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विश्व ओजोन दिवस : प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से ओजोन हो रही पतली

संवाद न्यूज एजेंसी, झज्जर/बहादुरगढ़ Updated Tue, 16 Sep 2025 02:45 AM IST
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World Ozone Day: Ozone is getting thinner due to exploitation of natural resources
-फोटो 54 : वजीर सिंह दहिया
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बहादुरगढ़। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से ओजोन परत लगातार पतली हो रही है। पर्यावरणविदों का मानना है कि एसी, फ्रिज जैसे संसाधनों का भी सही इस्तेमाल करना होगा और जंगलों का कटान रोकना होगा। अन्यथा मानव जीवन की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। बहादुरगढ़ में पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए क्लीन एंड ग्रीन एसोसिएशन पिछले करीब 9 वर्षों से कार्य कर रही है।
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शहर में विभिन्न स्थानों पर एसोसिएशन सदस्यों की ओर से पौधे लगाए गए हैं। एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि बहादुरगढ़ में बाईपास के नजदीक दो एकड़ में मिनी जंगल बनाया गया है। यहां पर हर रविवार को सदस्यों की ओर से पौधे लगाए जाते हैं। एक दिन पहले पावर हाउस चौक के नजदीक ड्रेन पर बने डिवाइडर पर भी पौधे लगाने की मिट्टी डाली गई है। जल्द ही पौधे रोपित किए जाएंगे।
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विश्व ओजोन दिवस 16 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को आजोन की परत को बढ़ते प्रदूषण से संरिक्षत करने के लिए मनाया जाता है। ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है जो वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है।
उन्होंने बताया कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन परत में होने वाले विघटन के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसके अलावा हीलियम, मिथाइल क्लोरोफार्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि रसायन पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में सक्षम है।
इन रासायनिक पदार्थों को ही ओजोन क्षरण पदार्थ कहते हैं। यह एयर कंडीशनर, फ्रिज व प्लास्टि आदि के इस्तेमाल में प्रमुखता से उत्सर्जित होते हैं। इनका इस्तेमाल हमें जरूरत के अनुसार करना होगा।



प्रत्येक घर में लगाने होंगे पौधे

क्लीन एंड ग्रीन एसोसिएशन के सदस्य पर्यावरण प्रहरी वजीर सिंह दहिया ने बताया कि ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए पौधरोपण आवश्यक है। प्रदूषण रोकने के लिए अधिक से अधिक पौधा रोपण करना होगा। सभी को अपने-अपने घरों में पौधे अवश्य लगाने चाहिए। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर प्रदूषण का बड़ा कारण औद्योगिक विकास, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि भी है। हमें इनका संतुलन करना होगा।
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यह हैं दुष्प्रभाव

ओजोन परत के बढ़ते क्षय के कारण अनेक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे कि सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती पर वायुमंडल में प्रवेश कर सकती हैं। जो बेहद ही गर्म होती हैं। शरीर में इनसे त्वचा का कैंसर, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं।

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यहां हैं मिनी जंगल
-शहर में बहादुरगढ़ बाईपास के साथ 2 एकड़
-दिल्ली रोहतक रोड पर गौरैया टूरिज्म के साथ 1 एकड़
-सेक्टर दो में करीब एक एकड़




-फोटो 55 : मिनी जंगल में लगाने के लिए रखे पौधे। स्रोत संस्था




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