर्मप्लाज्म का तेजी से प्रसार होगा और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके जरिये स्थानीय और क्षेत्रीय पशुपालक बेहतर कटड़े और अधिक दूध देने वाली भैंसें पा सकेंगे, जिससे उनकी आय और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। इस क्लोन कटड़े को विकसित करने वाली टीम में डॉ. पीएस यादव, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. मीति पुनेठा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. प्रिया दहिया, मनु मांगल और डॉ. प्रदीप कुमार शामिल रहे।
वर्ष 2015 में पहला क्लोन झोटा किया गया था विकसित
डॉ. यशपाल ने बताया कि वर्ष 2015 में पहला क्लोन झोटा हिसार गौरव तैयार किया गया था। वह आज भी स्वस्थ है और उच्च गुणवत्ता का सीमन दे रहा है। अब तक 25 हजार से अधिक सीमन डोज तैयार की जा चुकी हैं, जिनसे देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 600 कटड़े-कटड़ियां पैदा हुए हैं।
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सीआईआरबी के निदेशक डॉ. यशपाल शर्मा ने बताया कि 28 नवंबर को क्लोन कटड़े हिसार गौरव 2.0 ने जन्म लिया था। यह प्रोजेनी टेस्टेड टॉप रैंक वाले झोटे (पशु संख्या 4354) की कोशिकाओं से विकसित किया गया है। इसके लिए संस्थान ने पेरेंटेज की वैज्ञानिक पुष्टि भी करवाई, जिससे क्लोन की जैविक सटीकता और विश्वसनीयता प्रमाणित हुई है। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि पशुपालकों के लिए भी बेहद उपयोगी है। इस क्लोन से तैयार उच्च गुणवत्ता का सीमन पशुपालकों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे श्रेष्ठ जर्मप्लाज्म का तेजी से प्रसार होगा और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके जरिये स्थानीय और क्षेत्रीय पशुपालक बेहतर कटड़े और अधिक दूध देने वाली भैंसें पा सकेंगे, जिससे उनकी आय और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। इस क्लोन कटड़े को विकसित करने वाली टीम में डॉ. पीएस यादव, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. मीति पुनेठा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. प्रिया दहिया, मनु मांगल और डॉ. प्रदीप कुमार शामिल रहे।
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वर्ष 2015 में पहला क्लोन झोटा किया गया था विकसित
डॉ. यशपाल ने बताया कि वर्ष 2015 में पहला क्लोन झोटा हिसार गौरव तैयार किया गया था। वह आज भी स्वस्थ है और उच्च गुणवत्ता का सीमन दे रहा है। अब तक 25 हजार से अधिक सीमन डोज तैयार की जा चुकी हैं, जिनसे देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 600 कटड़े-कटड़ियां पैदा हुए हैं।