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Haryana: 90 गांवों में डूबी 44 हजार एकड़ में फसलें, प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को दिया अल्टीमेटम
माई सिटी रिपोर्टर हिसार
Published by: शाहिल शर्मा
Updated Thu, 18 Sep 2025 05:16 PM IST
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सार
हिसार जिले के 90 गांवों में अब भी करीब 44,970 एकड़ फसलें पानी में डूबी हुई हैं। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन गांवों में करीब औसतन 3.5 फीट तक पानी भरा हुआ है।

खेतों में भरा पानी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हिसार जिले के 90 गांवों में अब भी करीब 44,970 एकड़ फसलें पानी में डूबी हुई हैं। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन गांवों में करीब औसतन 3.5 फीट तक पानी भरा हुआ है। सिंचाई विभाग, पंचायत विभाग, पीडब्ल्यूडी के करीब 350 पंपों के जरिए पानी निकाला जा रहा है। अगर इसी क्षमता पर पानी की निकासी का काम जारी रहा तो जल निकासी का ये काम 30 सितंबर तक पूरा हो पाएगा। सबसे अधिक जलभराव बरवाला उपमंडल के 26 गांवों में हैं। प्रदेश सरकार की ओर से सिंचाई विभाग को पानी निकासी का काम हर हाल में एक अक्तूबर से पहले पूरा करने के आदेश दिए गए हैं। जिसके लिए अधिकारियों को रोजाना की रिपोर्ट पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।
बारिश बंद होने के दस दिन बाद भी पानी की निकासी नहीं हो पा रही। दाहिमा, कैमरी, लाडवा, सातरोड, सुलतानपुर, गंगवा, पातन, सीसवाला, रावलवास ,सिंहवा राघो, गुराना, डाटा, आर्यनगर, लितानी सहित अन्य गांवों में अब भी 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ है। इन गांवों में पानी निकासी के लिए 350 से अधिक पंपसेट लगाए गए हैं। जिनसे पानी निकाल कर उसे ड्रेन में डाला जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से जिला प्रशासन को पानी निकासी के लिए 30 सितंबर तक का टारगेट दिया गया है। अगर पानी की निकासी नहीं की गई तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। विभागीय अधिकारियों को हर एक गांव के अनुसार रोजाना पानी निकासी का रिकॉर्ड अपडेट करना होगा। इसके लिए अलग से पोर्टल बनाया गया है।
चिट्ठी से मचा हड़कंप, एसीबी तक पहुंचा मामला
सिंचाई विभाग की ओर से वर्ष 2022-23 में कराए गए पानी निकासी के प्रोजेक्ट को लेकर मंडल आयुक्त की चिट्ठी ने हड़कंप मचा दिया है। बुधवार को विभाग के आला अधिकारी चंडीगढ़ पहुंचे। मंडल आयुक्त की ओर से लिखी गई चिट्ठी को लेकर मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो तक पहुंचा है। माना जा रहा है कि एससीबी इस मामले में अपने स्तर पर भी जांच कर सकती है।

बारिश बंद होने के दस दिन बाद भी पानी की निकासी नहीं हो पा रही। दाहिमा, कैमरी, लाडवा, सातरोड, सुलतानपुर, गंगवा, पातन, सीसवाला, रावलवास ,सिंहवा राघो, गुराना, डाटा, आर्यनगर, लितानी सहित अन्य गांवों में अब भी 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ है। इन गांवों में पानी निकासी के लिए 350 से अधिक पंपसेट लगाए गए हैं। जिनसे पानी निकाल कर उसे ड्रेन में डाला जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से जिला प्रशासन को पानी निकासी के लिए 30 सितंबर तक का टारगेट दिया गया है। अगर पानी की निकासी नहीं की गई तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। विभागीय अधिकारियों को हर एक गांव के अनुसार रोजाना पानी निकासी का रिकॉर्ड अपडेट करना होगा। इसके लिए अलग से पोर्टल बनाया गया है।
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चिट्ठी से मचा हड़कंप, एसीबी तक पहुंचा मामला
सिंचाई विभाग की ओर से वर्ष 2022-23 में कराए गए पानी निकासी के प्रोजेक्ट को लेकर मंडल आयुक्त की चिट्ठी ने हड़कंप मचा दिया है। बुधवार को विभाग के आला अधिकारी चंडीगढ़ पहुंचे। मंडल आयुक्त की ओर से लिखी गई चिट्ठी को लेकर मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो तक पहुंचा है। माना जा रहा है कि एससीबी इस मामले में अपने स्तर पर भी जांच कर सकती है।
बालसमंद रोड पर 17 दिन से पानी
हिसार-बालसमंद रोड जलभराव के कारण पिछले 17 दिन से बंद है। रोड पर गहरे गड्ढे होने के चलते छोटे वाहन चालकों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। रोड पर लगाई गई लोहे की रेलिंग टूट कर गिर चुकी है। कुछ बड़े वाहन भी यहां फंस रहे हैं। तीन फीट पानी भरा होने के चलते गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन धर्मशाला में किया जा रहा है। सीएचसी में किसी तरह की जांच नहीं हो पा रही। यहां महिलाओं के लिए प्रसव सेवा भी बंद है। मरीजों को सीएचसी में भर्ती करने की सुविधा पूरी तरह से ठप है।
इन गांवों में सबसे ज्यादा जलभराव
बधावड़-1360 एकड़, बाडो पट्टी-410 एकड़, बहबलपुर-380 एकड़, बनभौरी-280 एकड़, बयानाखेड़ा 100 एकड़, भगाना 380 एकड़, बिचपड़ी 580 एकड़, ढांड 1740 एकड़, धिंगताना 500 एकड़,
गैबीपुर 300 एकड़, जेवरा 320 एकड़, जुगलान 130 एकड़, खरक 310 एकड़, खेड़ी बर्की 230 एकड़, मतलोडा 420 एकड़, पंघाल 1760 एकड़, राजली 4920 एकड़, सरहेडा 70 एकड़, सरसौद 680 एकड़ और सुलखनी में 580 एकड़ में जलभराव है।