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लुवास का नया फार्मूला: कम शुगर, हाई प्रोटीन वाली आइसक्रीम रखेगी सेहत का ख्याल; डायबिटीज के रोगी भी खा सकेंगे
शिवानी सेहरा, हिसार (हरियाणा)
Published by: नवीन दलाल
Updated Fri, 19 Dec 2025 10:12 AM IST
सार
संवेदी गुणवत्ता के आधार पर मोरिंगा पाउडर और अर्क से तैयार एक उपचार को चुना गया। साथ ही पॉलीडेक्सट्रोज और मोरिंगा की इमल्सीफाइंग क्षमता के मूल्यांकन के बाद अंतिम फॉर्मूलेशन बनाया जिससे आइसक्रीम बनाई जा सकती है।
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आइसक्रीम (सांकेतिक)
- फोटो : instagram
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विस्तार
वजन बढ़ने और शुगर की आशंका के चलते अधिकतर लोग आइसक्रीम से परहेज करने लगे हैं, लेकिन लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वैज्ञानिकों ने ऐसा फॉर्मूला विकसित किया है, जिससे बनी आइसक्रीम शुगर के रोगी भी खा सकेंगे। विश्वविद्यालय में लगभग 8 महीने तक चले शोध के बाद कम वसा, कम शर्करा, अधिक प्रोटीन और पोषण से भरपूर फॉर्मूलेशन बनाया गया है, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी ध्यान रखेगा।
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विश्वविद्यालय की शोधार्थी डॉ. गुड़िया ने पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. मोनिका रानी के मार्गदर्शन में इस शोध को पूरा किया। डॉ. मोनिका ने बताया कि शोध का उद्देश्य ऐसी आइसक्रीम तैयार करना था, जिसे डायबिटीज के रोगी भी बिना किसी चिंता के खा सकें। पॉलीडेक्सट्रोज और मोरिंगा ओलिफेरा (सहजन) के पाउडर व अर्क जैसे पोषणयुक्त तत्वों का इस्तेमाल कर यह आइसक्रीम फॉर्मूलेशन बनाया गया है।
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उन्होंने बताया कि शोध के दौरान 35 अलग-अलग तरह के आइसक्रीम फॉर्मूलेशन विकसित किए, जिनमें वसा और शर्करा की मात्रा को अलग-अलग तथा संयोजन में कम किया गया। सभी फॉर्मूलेशन का स्वाद, रंग, बनावट और कुल स्वीकार्यता के आधार पर संवेदी मूल्यांकन किया गया। इसके बाद प्रत्येक समूह से सर्वश्रेष्ठ फॉर्मूलेशन का चयन किया। चयनित फॉर्मूलेशन में मोरिंगा ओलिफेरा को पाउडर और अर्क के रूप में मिलाया गया।
संवेदी गुणवत्ता के आधार पर मोरिंगा पाउडर और अर्क से तैयार एक उपचार को चुना गया। साथ ही पॉलीडेक्सट्रोज और मोरिंगा की इमल्सीफाइंग क्षमता के मूल्यांकन के बाद अंतिम फॉर्मूलेशन बनाया जिससे आइसक्रीम बनाई जा सकती है। डॉ. मोनिका ने बताया कि यह शोध सिद्ध करता है कि मोरिंगा ओलिफेरा और पॉलीडेक्सट्रोज के उपयोग से स्वादिष्ट व कम कैलोरी वाली आइसक्रीम का व्यावसायिक स्तर पर विकास संभव है। उन्होंने बताया कि डॉ. गुड़िया की इस थीसिस को गोवा कृषि महाविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। संवाद
आइसक्रीम का परीक्षण
अंतिम तौर पर चयनित फॉर्मूलेशन से बनी आइसक्रीम के पोषक तत्व विश्लेषण, भौतिक-रासायनिक गुण, पिघलने का समय, बनावट, रंग, एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि और कुल फिनोलिक मात्रा का परीक्षण किया गया। शोध परिणामों से स्पष्ट हुआ कि इस आइसक्रीम में सामान्य आइसक्रीम से 25 प्रतिशत तक कम शर्करा और 50 प्रतिशत तक कम वसा पाई गई, जबकि प्रोटीन की मात्रा में 18.69 प्रतिशत से 46.10 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई।
45 दिनों तक सुरक्षित
भंडारण अध्ययन (-18 से -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर) में यह आइसक्रीम 45 दिनों तक गुणवत्ता की दृष्टि से सुरक्षित पाई गई। सूक्ष्मजीव परीक्षणों में सभी नमूने एफएसएसएआई मानकों के अनुरूप पाए गए, जबकि साइक्रोट्रोफिक जीवाणु पूरी तरह अनुपस्थित रहे।
सामान्य आइसक्रीम के लगभग बराबर रही लागत
लागत विश्लेषण से यह भी सामने आया कि मोरिंगा पाउडर आधारित आइसक्रीम की लागत सामान्य आइसक्रीम के लगभग समान रही, जबकि मोरिंगा अर्क आधारित आइसक्रीम की लागत कुछ अधिक रही। वैज्ञानिकों के अनुसार अधिक फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और स्वास्थ्य लाभ इस अतिरिक्त लागत को पूरी तरह उचित ठहराते हैं।
अधिकारी के अनुसार
स्वास्थ्य-आधारित उत्पाद न केवल उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं, बल्कि दुग्ध उद्योग को भी बढ़ावा देते है। किसानों के लिए नए रोजगार अवसर भी सृजित करते हैं। लुवास द्वारा विकसित फार्मूले से बनी आइसक्रीम शुगर के रोगी भी खा सकेंगे। -डॉ. विनोद कुमार वर्मा, कुलपति, लुवास।