चना, चमक और मुनाफाखोरों की चाल: कैंसर का कारण कैसे बन रहा सेहत बनाने वाला चना, बाजार में कहां से आया?
चनों को अधिक आकर्षक दिखाने के लिए प्रतिबंधित और जहरीले रसायन 'ऑरामाइन' का प्रयोग किया जा रहा है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न्योता दे सकता है। गोरखपुर और कानपुर जैसे शहरों में इस हानिकारक रसायन से रंगे भुने चने की खेप पकड़े जाने के बाद हड़कंप मच गया है। विस्तार से पढ़ें पूरी खबर-
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सेहत बनाने के लिए जो चने आप खाते हैं वह आपको कैंसर जैसा रोग दे सकता है। जी हां, हाल के दिनों में भुने चने की गुणवत्ता को लेकर जो खबरें सामने आई हैं वह चिंताजनक हैं। मुनाफाखोर चने को आकर्षक दिखाने के लिए प्रतिबंधित और जहरीले रसायन 'ऑरामाइन' का प्रयोग कर रहे हैं। गोरखपुर के बाद कानपुर में भी हानिकारक ऑरामाइन डाई से रंगा सैकड़ों क्विंटल भुना चना जब्त किया गया है। आइए इस खबर में जानें ऑरामाइन युक्त चने के नुकसान, किस प्रकार डाईयुक्त चना गोरखपुर और कानपुर जैसे शहरों तक पहुंचा?
गोरखपुर में पकड़ा गया था 730 बोरी ऑरामाइन युक्त चना
बीते सोमवार को गोरखपुर के लालडिग्गी के पास एक गोदाम पर छापा मारकर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने 730 बोरी चना जब्त किया गया था। इसमें ऑरामाइन केमिकल के मिलने की पुष्टि हुई है। गोदाम को सील कर दिया गया है। पकड़े गए मिलावटी चने की कीमत लगभग 18 लाख रुपये है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने सूचना के आधार पर इस कार्रवाई की थी। इस दौरान भारी मात्रा में केमिकलयुक्त चना बरामद किया गया था। मौके पर मौजूद अत्याधुनिक मोबाइल लैब फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स (एफएसडब्ल्यू) से चने की जांच की गई थी। प्रारंभिक जांच में चने में ऑरामाइन केमिकल की पुष्टि हुई थी।
गोरखपुर में पकड़े गए चने के पीछे अंतरराज्यीय नेटवर्क सक्रिय होने का शक?
गोदाम में मौजूद चने को बाजार में खपाने की तैयारी की जा रही थी, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो सकते थे। जांच में सामने आया है कि मिलावटी चने की यह खेप मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से मंगवाई गई थी। खाद्य सुरक्षा विभाग अब इस पूरे अंतरराज्यीय नेटवर्क की गहन जांच कर रहा है। हालांकि जब बिल को लेकर जांच की गई तो पता चला कि चना जीएसटी बिल के साथ खरीदा गया है।
कानपुर में ऑरामाइन डाई से रंगा मिला भुना चना, 372 क्विंटल जब्त
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम ने बीते बुधवार को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ऑरामाइन डाई से रंगा हुआ 372 क्विंटल भुना चना जब्त किया था। विशेष प्रवर्तन अभियान के तहत यह कार्रवाई आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश और जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर की गई थी। सहायक आयुक्त (खाद्य) संजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एफएसडीए की टीम ने बिनगवां स्थित बाबा बैजनाथ ट्रेडर्स पर छापा मारकर जांच की। प्रारंभिक जांच में मौके पर संग्रहीत 1240 बोरा भुना चना ऑरामाइन डाई से रंगा पाया गया। इसका कुल वजन लगभग 372 क्विंटल और अनुमानित मूल्य 33,48,000 रुपये है। टीम ने मौके से नमूने लेकर पूरे स्टॉक को जब्त कर लिया है।
'ऑरामाइन' क्या है और चने में इसका उपयोग क्यों?
'ऑरामाइन' एक सिंथेटिक रसायन है जिसका उपयोग मुख्य रूप से कपड़ों और कागज को रंगने, चमकीला बनाने के लिए किया जाता है। खाद्य पदार्थों में इस रसायन का उपयोग वर्जित होने के बाद भी मुनाफाखोर, विशेष रूप से दालों और अनाजों में, ऑरामाइन का प्रयोग करके उन्हें अधिक आकर्षक और चमकीला दिखाने के लिए करते हैं। जिससे वे आकर्षक और उच्च गुणवत्ता वाले प्रतीत हों।
गोरखपुर और कानपुर तक कैसे पहुंचा ऑरामाइन युक्त चना?
इस प्रकार के अवैध व्यापार में अक्सर एक सुनियोजित नेटवर्क काम करता है। कुछ व्यापारी और दलाल ज्यादा लाभ कमाने के लालच में इस रसायन का प्रयोग कर चने को तैयार करते हैं और फिर इसे विभिन्न मंडियों या सीधे खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचाते हैं। छोटे किसान या व्यापारी भी ज्यादा कमाई के लालच में इस अवैध काम में अनजाने में शामिल हो जाते हैं, उन्हें रसायन के खतरों के बारे में जानकारी भी नहीं होती। गोरखपुर में जो केमिकलयुक्त चना पकड़ा गया है उसकी खेप मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से मंगवाई गई थी। विभाग अब पूरे नेटवर्क की जड़ें खंगालने में जुट गया है।
सेहत के लिए कितना खतरनाक होता है ऑरामाइन?
ऑरामाइन एक अत्यंत खतरनाक और विषैला रसायन है, यह केमिकल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। ऑरामाइन के सेवन से कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है, विशेषकर लिवर और मूत्राशय के कैंसर का खतरा रहता है।
इसके लगातार उपयोग से लिवर, किडनी और पेट पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह आंखों में जलन, त्वचा रोग और सांस से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह और भी अधिक घातक साबित होता है। - डॉ. राजकिशोर सिंह, फिजिशियन बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर
