सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Haryana ›   Karnal News ›   medical, womens doctor, patent, karnal

महिला डॉक्टरों की कमी, कैसे सुरक्षित हों जच्चा-बच्चा

ब्यूरो/करनाल,अमर उजाला Updated Fri, 09 Sep 2016 12:40 AM IST
विज्ञापन
विज्ञापन

स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। जिले के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। जिले के स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज के प्रसूति विभाग में महिला चिकित्सकों की भारी कमी के चलते गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रसूति विभाग में एलएमओ की संख्या कम होने से जच्चा-बच्चा की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लग रहा है।

loader
Trending Videos

मेडिकल कॉलेज में महिला चिकित्सकों की कमी के चलते कई बार जच्चा या बच्चे की मौत भी हो जाती है। पिछले दस दिन पूर्व भी नीलोखेड़ी के सांवत गांव से मेडिकल कॉलेज के प्रसूति विभाग में डिलीवरी के लिए आई एक गर्भवती महिला की सिजेरियन डिलीवरी की जगह नॉर्मल करने से नवजात बच्चे की मौत हो गई थी। इसको लेकर परिजनों ने डॉक्टरों पर अनदेखी का आरोप लगाकर बवाल तो काटा था। इसके अलावा, गंभीर मरीजों को तुरंत प्रभाव से यहां से पीजीआई के लिए रेफर करना पड़ता है। मजबूरी में महिलाओं को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, यहां पर प्रतिदिन 20 डिलीवरी होती हैं, वहीं रोजाना कम से कम 40 महिलाएं यहां पर दाखिल होती हैं। वहीं, प्रसूति विभाग में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण एक एक बेड पर दो दो महिलाओं को लेटाना पड़ता है।  
विज्ञापन
विज्ञापन


16 डॉक्टरों की है जरूरत
जिले के कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में 16 महिला चिकित्सकों का काम केवल तीन महिला चिकित्सक ही चला रही है। प्रसूति विभाग की दो यूनिट है। इनमें केवल तीन महिला चिकित्सक ही मौजूद है, जिनमें एक रेगुलर डॉक्टर है, जबकि दो डॉक्टरों को कांट्रेक्ट पर रखा गया है। मेडिकल कॉलेज में नियम के मुताबिक प्रसूति विभाग की एक यूनिट में आठ महिला चिकित्सक होना आवश्यक होता है। कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दो यूनिट में 16 महिला चिकित्सकों की आवश्यकता है। इस बारे में कई बार स्वास्थ्य मंत्री और सीएम तक से मांग कर चुके हैं, पर कोई समाधान नहीं हुआ है।

डॉक्टरों की कमी के कारण हो चुकी है नवजात बच्चों की मौत
मेडिकल कॉलेज में महिला चिकित्सकों की कमी के कारण कई बार समय पर डिलीवरी न होने और सीजेरियन की जगह नॉर्मल डिलीवरी करवाने से कई बार नवजात की मौत भी हो जाती है। पिछले माह इस तरह के तीन केस सामने आए हैं। सांवत गांव की एक महिला को इमरजेंसी में नीलोखेड़ी सरकारी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज सिजेरियन डिलीवरी के लिए रेफर किया गया था, लेकिन यहां चार घंटे के बाद भी नार्मल डिलीवरी की गई। इससे नवजात लड़के की मौत हो गई। वहीं, सप्ताह पूर्व बसताड़ा गांव वासी महिला को भी डिलीवरी के दौरान लड़की पैदा हुई थी, जिसकी मौत हो गई थी। हालांकि, इन्होंने न तो प्रशासन को शिकायत दी और न ही पुलिस को।

एक माह में होती 550-600 डिलीवरी
मेडिकल कॉलेज में हर महीने 550 से लेकर 600 तक गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होती है। इनमें लगभग 500 डिलीवरी नार्मल और 150 डिलीवरी सीजेरियन होती है। जबकि महिला चिकित्सकों की कमी के कारण महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

पिछले पांच माह में जिले में हुई 10264 डिलीवरी
जिले में 1 अप्रैल से लेकर अगस्त तक कुल 10264 डिलीवरी हुई है। इनमें से 588 डिलीवरी सीजेरियन हुई। जबकि 9676 डिलीवरी नॉर्मल हुई। इनमें से 9071 डिलीवरी जिले के सरकारी अस्पतालों में हुई है, जो कि कुल डिलीवरी का 88.4 प्रतिशत है। बाकि की 1193 डिलीवरी गर्भवती महिलाओं के घर पर ही हुई है।   

कस्बों से रेफर करते हैं करनाल
जिले के विभिन्न पीएचसी और सीएचसी केंद्रों पर 17 महिला चिकित्सक कार्यरत हैं, जबकि जिले की जनसंख्या को देखते हुए 20 की आवश्यकता है। बता दें कि कस्बों के अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होने के कारण महिलाओं को करनाल के लिए रेफर किया जाता है। वहीं, अगर रात के समय महिलाओं को प्रसव पीड़ा होती है तो ज्यादातर कस्बों में न तो डाक्टर मिलते हैं और न ही स्टाफ। इसलिए मजबूरीवश महिलाएं निजी अस्पतालों में इलाज कराती हैं।

डिलीवरी के लिए जिले में कहां कितनी एलएमओ
पीएचसी/सीएचसी    एलएमओ
जुंडला    1
बडौता    1
नीलोखेड़ी    3
असंध    1
तरावड़ी    2
बल्ला    1
घरौंडा    2
कुटेल    1
कुंजपुरा    1
काछवा    1  
करनाल शहर के स्वास्थ्य केंद्र सेक्टर-6, 13 व अन्य पर भी तीन एलएमओ तैनात है।
---------
वर्जन
स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को कई बार खाली पदों को लेकर लिखा जा चुका है। कॉलेज में महिला डॉक्टरों की कमी है, जबकि मरीजों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में कॉलेज को कम से कम 10 और महिला डॉक्टरों की जरूरत है। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि मरीजों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकें।
- डॉ. योगेश शर्मा, उप चिकित्सा अधीक्षक

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed